आखिर क्यों घरेलू हिंसा को सही ठहराती हैं महिलाएं?
घरेलू हिंसा को सही ठहराने से इसका एक चक्र बन जाता है, अर्थात जिस घर में घरेलू हिंसा सामान्यीकृत कर दी जाती है उस घर के बच्चे इसे उसी रूप में आत्मसात कर लेते हैं। भविष्य में गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने पर वे भी उसी प्रकार के व्यवहारों को दोहराते हैं, जिसे जैसा वे अपने माता-पिता को करते हुए देखते हैं। घरेलू हिंसा से ग्रस्त घरों के माहौल में एक क़िस्म का तनाव बना रहता है।