इंटरसेक्शनलजेंडर जलवायु संकट को दूर करने के लिए ग्रीन एनर्जी सेक्टर में महिलाओं के श्रम को बढ़ाना है ज़रूरी 

जलवायु संकट को दूर करने के लिए ग्रीन एनर्जी सेक्टर में महिलाओं के श्रम को बढ़ाना है ज़रूरी 

ऊर्जा क्षेत्र पुरुष प्रधान क्षेत्र है जिसमें केवल 24 फीसदी महिलाएं हैं। इंटरनैशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) की एक रिपोर्ट के अनुसार ऊर्जा क्षेत्र में मौजूद लैंगिक पूर्वाग्रह का विश्लेषण करते हुए स्पष्ट करती है कि यह एक ऐसा क्षेत्र जो अपनी स्थापना के बाद से लैंगिक विविधता के विषयों में पिछड़ रहा है।

जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया में हाशिये के समुदाय के लोगों पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। इस समुदाय का सबसे बड़ा हिस्सा महिलाएं हैं। लैंगिक असमानता के चलते बड़ी संख्या में महिलाएं गरीबी और मौलिक ज़रूरतों के अभाव में जीवन जीने के लिए मजबूर है। इसी तरह प्रकृति की बिगड़ती स्थिति का भी उन पर सबसे ज्यादा असर है। हालांकि, वे प्रकृति को नुकसान पहुंचाने में बहुत पीछे हैं। जब बात प्रकृति को स्थिरता पहुंचाने की आती है तो महिलाओं की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है। ठीक इसी तरह स्वच्छ ऊर्जा (क्लीन एनर्जी) के क्षेत्र में महिलाएं एक आवश्यक भूमिका निभा सकती हैं। लैंगिक असमानता के कारण महिलाओं की भूमिका को हालांकि नज़रअंदाज किया जाता है। क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में समाधान, योजनाओं आदि में महिलाओं को शामिल करना वक्त की पहली ज़रूरत है।

लैंगिक समावेशी स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र का विकास महिलाओं को स्वच्छ ऊर्जा के उपभोक्ता और उत्पादक दोनों के रूप में मजबूत बना सकता है। इनका योगदान अधिक टिकाऊ भविष्य को सुगम बनाने में मददगार साबित हो सकता है। इस क्षेत्र में महिलाओं की सशक्त भूमिका बनाने के लिए उन्हें आगे बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग, कौशल विकास, ऋण, शिक्षा, संपत्ति और राजनीतिक भागीदारी को बढ़ाने के लिए लैंगिक मुद्दे और समावेशी नज़रिये से नीतियां बनाने की ज़रूरत है। सस्ती, साफ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच की कमी से निम्न आय वाली महिलाओं के जीवन और आजीविका पर गहरा नकारात्मक असर पड़ता है। 

वर्तमान में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी को महत्व नहीं दिया जाता है। यही वजह है कि उनकी भागीदारी कम है। महिलाएं ग्लोबल लेबर फोर्स का 39 फीसदी हिस्सा है लेकिन पारंपरिक ऊर्जा के क्षेत्र में महिलाएं केवल 16 फीसदी हैं।

स्वच्छ ऊर्जा क्या है?

स्वच्छ ऊर्जा ऐसी उत्पादन प्रणालियों से आती है जो किसी भी तरह का प्रदूषण पैदा नहीं करती हैं जैसे ग्रीनहाउस गैसें जैसे Co2 (कार्बन डाई आक्साइड) जो जलवायु परिवर्तन का कारण बनती है। स्वच्छ ऊर्जा यानी क्लीन एनर्जी पूरी तरह से पर्यावरण संरक्षण में मददगार साबित होती है। स्वच्छ ऊर्जा, वह ऊर्जा है जो नवीकरणीय (रिन्यूएबल), शून्य उत्सर्जन (जीरो एमिशन) स्रोतों से आती है। जिनके इस्तेमाल करने से वातावरण में कोई प्रदूषण नहीं होता है, साथ ही ऊर्जा दक्षता उपायों (एनर्जी एफिशिएनसी मिजर्स) से ऊर्जा बचाई जाती है। स्वच्छ ऊर्जा, हरित ऊर्जा और नवीनीकरण ऊर्जा के बीच कुछ हद तक समानता होती है।  

ऊर्जा क्षेत्र और जेंडर के बीच संबंध समझना क्यों है ज़रूरी

what is clean energy and how important women role in this field
तस्वीर साभारः UN News

