इंटरसेक्शनलयौनिकता नेपाल में प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी युवाओं और किशोरों की अभिलाषाएं

नेपाल में प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी युवाओं और किशोरों की अभिलाषाएं

नेपाल में किशोरों को अक्सर बेहद निर्धनता, शिक्षा के सीमित अवसर, सीमित स्वास्थ्य सेवाएं और बंधनकारी सामाजिक और यौन मान्यताओं का सामना करना पड़ता है|

प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े बहुत से कार्यक्रमों में किशोरावस्था की लड़कियों को केवल ऐसे देखा—समझा जाता है कि उन्हें हमेशा प्रजनन स्वास्थ्य के संबंध में खतरों का ही सामना करना पड़ता है| इसके चलते जब हम किशोरावस्था की लड़कियों के संदर्भ में सिर्फ जोखिमपूर्ण व्यवहारों पर ध्यान देते है तो हम कभी भी उनकी ज़िन्दगी से जुड़ी पूरी जानकारी नहीं ले पाते है| शायद यही वजह रही है कि इससे पहले चलाए गये प्रजनन स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सीमित सफलता ही मिल पाई है| ऐसे में मौजूदा समय में नेपाल में चलाए जा रहे सर्वे से मिलने वाले आंकड़ों के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि युवा महिलाओं के जीवन और उनकी अभिलाषा को व्यापक रूप से समझना और सुलझाना प्रजनन स्वास्थ्य कार्यक्रमों में सकारात्मक बदलाव लाने में मददगार साबित हो सकता है |

नेपाल में किशोरों को अक्सर बेहद निर्धनता, शिक्षा के सीमित अवसर, सीमित स्वास्थ्य सेवाएं और बंधनकारी सामाजिक और यौन मान्यताओं का सामना करना पड़ता है| नेपाल दुनिया के सबसे कम विकसित देशों में से एक है जहाँ प्रति व्यक्ति वार्षिक आय करीब 200 अमरीकी डॉलर मात्र है| यहाँ की 22 मिलियन जनसंख्या में से अनुमानत: 42 फीसद लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन निर्वाह करते हैं| नेपाल में साक्षरता, स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन के संदर्भ में, खासतौर पर महिलाओं की हालत ज्यादा दयनीय है| 15 साल की उम्र से अधिक के किशोरों में साक्षरता के 54 फीसद स्तर में अनुपात में इसी उम्र की केवल 19 फीसद महिलाएं साक्षर है| महिलाओं की औसत उम्र 53.3 साल है, जबकि पुरुषों की 55 साल है| प्रति एक लाख जीवित बच्चों के जन्म पर 500 की मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर की तरह ही बहुत अधिक बनी हुई है|

युवाओं के बीच मौजूद आकांक्षाएं और अभिलाषाएं ही नकारात्मक व्यवहारों से अधिक सकारात्मक प्रजनन स्वास्थ्य परिणामों की ओर आगे बढ़ने का ज़रिया बन सकती है|  

नेपाल में किशोरों की ज़रूरत खास हैं क्योंकि कुल जनसंख्या में से 42 फीसद लोगों की उम्र 15 साल से कम है| यहाँ शादी की प्रथा आम है और यों तो शादी की उम्र में बढ़ोतरी हो रही है फिर भी यहाँ औसतन 16 साल की उम्र तक लड़कियों की शादी कर दी जाती है | करीब 20 साल की उम्र तक 52 फीसद लड़कियां संतानोत्पत्ति शुरू कर देती हैं| शिशुओं को जन्म देने वाली 20 साल से कम उम्र की 55 फीसद लड़कियों ने प्रसव से पहले जांच किये जाने की जानकारी दी, जिसके अनुसार 14 फीसद मामलों में प्रसव के समय प्रशिक्षित कमर्चारी उपलब्ध थे और केवल 9 फीसद के प्रसव किसी स्वास्थ्य केंद्र में कराए गये| 15-19 साल की उम्र के समूह में 7 फीसद से कम विवाहित लड़कियों ने किसी तरह के गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल की जानकारी दी जबकि केवल 4 फीसद ने गर्भनिरोधन के आधुनिक उपायों के इस्तेमाल की जानकारी दी |

