ट्रांस समुदाय के लोगों के साथ अपनी लैंगिक पहचान के कारण हर क्षेत्र में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। खेल का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। यहां तक कि आईओसी (अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति) भी उनके प्रति उदासीन है।
बच्चे के स्वास्थ्य और जीवन को सुरक्षित रखने के लिए स्तनपान सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। लेकिन विभिन्न संस्थाएं और स्वास्थ्य विशेषज्ञ आज स्तनपान को सिर्फ माँओं की एकल ज़िम्मेदारी नहीं मान रहे। आज इस बात पर ज़ोर दिया जा रहा है कि स्वाभाविक रूप से स्तनपान में परिवार, समुदाय, स्वास्थ्य चिकित्सक, अस्पताल, महिलाओं के काम करने और सार्वजनिक जगह और सरकार के बनाए गए कानून की भी अहम भूमिका है।
मारग्रेट सेंगर को यूरोप की यात्रा के दौरान बर्थ कंट्रोल क्लीनिक्स का दौरा करने का मौका मिला। वहीं से उनके दिमाग में ये आइडिया आया कि वे इसकी शुरुआत अपने देश में भी कर सकती है। अमेरिका में महिलाओं के लिए बर्थ कंट्रोल क्लीनिक बेहद ज़रूरी है।
समिति ने सुझाव दिया है कि ‘नाजायज़’ शब्द को हटा देना चाहिए क्योंकि कोई भी बच्चा नाजायज़ नहीं होता है। कानून सभी बच्चों के लिए समान होना चाहिए चाहे वे विवाह के रिश्ते के भीतर हुए हो या बाहर पैदा हुए हों।
आशा बताती हैं, “12 महीने में सिर्फ 4 महीने हम डांस प्रोग्राम करते हैं बाकी के 8 महीने हम बेरोज़गार रहते हैं। लेकिन मैंने अपनी माँ से कढ़ाई करना सीख लिया है और अब मैं यह बाकी लड़कियों को भी सिखाती हूं ताकि वे अपने जीवन के हर मुकाम को हासिल कर सकें। लॉकडाउन में मैंने ऑनलाइन क्लास भी शुरू की। आज भारत से ही नहीं बल्कि विदेशों में भी कालबेलिया नृत्य को लोग बहुत पसंद करते हैं और मुझ से ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से क्लास लेते हैं।“
आज जब छद्म राष्ट्रवादियों द्वारा मुस्लिमों की देशभक्ति पर सवाल उठाया जा रहा हो तो ऐसे में अल्पसंख्यक समुदाय से आनेवाली सुरैया तैयबजी को याद करना और देश के प्रति उनके इस योगदान को लोगों के सामने लाना बेहद जरूरी हो जाता है।
संविधान सभा में हम उन प्रमुख पंद्रह महिला सदस्यों का योगदान आसानी से भुला चुके है या यों कहें कि हमने कभी इसे याद करने या तलाशने की जहमत नहीं की| तो आइये जानते है उन पन्द्रह भारतीय महिलाओं के बारे में जिन्होंने संविधान निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दिया है|
विश्वविद्यालय ने यह निर्णय लिया कि प्रोफेसर की निजी तस्वीरें 'आपत्तिजनक' हैं। इस बुनियाद पर उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया। ख़बरों के मुताबिक कथित रूप से 'आपत्तिजनक' बताई गई तस्वीरें उनकी निजी तस्वीरें थी जो स्विमसूट, शॉर्ट्स और जिम के कपड़ों में ली गई थीं। उन्होंने ये तस्वीरें अपने इंस्टाग्राम स्टोरीज़ के रूप में साझा की थीं।
नारीवाद के बारे में सभी ने सुना होगा। मगर यह है क्या? इसके दर्शन और सिद्धांत के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम। इसे पूरी तरह जाने और समझे बिना नारीवाद पर कोई भी बहस या विमर्श बेमानी है। नव उदारवाद के बाद भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आए बदलाव के बाद इन सिद्धांतों को जानना अब और भी जरूरी हो गया है।
"अब तक मेरे व्यक्तित्व को पितृसत्ता की बेड़ियों ने इस प्रकार जकड़ा था कि उससे खुद को मुक्त करा पाना मेरे लिए कठिन कार्य था। अब मैं न केवल अपने साथ बल्कि अपने आसपास औरतों के साथ होनेवाले अत्याचार, मानसिक और सामाजिक उत्पीड़न को ठीक तरह से समझ पा रही थी।"
डॉ. नल्लथंबी कलईसेल्वी ने विज्ञान के कार्यक्षेत्र में एक और बाधा पार करते हुए सीएसआईआर के महानिदेशक के पदभार को संभाल कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया हैं। इस पद पर पहुंचने वाली वाली वह पहली महिला हैं।