नारीवाद मेरा फेमिनिस्ट जॉय: मेरी रगों में दौड़ती कला, मेरी खुशी!

मेरा फेमिनिस्ट जॉय: मेरी रगों में दौड़ती कला, मेरी खुशी!

जब भी मुझे मानसिक अशांति महसूस होती है, मैं पेंटिंग करने लगती हूं। मेरे रंग मुझे परेशानियों से लड़ने की ताकत देते हैं। पेंटिंग करने के बाद मैं खुद को तरोताज़ा महसूस करती हूं और एक असीम शांति का अनुभव करती हूं।

जब भी मुझे मानसिक अशांति महसूस होती है, मैं पेंटिंग करने लगती हूं। मेरे रंग मुझे परेशानियों से लड़ने की ताकत देते हैं। पेंटिंग करने के बाद मैं खुद को तरोताज़ा महसूस करती हूं और एक असीम शांति का अनुभव करती हूं। ऐसा लगता है कि मेरी कला मुझे संवारे या बर्बाद करे, लेकिन इसका मेरे रगों में खून बनकर दौड़ना जरूरी है। बचपन से ही मेरा पेंटिंग के प्रति झुकाव था। गणित, विज्ञान, अंग्रेजी और भूगोल जैसे विषयों में मेरे अंक कम आते थे। वहीं दूसरी ओर हिंदी, इतिहास, संस्कृत और खासकर कला में मेरे अच्छे अंक आते थे। मुझे आज भी याद है कि गणित की कक्षा के दौरान मेरे अंदर की क्रांतिकारी कलाकार जाग उठती थी। क्लास चलती रहती, और मैं अपनी कॉपी पर चित्र बनाती रहती।

कला के प्रति मेरे प्रेम

साइंस का विषय मुझे थोड़ा पसंद था क्योंकि उसमें डायग्राम्स बनाने होते थे। डायग्राम की वजह से विषय जल्दी समझ में आता और याद भी रहता। 12वीं के बाद मेरा मन फाइन आर्ट्स या फैशन डिजाइनिंग पढ़ने का था। लेकिन घरवालों ने इसे करियर बनाने के लिए उपयुक्त विषय नहीं माना। हालांकि, टीवी, रेडियो, लेखन और खोजी विषयों में रुचि थी। हिंदी से मेरा प्रेम पहले से ही था। इसलिए, मैंने जनसंचार और पत्रकारिता में ग्रेजुएशन किया। कला के प्रति मेरे प्रेम को देखकर हमारे पंडितजी ने एक बार कहा था कि कला ईश्वर का ही रूप है। अगर इसे ईश्वर को समर्पित कर दो तो यह कभी कलह नहीं बनती। उनके इस कथन ने मुझे कला के प्रति एक नई दृष्टि दी। मैंने कला को साधना के रूप में अपनाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे लोग मेरे नाम के बजाय मेरी कला से मुझे पहचानने लगे। यह मेरे लिए बड़ी उपलब्धि थी।

उनके इस कथन ने मुझे कला के प्रति एक नई दृष्टि दी। मैंने कला को साधना के रूप में अपनाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे लोग मेरे नाम के बजाय मेरी कला से मुझे पहचानने लगे। यह मेरे लिए बड़ी उपलब्धि थी।

कला में नारीवाद और ईश्वर की छवि

तस्वीर साभार: Canva

अपनी पेंटिंग्स में मैंने अक्सर नारीवाद और ईश्वर को प्राथमिकता देने का प्रयास किया है। मेरी शिक्षा और कार्यक्षेत्र में नारियों का हमेशा से मार्गदर्शन रहा। इसलिए मेरा यह प्रयास रहता है कि मैं उनके जीवन के विभिन्न आयामों को अपनी कलाकृतियों में उकेर सकूं। कला के प्रति मेरा प्रेम बचपन से ही रहा। मुझे याद है कि हमारे घर के हॉल में कई देवी-देवताओं के चित्र लगे हुए थे। इनमें से मेरे प्रिय चित्रों में से एक था, जिसमें मीरा कृष्ण की पूजा कर रही थीं। मैं घंटों इस चित्र को निहारती रहती थी। यहीं से देवी-देवताओं के चित्र बनाने की मेरी यात्रा शुरू हुई। एक बार मेरे रिश्तेदार ने मुझे देवी का चित्र बनाने को कहा। मैंने वह चित्र बनाकर दिया, जिसे उन्होंने अपने घर के मंदिर में रखा और उसकी पूजा की। मेरे लिए यह सबसे बड़ी उपलब्धि थी। एक कलाकार के लिए यह बहुत सम्मानजनक है कि उसके चित्र की पूजा की जाए।

