
मेरा फेमिनिस्ट जॉय: मेरी लेखनी, नारीवादी समझ और जीवन में बदलाव
मैं एक ऐसे इलाके से आती हूं जहां लड़कियों को आज़ादी मिलना आसान नहीं है। अगर कभी-कभार यह आज़ादी मिल भी जाए, तो वह पूरी तरह से अपनी नहीं होती। यहां आज़ादी कोई हक़ नहीं, बल्कि एक उधार की चीज़ है, जिसे किसी भी समय वापस लिया जा सकता है।