समाजख़बर हर आठ में से एक लड़की 18 साल की उम्र से पहले यौन हिंसा का करती है सामना: यूनिसेफ़

हर आठ में से एक लड़की 18 साल की उम्र से पहले यौन हिंसा का करती है सामना: यूनिसेफ़

कमजोर संस्थाओं, संयुक्त राष्ट्र शांति सेना, या राजनीतिक या सुरक्षा संकटों के कारण बड़ी संख्या में शरणार्थियों के रूप में नाजुक परिस्थितियों में रह रही लड़कियों को और भी अधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है, जहां बचपन में बलात्कार और यौन उत्पीड़न की व्यापकता 4 में से 1 से थोड़ी अधिक हो जाती है।

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ़) ने बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा पर पहली बार वैश्विक और क्षेत्रीय अनुमान प्रकाशित किए हैं। इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि आज दुनिया में 370 मिलियन से अधिक महिलाएं और लड़कियां यौन उत्पीड़न या बलात्कार का सामना कर चुकी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, हर 8 में से 1 लड़की या महिला ने 18 वर्ष की उम्र से पहले यौन हिंसा का सामना किया है। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस से पहले प्रकाशित की गई थी। इसमें बच्चों के खिलाफ होने वाली यौन हिंसा के भयावह आंकड़े पेश किए गए हैं, जो महिलाओं और विशेष रूप से किशोरियों पर पड़ने वाले गंभीर और दीर्घकालिक प्रभावों को उजागर करते हैं।

यूनिसेफ़ की बाल संरक्षण विशेषज्ञ अफ्रूज़ कावियानी जॉनसन ने यूएस न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि 2010 से 2022 के बीच 120 देशों और क्षेत्रों से एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है कि यौन हिंसा के आंकड़े अत्यधिक चिंताजनक हैं। रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि अगर यौन हिंसा के ‘गैर-संपर्क’ रूपों, जैसे ऑनलाइन उत्पीड़न और मौखिक दुर्व्यवहार को शामिल किया जाए, तो यौन हिंसा से प्रभावित लड़कियों और महिलाओं की संख्या 650 मिलियन तक पहुंच सकती है।

आज दुनिया में 370 मिलियन से अधिक महिलाएं और लड़कियां यौन उत्पीड़न या बलात्कार का सामना कर चुकी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, हर 8 में से 1 लड़की या महिला ने 18 वर्ष की उम्र से पहले यौन हिंसा का सामना किया है।

इस प्रकार, यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि यौन हिंसा के सभी रूपों से निपटने के लिए तत्काल प्रभावी रोकथाम और समर्थन की रणनीतियों की आवश्यकता है। यौन हिंसा के गैर-संपर्क रूपों के अंतर्गत शारीरिक संपर्क आवश्यक नहीं होता है। इसमें यौन उत्पीड़न, यौन दुराचार, बच्चों को पोर्नोग्राफ़ी दिखाना, या उन्हें यौनिक रूप से तैयार करना शामिल हो सकता है। यूनिसेफ़ बाल संरक्षण विशेषज्ञ अफ़रोज़ कावियानी जॉनसन के अनुसार डिजिटल तकनीक और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के विकास के साथ इस तरह की यौन हिंसा के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हुई है।

बच्चों के लिए सुरक्षितस्थानों में होता है उत्पीड़न

तस्वीर साभार: Canva

यूनिसेफ़ के अनुसार बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा हमारी नैतिकता पर एक बड़ा धब्बा है। अधिकतर मामलों में बच्चे को किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा गहरा आघात पहुंचाया जाता है, जिसे वह जानता है और जिस पर वह भरोसा करता है। दुख की बात ये है कि यौन हिंसा की घटनाएं अक्सर उन स्थानों पर होती हैं, जहां बच्चों को सबसे अधिक सुरक्षित महसूस करना चाहिए। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नाजुक परिस्थितियों, जैसे कि संघर्षग्रस्त क्षेत्रों, सामूहिक प्रवास या कमजोर सरकार वाले इलाकों में, यौन उत्पीड़न और बलात्कार की घटनाएं वैश्विक औसत से दोगुनी से भी अधिक होती हैं।

कमजोर संस्थाओं, संयुक्त राष्ट्र शांति सेना, या राजनीतिक या सुरक्षा संकटों के कारण बड़ी संख्या में शरणार्थियों के रूप में नाजुक परिस्थितियों में रह रही लड़कियों को और भी अधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है।