कला और लेखन का संगम

पढ़ने-लिखने का शौक हमेशा से रहा है। मैं कविताएं और कहानियाँ लिखती रहती हूं। लिखते समय अक्सर मेरे दिमाग में किरदार का चित्र उभरता है। यही कारण है कि मेरी कहानियों और कविताओं का प्रभाव मेरी पेंटिंग्स में भी झलकता है। नारीवाद पर लिखना और उसकी अभिव्यक्ति पेंटिंग्स के माध्यम से करना मुझे बेहद पसंद है। पिचवई और मधुबनी पेंटिंग की विधाएं मुझे बहुत पसंद हैं। इसके अलावा आधुनिक कला में इलस्ट्रेशन विशेष रूप से आकर्षित करता है। फेसलेस इलस्ट्रेशन, जिसमें शरीर के आकार तो होते हैं लेकिन चेहरे नहीं, मुझे अपनी कहानियों के भाव को व्यक्त करने के लिए उपयुक्त माध्यम लगते हैं।

एक बार मेरे रिश्तेदार ने मुझे देवी का चित्र बनाने को कहा। मैंने वह चित्र बनाकर दिया, जिसे उन्होंने अपने घर के मंदिर में रखा और उसकी पूजा की। मेरे लिए यह सबसे बड़ी उपलब्धि थी। एक कलाकार के लिए यह बहुत सम्मानजनक है कि उसके चित्र की पूजा की जाए।

कला से जुड़ी प्रेरणाएं

सोशल मीडिया या यात्रा के दौरान अगर मुझे कोई अच्छी पेंटिंग दिखती है, तो मैं उसकी तस्वीर खींचकर रख लेती हूं। बाद में घर आकर उसे बनाने की प्रैक्टिस करती हूं। मुझे विभिन्न प्रकार के चित्र बनाने का शौक है। कला ने मुझे हमेशा नई ऊर्जा दी है।जब भी मैं किसी को अपनी बनाई हुई पेंटिंग उपहार में देती हूं और उसकी प्रशंसा सुनती हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है। मेरे जीवन में लोगों से प्रेम मिलने का सबसे बड़ा कारण मेरी कला है।

कला और करियर का संतुलन

पढ़ाई के दौरान मैंने कभी भी कला से समझौता नहीं किया। मुझे दोनों को साथ लेकर चलने का मौका मिला। मेरी प्रोफेशनल और व्यक्तिगत जिंदगी में कला ने हमेशा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके कारण मुझे कला जगत के कई प्रतिष्ठित लोगों से मिलने का अवसर मिला। उनसे मुझे न केवल प्रेरणा मिली, बल्कि उनके व्यवहार और व्यक्तित्व का एक अंश मुझमें भी समाहित हुआ।

फेसलेस इलस्ट्रेशन, जिसमें शरीर के आकार तो होते हैं लेकिन चेहरे नहीं, मुझे अपनी कहानियों के भाव को व्यक्त करने के लिए उपयुक्त माध्यम लगते हैं।

मेरे लिए कला सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि जीने का तरीका है। यह मेरे लिए आत्म-अभिव्यक्ति का माध्यम है। मेरे पेशेवर जीवन में लेखन जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही मेरी कला भी। एक लेखिका और एक कलाकार के रूप में मैं दोनों भूमिकाओं को संतुलित तरीके से निभाने की कोशिश करती हूं। कला ने न केवल मुझे पहचान दी है, बल्कि लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान भी बनाया है। इसके माध्यम से मैंने न केवल आत्मसंतुष्टि पाई है, बल्कि समाज को भी सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया है। कला, मेरे लिए जीवन है। यह मुझे शक्ति, शांति और प्रेम का एहसास कराती है।

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