महिलाओं के अधिकारों की बात जब भी होती है, तब नारीवाद का जिक्र स्वाभाविक रूप से आता है। नारीवाद सिर्फ एक विचारधारा नहीं, बल्कि वह भावना है जो हमें हमारे अधिकारों और समानता के प्रति जागरूक करती है। स्कूल या फिर कॉलेज में कहीं ना कहीं नारीवाद के बारे में पढ़ा था लेकिन समझ नहीं आया। मेरे लिए नारीवाद का अर्थ यह था कि मैं जिस दिन खुद के लिए कुछ कर लूंगी या फिर समाज में लोगों के बीच खड़े होकर खुद के लिए बोल पाऊंगी उस दिन मैं भी एक फेमिनिस्ट बन जाऊंगी। बचपन में हॉस्टल में रहते हुए यह महसूस हुआ कि, आखिर क्यों हम लड़कियों को यह जताया जाता है कि हमें अपना जीवन जीने के लिए किसी और की मदद की ज़रूरत है। तभी यह सोच लिया था कि एक दिन ज़रूर इन लोगों को गलत साबित करके रहूंगी।
मेरी माँ मुझसे हमेशा कहती है, बेटा जीवन में कुछ करो या ना करो लेकिन अपने निजी समान का खर्च खुद उठा सको, इतना काबिल ज़रूर बनना है। परिवार की आर्थिक स्तिथि ज्यादा सही न होने ने ज़रूरत और इच्छा के बीच का अंतर समझा दिया। पैसों की तंगी को देखकर मैं घर में कहा करती थी कि एक दिन जीवन में इतना पैसा कमाऊंगी कि जो चीज लेने का मन करेगा वह खरीद लूंगी। इस बात पर मेरे पापा हमेशा समझाते थे, “जीवन में पैसों से भी कीमती और ज़रूरी कोई चीज है तो वो है आत्मविश्वास। जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का विश्वास, समाज में अपने लिए आवाज उठाने का विश्वास, यह सबसे ज्यादा ज़रूरी है।”
आत्मविश्वास, जीवन की पहली सीढ़ी
मैंने आत्मविश्वास को अपने जीवन की पहली सीढ़ी माना है। बचपन से ही मेरे माता-पिता ने यह सिखाया है कि जीवन में कुछ असंभव नहीं है, बस खुद पर विश्वास होना चाहिए। मुझे अभी भी याद है जब कक्षा छह में मैंने अपना स्कूल बदला था तो मुझे हिंदी मीडियम से अंग्रेजी मीडियम में दाखिला मिला था। मैं काफी डरी और सहमी सी रहती थी। मेरी अंग्रेजी ज्यादा अच्छी नहीं थी इसीलिए हमेशा यह डर रहता था कि शिक्षक कहीं मुझसे ही सवाल ना कर ले। स्कूल में अपने दोस्तों को अच्छे से अंग्रेजी पढ़ते हुए देखकर मेरा आत्मविश्वास बिल्कुल टूट जाता था। मुझे शर्म आने लगी, मैं जब स्कूल से वापिस घर जाती थी तो बड़ी शांत रहने लगी। तब मुझे समझाया कि जीवन में कुछ भी करो लेकिन कभी किसी परिस्थिति से हार नहीं माननी है, बल्कि उस परिस्थिति को हराना है। फिर क्या था, खुद पर विश्वास करके मैं कक्षा आठ में अपनी कक्षा की टॉपर बनीं और जीवन में पहली बार आत्मविश्वास की ताकत को समझा।
मेरे परिवार में मुझे यह सिखाया है कि आगे बढ़ने के लिए आत्मविश्वासी होना ज़रूरी है। जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का विश्वास, समाज में अपने लिए आवाज उठाने का विश्वास, यह सबसे ज़रूरी है। आत्मविश्वास का होना जितना फायदेमंद है, उससे कहीं अधिक नुकसानदायक है। अतिआत्मविश्वास जो सही और गलत के बीच के फर्क को ही मिटा देता है, इसे समझना भी ज़रूरी है। कक्षा नौ में जब मैं द्वितीय आई तब मैं बहुत खुश थी, ऐसा लग रहा था मानो मुझे सब कुछ आता है। अपनी खुशी व्यक्त करते हुए मैंने अपनी मम्मी से बोला कि अब देखना कैसे मैं अगले साल कविता (वह कक्षा में प्रथम आई थी) को भी पीछे कर दूंगी। मेरी यह बात सुनकर मम्मी ने जो उस दिन कहा वो मैं कभी नहीं भूलती। मेरी मम्मी का कहना था कि, “जीवन में अगर आगे बढ़ना है तो दूसरों को पीछे करना है, तो यह सोचो की तुम कैसे आगे बढ़ सकते हो। किसी दूसरे को नुकसान पहुंचाए बिना सफलता हासिल करना ही असली सफलता है।”
शिक्षा और ज्ञान मेरी ताकत