लैंगिक समानता और ऊर्जा तक पहुंच आंतरिक रूप से जुड़ी हुई हैं इसलिए इन्हें एक साथ संबोधित करने की ज़रूरत है। ये गरीबी, खाद्य असुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, साफ पानी, स्वच्छता, रोजगार और जलवायु संरक्षण में अनेक तरह के लाभ पहुंचा सकती है। ऊर्जा और लैंगिक संबंध को बेहतर तरीके से समझने के लिए यह भी जानना ज़रूरी है कि महिलाओं और पुरुष दोनों की अलग-अलग ऊर्जा की ज़रूरतें होती है। दुनियाभर में 800 मिलियन लोगों के पास बिजली की सुविधा नहीं है। लगभग 2.6 बिलियन से अधिक लोगों के पास स्वच्छ खाना पकाने की सुविधा नहीं है। लैंगिक भूमिका के कारण परिवार के लिए भोजन बनाने का काम महिलाओं का ही माना जाता है। महिलाएं अपने परिवार की आय का लगभग 40 फीसदी साधन अकुशल और खतरनाक कैरोसीन पर खर्च करती है। लैंगिक समावेशी स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र का विकास सामाजिक-आर्थिक अवसर पैदा कर महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों में ऊर्जा की गरीबी पर असमान रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लैंगिक मानदंड और परंपराएं उनकी ऊर्जा सेवाओं तक पहुंच में बाधा डालती हैं। उदाहरण के लिए कई ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रिड का फैलाव केवल उस क्षेत्र (आंगन या कृषि का क्षेत्र) तक है जहां तक पुरुषों की पहुंच है। इस वजह से वे महिलाएं जो मुख्य रूप से घर के काम करती है उन तक यह पहुंच नहीं होती है। घरेलू ऊर्जा के प्राथमिक उपभोक्ता के लिए स्वच्छ ऊर्जा की कमी की वजह से महिलाओं पर घरेलू काम का भार अधिक पड़ता है। इस तरह के असमान वितरण का उन पर कई स्तर पर प्रभाव पड़ता है। स्वच्छ खाना पकाने की तकनीकों का इस्तेमाल न करने की वजह से महिलाएं और बच्चे अक्सर पांपरिक चूल्हों से निकलने वाले जहरीले धुएं के संपर्क में आते हैं जो उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। पारंपरिक तरीकों से काम करने पर लागत अधिक लगती है जिस वजह से महिलाओं का समय भी अधिक लगता है। साथ ही ईधन इकट्ठा करने के लिए उन्हें दूरदराज की जगहों पर जाना पड़ता है। लंबी दूरी तक पैदल चलने का बोझ महिलाओं और लड़कियों को उत्पीड़न, अपहरण, यौन हिंसा, बलात्कार और अन्य खतरों के जोखिम में भी डालता है। 

साल 2019 में ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी के ग्लोबल सर्वे के अनुसार क्लीन एनर्जी वर्कफोर्स में केवल 32 फीसदी महिलाएं हैं।

वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र तेजी से बदल रहा है। जलवायु परिवर्तन के भंयकर बदलावों की वजह से स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश बढ़ रहा है। दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं इसमें निवेश पर जोर दे रही है। स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में लैंगिक समानता और समावेशी नीतियां बनाने की बहुत ज़रूरत है। वर्तमान में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी को महत्व नहीं दिया जाता है। यही वजह है कि उनकी भागीदारी कम है। महिलाएं ग्लोबल लेबर फोर्स का 39 फीसदी हिस्सा है लेकिन पारंपरिक ऊर्जा के क्षेत्र में महिलाएं केवल 16 फीसदी हैं। प्रबंधन के स्तर पर महिलाओं की संख्या कम है। यूरोपीय संसद द्वारा महिलाएं, लैंगिक समानता और यूरोपीय संघ में ऊर्जा संक्रमण पर किए गए एक अध्ययन में लैंगिक असमानताओं की पहचान महिलाओं को ऊर्जा संक्रमण में योगदान करने और अपने करियर में आगे बढ़ने से रोकने वाले मुद्दे के रूप में की गई है। 

