यह बात राजस्थान के एक गांव की है। बोनिता को घर से बाहर जाकर पानी लाने के लिए कहा गया। वह घर से बर्तन लेकर निकलती है। रास्ते में एक सहेली का फोन आते ही उसकी ज़िंदगी करवट लेना शुरू कर देती है। यही वह पल था, जब हिम्मत शब्द से बोनिता का परिचय हुआ था। सहेली ने केवल इतना कहा था कि जल्दी से घर जाकर टीवी चालू करो और सत्यमेव जयते कार्यक्रम देखो। उस दिन शो के होस्ट अभिनेता आमिर खान शो के मेहमान को आमंत्रित करने से पहले कह रहे थे कि आज का विषय थोड़ा संवेदनशील है और हो सकता है कि कई मां-बाप ये चाहे कि उनके बच्चे इसे ना देखें। अगर ऐसा है तो आप अपने बच्चे को किसी नजदीकी कमरें में भेज सकते हैं या किसी और सुरक्षित जगह पर। हालांकि, मेरा ये मानना है कि 10 या 12 साल की उम्र के बच्चों को ये शो जरूर देखना चाहिए। जल्द ही, आमिर शो की मेहमान ट्रांस वुमन गज़ल से दर्शकों का परिचय कराते हैं और वह अपनी कहानी सुनाना शुरू करती हैं।
वह जो-जो कहती जा रही थी, उसे बोनिता ध्यान से सुन रही थी। बोनिता को पहली बार लगा कि कोई उसे उसी के बारे में बता रहा है। छोटे पर्दे पर उसी की कहानी चल रही है। इसके बाद उन्होंने अपने घरवालों को अपने एहसास और भावनाओं के बारे में बताने की ठानी। राजस्थान के पाली जिले के दोरनरी दोर्नारी गांव में जन्मी बोनिता को हमेशा से अलग तरह का महसूस होता था। पड़ोसी से लेकर स्कूल के टीचर तक हर कोई उन्हें टोकता रहता था। वे कहते थे कि लड़की की तरह मत चलो। उस तरह बात मत करो। बोनिता बताती हैं कि इस टोका-टाकी से मन में उलझन होने लगी थी कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है। मन में हमेशा ये सवाल चलता रहता था कि क्या उसे देखने वाले हर लड़के को भी वैसा ही लगता है, जैसा वो महसूस करती है और बाकी लड़कों को वैसी सलाह क्यों नहीं दी जा रही, जैसी उन्हें दी जा रही है।
कैसे इंटरनेट से ट्रांस समुदाय पर उन्हें मिली जानकारी
इंटरनेट और स्मार्टफोन को बोनिता अपने लिए वरदान मानती हैं। वो कहती है कि फोन का एक्सेस होना, जीवन में घटी सबसे अच्छी चीजों में से एक था। इसके ज़रिए ख़ुद के बारे में जानने में मदद मिली। नैश्नल जियोग्राफिक पर आने वाले ‘टैबू’ शो में एक ट्रांस वुमन की यात्रा देखने को मिली। वहां से हिम्मत बंधी कि वो भी ख़ुद को भविष्य में एक ‘औरत’ के रूप में देख सकती है। इंटरनेट से ही उन्हें क्वीयर समुदाय के बारे में पता चला। बोनिता बताती हैं कि सत्यमेव जयते के उस एपिसोड को देखने के बाद उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई थी। उसे देखते-देखते ख़ुद के बारे में बात करना आसान लगा। वहां से संवाद का एक दरवाज़ा खुल गया और अपनी तरह से ज़िंदगी जीने की हिम्मत मिली। घरवालों को भी वो एपिसोड दिखाया। हालांकि, मन में तो यही चल रहा था कि जैसे ही उन्हें अपनी भावनाओं के बारे में बताऊंगी तो वे घर से निकाल देंगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। किसी के मन में ऐसा कोई सवाल ही नहीं उठा। बेशक घरवाले रूढ़िवादी विचार वाले थे, मगर उनकी प्रतिक्रिया उतनी सख़्त नहीं थी। इसके बाद बोनिता और घरवालों के बीच बातचीत का लंबा दौर चला और उन्हें बात समझ आने लगी। इस तरह बोनिता ने अपनी एक चुनौती को पार कर लिया।
करियर की शुरुआत और कैसे हासिल की मुकाम
