अमूमन महिलाओं के अवैतनिक कामों को हमारा पितृसत्तात्मक समाज ममता, त्याग, समर्पण, प्यार, फ़र्ज़ और परिवारवाद से जोड़ता है। यही नहीं, गरीब और बेसहारा महिलाएं हमेशा से हमारे बॉलीवुड और टेलीविज़न की दुनिया या इंस्टाग्राम पर भी कहानियों के पसंदीदा किरदार बन चुकी हैं।
भारत में पर्वतारोहण का पर्याय बन चुकी बछेंद्री पाल के लिए हालांकि पर्वतारोही बनना आसान नहीं था। उनके पर्वतारोही बनने के फैसले की न केवल आलोचना की गई बल्कि उनको इसके लिए सक्षम भी नहीं माना गया था। लेकिन तमाम सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए बछेंद्री पाल ने कभी मुड़कर नहीं देखा और हमेशा अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ती रही और जीवन में एक के बाद एक ऊंचाईयों को छूआ।
जब उर्मिला पवार की आत्मकथात्मक रचना ऐदान पहली बार प्रकाशित हुई, तो इससे समाज में पुरुषों और महिलाओं के बीच समान रूप से बेचैनी की लहरें उठी। एक दलित महिला के रूप में, पवार ने अपने जीवन के अनुभवों के बारे में लिखा, उन्हें अंतरंग और स्पष्ट रूप से व्यक्त करने का साहस किया। यही वह बिंदु था जहां से जाति, समाज के खिलाफ दलित कथाएं दुनिया के लिए स्पष्ट हो गईं।
कम पढ़ी-लिखी और गरीब तबके से आने वाली अल्हड़ सी दिखती लाली की ‘रातरानी’ के ज़रिए अपने मालकिन को अपने टूटे शादी के रिश्ते से उबरने और खुद को जीने का संदेश देती है।
संविधान सभा में हम उन प्रमुख पंद्रह महिला सदस्यों का योगदान आसानी से भुला चुके है या यों कहें कि हमने कभी इसे याद करने या तलाशने की जहमत नहीं की| तो आइये जानते है उन पन्द्रह भारतीय महिलाओं के बारे में जिन्होंने संविधान निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दिया है|
नारीवाद के बारे में सभी ने सुना होगा। मगर यह है क्या? इसके दर्शन और सिद्धांत के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम। इसे पूरी तरह जाने और समझे बिना नारीवाद पर कोई भी बहस या विमर्श बेमानी है। नव उदारवाद के बाद भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आए बदलाव के बाद इन सिद्धांतों को जानना अब और भी जरूरी हो गया है।
नारीवाद के बारे में सभी ने सुना होगा। मगर यह है क्या? इसके दर्शन और सिद्धांत के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम। इसे पूरी तरह जाने और समझे बिना नारीवाद पर कोई भी बहस या विमर्श बेमानी है। नव उदारवाद के बाद भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आए बदलाव के बाद इन सिद्धांतों को जानना अब और भी जरूरी हो गया है।
राजामणि की लगन से बोस बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने राजामणि को इंडियन नैशनल आर्मी में शामिल कर लिया। शुरू में राजामणि को आईएनए से बेसिक मेडिकल ट्रेनिंग के बाद डिस्पेसरी विभाग में नर्स के पद पर भर्ती किया गया। शुरुआती दिनों में वह घायल सैनिक के घाव पर मरहम पट्टी करती थी लेकिन राजामणि इससे संतुष्ठ नहीं थीं वह इससे अधिक कुछ करना चाहती थी।
डिस्ट्रिक्ट और अपीलीय न्यायालयों में सेवाएं दे चुकीं जैक्सन अमेरिका की टॉप कोर्ट के लिए नामित होने वाली पहली ब्लैक महिला हैं। यहां तक पहुंचने में उनकी कड़ी मेहनत और कानून में विश्वास की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।