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वहीं दूसरी तरफ, किशोरों के प्रजनन व्यवहार के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है और यौनिकता, यौन संबंधों और परिवार नियोजन के बारे में युवाओं के दृष्टिकोण को जानने के सर्वेक्षण भी बहुत कम किये जाते हैं |

किशोरों के जोखिमपूर्ण व्यवहारों और उनकी संवेदनशीलता के कारण प्रजनन स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़े लोगों का ध्यान इनकी ओर आकर्षित हुआ | इन जोखिमपूर्ण व्यवहारों में कम उम्र में अनचाहा गर्भ, असुरक्षित गर्भसमापन, यौन संचारित संक्रमण और एड्स शामिल थे| यह देखते हुए कि बहुत से युवाओं को यौनिकता और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में वास्तविकताओं का ज्ञान नहीं होता, उन्हें वयस्कों से पूरी और सही जानकारी नहीं मिल पाती है और स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक उनकी पहुंच सीमित होती है, इसलिए इनके जोखिमपूर्ण व्यवहारों पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है |

किशोरावस्था की लड़कियों को केवल ऐसे देखा—समझा जाता है कि उन्हें हमेशा प्रजनन स्वास्थ्य के संबंध में खतरों का ही सामना करना पड़ता है|

इसका एक अहम पहलू यह भी है कि किसी एक तरह के जोखिम पर ध्यान देने वाले या समस्यापूर्ण व्यवहारों को बदलने का प्रयास करने के कार्यक्रमों को केवल सीमित सफलता ही मिल पाई है, इससे लोगों की जानकारी और जागरूकता में तो बढ़ोतरी ज़रूर हुई है लेकिन उनके व्यवहारों में बदलाव ला पाना कठिन सिद्ध हुआ है| इसी वजह से इस संबंध में व्यापक रूप से ध्यान दिए जाने की दिशा में बदलाव आने लगे हैं और प्रजनन व्यवहारों के बारे में कई तरह की ‘पूर्व की जानकारियों’ जैसे स्कूली शिक्षा का महत्व, शादी के समय उम्र और स्वास्थ्य प्रणाली की खासियत के बारे में बताया गया| पर अभी भी इन कार्यक्रमों का लक्ष्य नकारात्मक परिणामों का रोकथाम करना होता है|

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इस दिशा में एक विकल्प यह है कि स्वस्थ प्रजनन प्रक्रियाओं के बारे में सटीक जानकारी व सूचना, युवाओं को सहयोगकारी सेवाओं की उपलब्धता, सोच-विचार कर उत्तरदायित्वपूर्ण फैसले ले पाने की योग्यता, दम्पतियों के बीच सेक्स, गर्भनिरोधन व संतानोत्पत्ति के विषय पर विचार-विमर्श, देरी से शादी और संतानोत्पत्ति के संदर्भ में प्रजनन परिणामों पर विचार किया जाए| इस परिवर्तनशील विषयों की परिभाषा में बदलाव करने से दूसरी तरह के निरोधकों की ओर ध्यान आकर्षित होता है, जिनमें से बहुत से तो ‘पूर्व की इन जानकारियों’ से भी ज्यादा रूढ़िवादी होते है |

गौरतलब है कि विकासशील देशों में सामाजिक और संस्थागत प्रतिबन्ध किशोरों की गतिविधियों को प्रभावित करते हैं| समाज में बदलाव होने पर व्यक्तिगत आकांक्षाएं और इच्छाएं प्राय: मौजूद मान्यताओं और संस्थाओं के सामने चुनौती का सामना करती हैं और आमतौर पर युवा लोग इस बदलाव के कारक बनते है| वास्तव में युवाओं के बीच मौजूद आकांक्षाएं और अभिलाषाएं ही नकारात्मक व्यवहारों से अधिक सकारात्मक प्रजनन स्वास्थ्य परिणामों की ओर आगे बढ़ने का ज़रिया बन सकती है|  

स्रोत : नेपाल परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 1996


यह लेख क्रिया संस्था की वार्षिक पत्रिका युवाओं के यौनिक एवं प्रजनन स्वास्थ्य व अधिकार (अंक 2, 2007) से प्रेरित है| इसका मूल लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें|

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तस्वीर साभार : thenational


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