अपने करियर की शुरुआत के सवाल पर बात करते हुए बोनिता ने बताया कि कुछ फोटोग्राफर के साथ मिलना-जुलना हुआ तो अपनी तस्वीरें खिंचवाई। उन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर साझा करना शुरू किया तो कई और लोगों से संपर्क हुआ। सोशल मीडिया के जरिए लोगों से जुड़ी और मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा। साल 2019 में मिस ट्रांसक्वीन इंडिया की दूसरी रनर अप रहीं। मॉडलिंग के साथ-साथ ऑडिशन देना शुरू किया। धीरे-धीरे समझ आया कि केवल एक्टिंग के भरोसे ही नहीं रहा जा सकता, क्योंकि उन्हें कुछ खास तरह के किरदार के लिए ही देखा जाता था, जैसे कोई ट्रांस महिला या सेक्स वर्कर आदि। फिर उन्होंने सोचा कि क्यों न ख़ुद ही फिल्म बनाई जाए और अपनी मर्जी के किरदार लिखे जाए। यहां से बोनिता अपनी फिल्ममेकिंग की यात्रा पर निकल गईं। बता दें कि वो ‘इफ यू नो यू नो’ नाम से एक शॉर्ट फिल्म डायरेक्ट कर चुकी हैं, जिसकी कहानी भी उन्होंने ही लिखी और अभिनय भी किया।
अपनी जगह बनाने में आर्थिक स्वतंत्रता है जरूरी
क्वीयर समुदाय के कलाकारों के लिए संदेश देते हुए बोनिता कहती हैं कि अगर कोई आपको जगह नहीं दे रहा है तो अपनी जगह बनाइए। अपना सौ प्रतिशत दीजिए और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनिए। ये पूछे जाने पर कि क्या सिनेमा में क्वीयर समुदाय के प्रति रूढ़िवादी नजरिए में बदलाव आया है, बोनिता कहती हैं कि धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है। ये एकदम से नहीं हो सकता। उन्होंने ‘मेड इन हेवन’ वेब सीरीज से मेहर चौधरी के किरदार का उदाहरण देते हुए कहा कि ये बदलाव की ओर इशारा करता है। हालांकि, बोनिता इस बात को भी गंभीरता से सोचती हैं कि आखिर क्वीयर लोगों के लिए किरदार लिखना इतना मुश्किल क्यों है? उन्हें किसी का दोस्त या दुकानदार या वकील या दूसरे किसी भी प्रोफेशन से जुड़े किरदार में क्यों नहीं दिखाया जा सकता? ट्रांस लोगों में ऐसा क्या है कि उन्हें आम सीन में नहीं दिखाया जाता? कोई बड़ा कलाकार ट्रांस का किरदार कर सकता है तो ट्रांस व्यक्ति खुद ट्रांस किरदार क्यों न करें?
ट्रांस और क्वीयर समुदाय को काम न मिलने की चुनौतियां
ये तमाम बातें बोनिता को हमेशा से खलती रही हैं। वो कहती हैं कि किसी जाने- माने कलाकार से ट्रांसजेंडर का रोल कराने का कुछ हद तक नाता बिजनेस से भी है, क्योंकि ऐसा करने से शॉक वैल्यू बनती है। दर्शक हैरत में पड़ते हैं और शॉक वैल्यू से पैसा बनाने में मदद मिलती है। बोनिता इस बात को लेकर आश्वस्त है कि धीरे-धीरे भारतीय सिनेमा में क्वीयर समुदाय को लेकर संवेदनशील फिल्में बनने लगेगी। वो कहती हैं कि हमारा समाज क्वीयर फ्रेंडली नहीं है, इसलिए वक्त लग रहा है। वह मानती हैं कि सिनेमा से समाज में बदलाव लाया जा सकता है और ये काफी सशक्त माध्यम है। क्वीयर कलाकारों के लिए फिल्म इंडस्ट्री में आने वाली चुनौतियों पर बात करते हुए वह कहती हैं कि काम मिलने की चुनौती हमेशा बनी रहती है। ये कभी ना खत्म होने वाला संघर्ष है।
अपना उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब ऑडिशन के लिए मैसेज आते हैं कि इतने से इतने उम्र की लड़की चाहिए तो अंदर से पता होता है कि मुझे नहीं लिया जाएगा। चाहे कितना भी लड़की जैसा दिखो, लेकिन आपको ट्रांस वाले लेंस से ही देखा जाता है। इस लेंस को बदलना जरूरी है। वहीं, ये पूछने पर कि क्या क्वीयर कलाकारों के लिए अलग से कोई व्यवस्था या कोई प्लेटफॉर्म जैसा कुछ होना चाहिए तो जवाब में बोनिता ने कहा कि मैं नहीं चाहती कि क्वीयर कलाकारों को एक अलग डिब्बे में रख दिया जाए। उन्हें सभी के साथ शामिल करना चाहिए। बोनिता अपने चुने रास्ते पर धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं। वह आने वाले दिनों में कुछ और फिल्मों में दिखाई देंगी। उनकी लिखी कहानियां भी देखने को मिलेगी। इसके अलावा बोनिता अपनी सेक्स रिअसाईनमेंट सर्जरी के लिए भी तैयारी कर रही हैं, जिसके लिए वो जल्द ही फंड रेज भी करेंगी।