कला के सन्दर्भ में अक्सर कहा जाता है कि ये इंसान को जिन्दा रखने का काम करती है, जब उसकी साँसें चलती है तब भी और जब नहीं चलती है तब भी| कला संचार का एक प्रभावी साधन है| ‘संचार’ इंसान के विचार का और समाज के चेहरे का| जी हाँ समाज का वो चेहरा, जिसे देखने का हर इंसान का अपना अलग नजरिया होता है, लेकिन उसे समझकर-महसूस करके अपनी कला में उकेरने का हुनर सिर्फ एक सच्चे कलाकार में ही होता है|
आज हम अपने इस लेख के माध्यम से भी 6 ऐसे कलाकारों की कला से आपको रु-ब-रु करवाएंगे, जिन्होंने महिलाओं के जुड़े कई पहलुओं को अपनी कला से एक नयी परिभाषा और उसे पेश करने की नयी भाषा दी है और अपनी बेबाक-बेहतरीन रचनाओं को इस साल मील के पत्थर बना दिया|
1- बेबाक संदेश वाला मेन्स्त्रुअल कप
उस कलाकार ने खुद को ‘लयला फ्रीचाइल्ड’ नाम दिया है| उन्होंने अपने काम ‘प्रयाग’ के ज़रिए मासिकधर्म से जुड़े प्रबन्धन के साधनों से पनपने वाले कचड़े को रोकने के लिए मेन्स्त्रुअल कप की एक बड़ी आकृति तैयार की है| पीरियड एक ऐसा विषय है जिसे हमारे समाज में शर्म का विषय माना जाता है, ऐसे में इससे जुड़े मेन्स्त्रुअल कप को इतनी बड़ी आकृति का बनाना लयला के संदेश को और सशक्त बना देता है| आप लयला के और काम को फेसबुक पर देख सकते हैं|
2- सैम मधु की ‘गोडेस सीरिज’
न्यूयार्क में रहने वाले कलाकार सैम मधु ने देवियों की रूप ‘काली’ की बनायी| ये तस्वीर हाल ही में खूब चर्चा में रही| मधु में एक इंटरव्यू में बताया था कि इस सीरिज में उन्होंने महिला को देवी काली के रूप में प्रस्तुत किया है जो शक्ति और आत्मनिर्भरता की प्रतीक है| आप सैम के और काम को उनकी वेबसाइट और इन्स्टाग्राम पर देख सकते हैं|
3- प्रियंका ने बनाया अपने लिए नियम
स्वाधीनता दिवस पर प्रियंका पाल ने अपनी कविताओं और कला के ज़रिए भारतीय समाज की कड़वी सच्चाई को उकेरा, जब हैवानियत की हद को पारकर औरत के चेहरे पर तेजाब फेंक दिया जाता है| उन्होंने देश के लिए इस खास दिन को अपनी कला प्रदर्शित करने के लिए चुना, जो जाने-अनजाने में सीधे तौर पर स्वत्रंत देश की परतंत्र महिलाओं के कई सवाल खड़े करती है| आप प्रियंका की और रचनाओं को इन्स्टाग्राम पर देख सकते हैं|
4- ‘ओह नारी! बेहद संस्कारी’
युवा कलाकार अनुष्का हार्दिकर ये मानती है कि मौजूदा समय में महिलाओं को अपने मुद्दों पर बोलना शुरू करना है| अब समय है कि हम सालों से हमारे व्यवहार-व्यक्तित्व की गढ़ी हुई परिभाषा को बदलें, वो परिभाषा जहाँ चुप रहना और सब कुछ सहना महिला को ‘संस्कारी’ बनाता है| अनुष्का के बारे आप इन्स्टाग्राम और वेबसाइट में देख सकते हैं|
5- प्यार सिर्फ प्यार होता है
कलाकार वीर मिश्रा का ये मानना है कि ‘प्यार सिर्फ प्यार होता है|’ इसी किसी भी सांचे में ढालना ठीक नहीं है| उन्होंने अपनी कला के माध्यम से समलैंगिकता के मुद्दे को बेबाकी को सामने रखा है| आप वीर के और काम को Behance में भी देख सकते है|
6- स्वीकारना होगा ‘खून का बहते जाना’
युवा कलाकार सराह नकवी ये मानती है कि जब हमारे समाज में महिला को देवी के रूप में माना जाता है तो उसके रूप को स्वीकार क्यों नहीं किया जाता है, उन्होंने अपनी कला के माध्यम से मासिकधर्म के मुद्दे को उठाया है, जिसे महिला के अलग मानकर इससे संबंधित प्रबन्धन पर टैक्स लगाया जा रहा है| आप सराह के और काम को इन्स्टाग्राम में भी देख सकते हैं|
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