स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व

स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में वर्तमान में लैंगिक असमानता और देखभाल के लिए एक साहयक नीतिगत, समावेशी माहौल की कमी है। ऐसे माहौल में मुख्य रूप से पुरुषों के अनुसार ही कार्यबल को बनाया गया है। ऊर्जा क्षेत्र पुरुष प्रधान क्षेत्र है जिसमें केवल 24 फीसदी महिलाएं हैं। इंटरनैशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) की एक रिपोर्ट के अनुसार ऊर्जा क्षेत्र में मौजूद लैंगिक पूर्वाग्रह का विश्लेषण करते हुए स्पष्ट करती है कि यह एक ऐसा क्षेत्र जो अपनी स्थापना के बाद से लैंगिक विविधता के विषयों में पिछड़ रहा है। वर्तमान में इस असंतुलन को बदलने के लिए काफी प्रयास होने ज़रूरी है।

तस्वीर साभारः Borgenproject.org

साल 2020 में दुनिया भर में स्वच्छ ऊर्जा रोजगार 12 मिलियन तक पहुंच गया और भविष्य में इसमें तेजी की उम्मीद है। साल 2019 में ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी के ग्लोबल सर्वे के अनुसार क्लीन एनर्जी वर्कफोर्स में केवल 32 फीसदी महिलाएं हैं। उन्हें प्रशासनिक और साहयक सेवाओं में महिलाओं वाले व्यवसायों में भी असमान रूप से समूहीकृत किया गया था जो विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित प्रशिक्षिण की आवश्यकता वाले तकनीक पदों पर केवल 28 फीसदी हिस्सा रखते थे। 

एनर्जी ट्रांजिशन की नीतियों का समावेशी होना है आवश्यक

स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र के शीर्ष नेतृत्व और मैनेजमेंट पदों पर भी महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व है। रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में केवल 10.8 प्रतिशत महिलाएं शीर्ष प्रबंधन पद पर मौजूद थी। ग्लोबल एक्सेलेटरिंग लर्निग इनिशिएटिव की 2020 की रिपोर्ट में पाया गया कि सर्वेक्षण किए गए ऊर्जा क्षेत्र के 64 फीसदी स्टार्टअप का नेतृत्व सभी पुरुष टीमों द्वारा किया गया था। ऊर्जा के क्षेत्र में पहले से काम कर रही महिलाओं के करियर ग्रोथ के विकल्प और साथ ही इच्छुक लोगों के लिए एनर्जी सेक्टर में नौकरियों के नए रास्ते बनाने से न केवल स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ाने का एक अनिवार्य हिस्सा है बल्कि महिलाओं को आर्थिक लाभ भी होगा।

दुनियाभर में 800 मिलियन लोगों के पास बिजली की सुविधा नहीं है। लगभग 2.6 बिलियन से अधिक लोगों के पास स्वच्छ खाना पकाने की सुविधा नहीं है। लैंगिक भूमिका के कारण परिवार के लिए भोजन बनाने का काम महिलाओं का ही माना जाता है।

स्वच्छ हरित ऊर्जा न केवल जलवायु परिवर्तन से लड़ने का एक तरीका है बल्कि यह लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के लिए भी एक महत्वपूर्ण साधन है। एनर्जी ट्रांजिशन के लिए बनाई गई नीतियों और कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना आवश्यक है ताकि हम एक अधिक समावेशी और न्यायसंगत भविष्य की दिशा में बढ़ सके। ऊर्जा क्षेत्र में लैंगिक विविधता को मजबूत करने के लिए समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए अधिक प्रयासों की आवश्यकता होती है। स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में महिलाओं के रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों के डिजाइन में लैंगिक और देखभाल दृष्टिकोण को शामिल करना भी ज़रूरी है ताकि महिलाओं के सामने आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके। कार्यस्थल पर जेंडर के नज़रिये से संवेदनशील और परिवार-समर्थक नीतियां और व्यवस्थाओं को बढ़ावा दिया जाए। स्वच्छ ऊर्जा से संबंधित प्रशिक्षण, रोजगार और उद्यमिता पहल को महिलाओं के अनुकूलित करने से ही हम पर्यावरण के संकट से उभर सकते हैं। महिलाएं को आगे बढ़ाकर वे स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव लाने में बड़ी भूमिका निभा सकती है जो मौजूदा पर्यावरण संकट को कम करने के लिए बहुत ज़रूरी है।  


सोर्सः

  1.  International Growth Centre
  2. International Energy Agency
  3. EU Science hub
  4. Florence School of Regulation

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