वैश्विक स्तर पर यौन हिंसा की स्थिति

दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में यौन हिंसा के मामलों की संख्या सबसे ज्यादा पाई गई है, और कोई भी क्षेत्र इस समस्या से अछूता नहीं है। रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, यौन हिंसा की घटनाएं भौगोलिक, सांस्कृतिक और आर्थिक सीमाओं से परे व्यापक रूप से फैली हुई है। क्षेत्रवार आंकड़े बताते हैं कि ओशियाना में यौन हिंसा के कुल मामलों का प्रतिशत 34 फीसद, अफ्रीका में 22 फीसद, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में 18 फीसद, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया में 15 फीसद, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 14 फीसद, मध्य और दक्षिण एशिया में 9 फीसद और पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में 8 फीसद है। हालांकि, ये आंकड़े केवल एक हिस्से की कहानी बताते हैं। संख्या के आधार पर देखें तो अकेले उप-सहारा अफ्रीका में 79 मिलियन से अधिक लड़कियां और महिलाएं यौन हिंसा से प्रभावित हैं, जो लगभग 5 में से 1 हैं। पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में यह संख्या 75 मिलियन, मध्य और दक्षिणी एशिया में 73 मिलियन, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 68 मिलियन, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में 45 मिलियन, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया में 29 मिलियन और ओशियाना में 6 मिलियन है।

कमजोर परिस्थितियों में अधिक जोखिम

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रिपोर्ट के अनुसार कमजोर संस्थाओं, संयुक्त राष्ट्र शांति सेना, या राजनीतिक या सुरक्षा संकटों के कारण बड़ी संख्या में शरणार्थियों के रूप में नाजुक परिस्थितियों में रह रही लड़कियों को और भी अधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है, जहां बचपन में बलात्कार और यौन उत्पीड़न की व्यापकता 4 में से 1 से थोड़ी अधिक हो जाती है। रिपोर्ट के अनुसार, यौन हिंसा की ज्यादातर घटनाएं किशोरावस्था के दौरान होती हैं, विशेष रूप से 14 से 17 वर्ष की आयु के बीच यह संख्या काफी बढ़ जाती है।

अध्ययनों से यह पता चलता है कि यौन हिंसा के सर्वाइवर बच्चों के बार-बार दुर्व्यवहार का सामना करने की संभावना अधिक होती है। इसलिए, किशोरावस्था के दौरान लक्षित हस्तक्षेप लागू करना। इस चक्र को तोड़ने और इसके दीर्घकालिक प्रभावों को कम करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।  यौन हिंसा के सर्वाइवर वयस्क भी इसके आघात का सामना करते रहते हैं। उन्हें यौन संचारित रोगों, मादक द्रव्यों के सेवन, सामाजिक अलगाव, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, जैसेकि चिंता और अवसाद, का अधिक खतरा होता है। साथ ही उनके लिए स्वस्थ संबंध बनाना भी चुनौतीपूर्ण होता है। जब बच्चे अपने अनुभवों को लंबे समय तक छिपाए रखते हैं या देर से साझा करते हैं, तो यह आघात और गहरा हो जाता है।

अगर यौन हिंसा के ‘गैर-संपर्क’ रूपों, जैसे ऑनलाइन उत्पीड़न और मौखिक दुर्व्यवहार को शामिल किया जाए, तो यौन हिंसा से प्रभावित लड़कियों और महिलाओं की संख्या 650 मिलियन तक पहुंच सकती है।

अध्ययन में बताया गया है कि वैसे तो यौन हिंसा से ज़्यादा लड़कियां और महिलायां ही प्रभावित होती हैं, और उनके अनुभवों को ही बेहतर तरीके से दर्ज किया जाता है। लेकिन डेटा दिखाता है कि लड़के और पुरुष भी यौन हिंसा से प्रभावित होते हैं। एक अनुमान के अनुसार 240 से 310 मिलियन लड़के और पुरुष या लगभग 11 में से 1 पुरुष या लड़के ने बचपन में यौन उत्पीड़न का अनुभव किया है। हालांकि गैर-संपर्क रूपों को शामिल करने पर यह अनुमान 410 से 530 मिलियन के बीच हो जाता है।

बच्चों के साथ यौन हिंसा से निपटना है जरूरी

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रिपोर्ट के आंकड़े यह स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि बाल यौन हिंसा से निपटने और दुनिया भर के बच्चों के लिए सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए तत्काल वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता है। इसमें यौन हिंसा को बढ़ावा देने वाले सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंडों को चुनौती देना, बच्चों को आयु-उपयुक्त जानकारी प्रदान करना, ताकि वे यौन हिंसा को पहचान सकें और रिपोर्ट कर सकें, शामिल हैं। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि जिन बच्चों के साथ यौन हिंसा हुई है, उन्हें न्याय और उपचार के लिए आवश्यक सेवाएं प्राप्त हों, ताकि उन्हें भविष्य में और नुकसान से बचाया जा सके।

रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि यौन हिंसा से निपटने के लिए कानूनों और नीतियों को मजबूत करने और उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए संसाधनों और प्रणालियों में निवेश किया जाना चाहिए। बेहतर राष्ट्रीय डेटा प्रणालियों का निर्माण और अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन करके यौन हिंसा पर प्रगति की निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करना भी आवश्यक है। यूनिसेफ़ की यह रिपोर्ट यौन हिंसा की गंभीरता और इसके दीर्घकालिक प्रभावों को उजागर करती है। यह स्पष्ट है कि यौन हिंसा से निपटने के लिए न केवल वैश्विक स्तर पर सहयोग की आवश्यकता है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और कानूनी स्तर पर भी गहन सुधारों की जरूरत है। इस दिशा में उठाए गए ठोस कदम ही बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बना सकते हैं।

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