मेरी उपलब्धियों की शुरुआत शिक्षा से हुई। मेरे परिवार ने हमेशा यह सिखाया कि इस समाज में एक महिला का शिक्षित होना कितना ज़रूरी है। मैंने पढ़ाई के माध्यम से ना केवल खुद को सशक्त किया बल्कि उन लोगों को भी चुनौती दी जो महिलाओं को सीमित और घर में बंद रखने का प्रयास करते हैं। मेरे पापा हमेशा से कहते हैं कि जीवन की छोटी-छोटी उपलब्धियां ही जीवन में खुशियां लाती हैं। मेरे जीवन का सबसे अच्छा निर्णय था घर से दूर जाकर मास कम्यूनिकेशन की पढ़ाई करना, जिसने मेरा खुद से परिचय करवाया। दस साल की उम्र से 17 साल की उम्र तक हॉस्टल में रहने के बाद सबको ऐसा लगता था कि मैं बाहर की दुनिया में रह नहीं पाऊंगी, मुझे लोग आसानी से बेवकूफ बना देंगे। लेकिन आज मुझे पूरे चार साल हो गए हैं, अपने घर से दूर किसी और शहर में अकेले रहते हुए। यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है, जब मैं अपने माता-पिता की आँखों में अपने लिए गर्व का भाव देखती हूं तो, जीवन सम्पूर्ण सा लगता है। मेरे पापा को जब भी मौका मिलता है वो दूसरों के सामने मेरी तारीफ करने से नहीं रुकते।
मेरे जीवन की दूसरी उपलब्धि थी कक्षा 10 में स्कूल की सेकेंड टॉपर बनना। मुझे जीवन कई लोग ऐसे मिले जो कहते हैं कि जिंदगी में नंबर कोई मायने नहीं रखते, तुम कक्षा में पहले आते हो या फिर दूसरे इससे भविष्य में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन मेरे लिए कक्षा में पहला आना या फिर दूसरा आना काफी मायने रखता था क्योंकि यही एक तरीका था जिससे में समाज के उस वर्ग के लोगों का मुँह बंद करा सकती थी जो महिलाओं को कमजोर और बेवकूफ समझते हैं। यह उन लोगों को सीधा जवाब था जिन्होंने मेरे पढ़ने पर ऊंगली उठाई थी। शिक्षा ने मुझे यह समझने में मदद करी है कि मेरे अधिकार क्या हैं? और मुझे किस तरह से अपने जीवन के निर्णय लेने का हक है।
नारीवाद के साथ मेरी यात्रा
मेरी व्यक्तिगत उपलब्धियां भी मेरे नारीवाद को समझने के सफर का एक हिस्सा रही हैं। मैंने जब-जब खुद के लिए कुछ प्राप्त किया तो यह समझ आया कि मैं अपने जीवन की मालिक खुद हूं। इन चार सालों में जब मैं घर से अकेले दूर रह रही हूं, यह समझ आया कि नारीवाद सिर्फ एक विचारधारा नहीं है बल्कि यह एक ऐसी भावना है जो जीवन में खुश रहने और सफलता प्राप्त करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। समाज ने हमेशा से महिला को एक दायरे में बंद रखना चाहा है लेकिन नारीवादी विचारधारा इस दायरे से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। जब मैंने अपने पसंदीदा करियर का चयन किया, घर से दूर अकेले रहने का निर्णय लिया, तब मुझे महसूस हुआ कि मेरा आत्मविश्वास ही मेरी सबसे बड़ी शक्ति है। यही आत्मविश्वास मुझे फेमिनिस्ट जॉय का एहसास कराता है।
नारीवाद के अनुसार सिर्फ खुद की उन्नति करना काफी नहीं है, बल्कि समाज और परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पूरा करना, समाज में सुधार लाना भी है। मुझे हमेशा से ऐसा लगता था कि जिस दिन मैं अपने आत्मविश्वास और सफलता से कुछ अच्छा कर सकती हूँ तो वह सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि समाज और मेरे परिवार के लिए भी फायदेमंद होना चाहिए। मैं अपने गाँव से पहली लड़की थी जो घर से दूर अकेले रहने गई थी, अब मुझे यह देखकर खुशी होती है कि मेरे और मेरे माता-पिता द्वारा उठाया गया यह कदम, कई लड़कियों के आत्मविश्वास को जागा रहा है और उन्हे जीवन में कुछ करने के लिए प्रेरित कर रहा है। मेरी उपलब्धियों और आत्मविश्वास ने मुझे अपने परिवार और समाज के प्रति और जिम्मेदार बनाया है।
संघर्ष और चुनौतियां
मेरे सफर में अभी तक काफी चुनौतियां आई और आगे भी आएंगी। मुझे याद है, जब मैं कक्षा आठ में थी, हॉस्टल के सीनियर बच्चों की वजह से इतनी परेशान हो गई थी कि मैंने स्कूल बदलने का मन बना लिया था। लेकिन फिर मम्मी-पापा की बातों को याद करके मैंने उस परिस्थिति को हराने की ठान ली और कक्षा 12वीं तक उसी हॉस्टल में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी करी। मेरे लिए नारीवाद सिर्फ एक शब्द नहीं है। जब भी मैं पीछे मुड़ कर देखती हूँ, तो मुझे यह एहसास होता है कि मेरे फेमिनिस्ट जॉय का असली कारण जीवन में आई चुनौतियां, आत्मविश्वास और उपलब्धियां है। नारीवाद मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसने मुझे खुद से मिलवाया, खुद को पहचाने में मदद करी। मेरा आत्मविश्वास और सफलता इस बात को प्रमाणित करती हैं कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है, बस उन्हें खुद को पहचानने की ज़रूरत है।