नारीवाद इन 8 आदतों से बन जाइये थोड़ी-सी ‘फेमिनिस्ट’

इन 8 आदतों से बन जाइये थोड़ी-सी ‘फेमिनिस्ट’

आपके साथ क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपने महिला-अधिकारों या महिला-पुरुष समानता की बात की हो और आपके किसी दोस्त ने तुरंत कहा हो कि ‘ज्यादा फेमिनिस्ट मत बनो|’ पर समान अधिकारों की बात करने में कुछ भी गलत नहीं है| और अगर ऐसा करना आपको ‘फेमिनिस्ट’ बनाता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है|

आपके साथ क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपने महिला-अधिकारों या महिला-पुरुष समानता की बात की हो और आपके किसी दोस्त ने तुरंत कहा हो कि ‘ज्यादा फेमिनिस्ट मत बनो|’ पर समान अधिकारों की बात करने में कुछ भी गलत नहीं है| और अगर ऐसा करना आपको ‘फेमिनिस्ट’ बनाता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है|

उल्लेखनीय है कि फेमिनिज्म या नारीवाद का मतलब सिर्फ आंदोलन की बात करना या पुरुषों को नीचा दिखाना नहीं है| बल्कि, इसका संबंध स्त्री-पुरुष समानता की विचारधारा में विश्वास करने से है| और नारीवाद ही हमें बता सकता है कि किस समाज में नारी-सशक्तीकरण के कौन-कौन से तरीके या रणनीति अपनाई जानी चाहिये।

नारीवाद की उपयोगिता एक शब्द और विचारधारा से कहीं ज्यादा है| यह जीवन जीने का एक ऐसा तरीका है, जिसके ज़रिए आप उस सामाजिक बदलाव की ओर कदम बढ़ाती है जैसा समाज आप चाहती है| बेहद छोटी-छोटी आदतों के ज़रिए आप नारीवाद को अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा बना सकती है| पर वो आदतें कौन-सी हो? आइये जानें –

1. महिला-केंद्रित किताबों व लेखों को बनाये अपनी पक्की सहेली

कहते है किताबों से अच्छा और सच्चा दोस्त कोई नहीं होता| क्योंकि ये कभी आपका साथ नहीं छोड़ती| किताबें आपके सोचने-समझने की जड़ों को मजबूत करती है| इसलिए फेमिनिस्ट बनने के लिए यह ज़रूरी है कि महिला-केंद्रित विषयों पर लिखी किताबें और लेखों का अधिक से अधिक अध्ययन किया जाए, जिससे इस विषय पर आपकी अच्छी समझ विकसित हो सके|

2. नारीवादी मुद्दों पर करें बातें

अपनी महिला-मित्रों से महिलाओं के अधिकारों या उनसे जुड़े मुद्दों के बारे में बातें करें| अपनी कामवाली को बचत के नुस्खे बतायें और अपने सहकर्मी से पुरुष-महिला को बराबर वेतन मिलने या कार्यस्थल पर उनके अधिकारों के बारे में चर्चा करें| या फिर सोशल मीडिया पर किसी फेमिनिस्ट ग्रुप को फॉलो करके भी आप नारीवाद को बढ़ाने में अपनी भूमिका अदा कर सकती हैं|

3. महिला-विषयक फिल्म और डाक्यूमेंट्री की बने नियमित दर्शक

फ़िल्में समाज का आईना होती है| पर कई बार फ़िल्में समाज को आईना दिखाने का भी काम करती है| यह भी सच है कि फ़िल्में हमारे विचार-व्यवहार को सक्रियता से प्रभावित करती हैं| ऐसे में, महिला-विषयक फिल्म और डाक्यूमेंट्री के ज़रिए आप महिला-स्थिति व उनसे जुड़े मुद्दों का विश्लेषण भलीभांति कर सकती है|

4. बोलें बेबाक

अपने विचार एवं मत को साझा करने में कभी न हिचकें| जो बातें आपको खराब लगें या किसी विचार से आप सहमत न हो तो उसपर अपनी बातों को बेबाकी के साथ रखें| महिला संबंधित मुद्दों पर होने वाली बातचीत में बढ़चढ़कर हिस्सा लें|

5. खुद से करें प्यार और निकालें ‘अपना वक़्त’

अपनी ज़िंदगी के लिए सिर्फ यह बात हमेशा कायम रखें कि आप सुंदर है| और हमेशा खुद से प्यार करें| अपने तन और मन को अपने हिसाब से ढालें न कि दुनिया के हिसाब से| साथ ही, कोशिश करें कि दिनभर में कुछ समय ऐसा हो जो आपका अपना वक़्त हो, जिसमें आप अपना पसंदीदा काम कर सकें| साथ ही, आप अपने विचारों और रुचियों को भी समय दे सकें| |

6. ‘ना’ कहना सीखें

अगर आपको किसी व्यक्ति का व्यवहार, प्रस्ताव या बातें उचित न लगें तो उन्हें बिना डरे ‘ना’ कहना सीखें| यह न केवल आपको मानसिक तौर पर सशक्त करेगा बल्कि दूसरों के सामने भी आपका सशक्त व्यक्तित्व प्रस्तुत करने में मदद करेगा|

7. दूसरी महिलाओं को करें सशक्त

आप अपने घर या ऑफिस में साथ काम करने वाली या जान-पहचान की महिलाओं को उनकी समस्याओं को समझकर उनकी मदद करने की कोशिश करें, जिससे वे आत्मनिर्भर बने और आगे बढ़ सके| महिलाओं के लिए काम करने स्वंयसेवी संगठन से भी जुड़कर आप समाज में अपना योगदान दे सकती है| इससे आपके ज़रिए नारीवाद को भी बढ़ावा मिलेगा|

8. साझेदारी का बनाये हर रिश्ता

‘रिश्ता’ चाहे आपके और पार्टनर के साथ हो या अपने बच्चों के साथ हो| हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि खासतौर पर जिम्मेदारी और कर्तव्यों के संदर्भ में वह साझेदारी का हो| पार्टनर या बच्चों को अपने व्यवहार के ज़रिए यह सिखाएं कि उनका लड़का या लड़की होना, उन्हें किसी ख़ास तरह की सुविधा न तो देगा और न उससे वंचित रखेगा| घर के कामों का बंटवारा करें|

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