हमारे देश में महिलाओं के लिए राजनीति को अच्छा क्षेत्र नहीं माना जाता है| इसकी कई वजहें हैं, जिसमें प्रमुख है पितृसत्ता| वो पितृसत्ता जो किसी भी महिला की सत्ता को स्वीकार नहीं करती है| उसे महिला का नेतृत्व नगवार गुजरता है, क्योंकि इस विचारधारा में महिला का स्थान हमेशा पुरुषों से कम और एक बने बनाये सांचे में ढलने-जीने को मजबूर होती है|
लेकिन इन तमाम बन्दिशो के बाद भी महिलाओं ने भारतीय राजनीति में अपना एक स्थान बनाया है| पर जब कोई महिला भारतीय राजनीति में कदम रखती है तो इतनी आसानी से उसे जगह नहीं मिलती, उसे बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है| इन मुश्किलों में सबसे अहम है महिला के चरित्र के सवाल खड़े करना|
पर हाल ही में, भारतीय राजनीति में अपनी पहली बार किसी महिला सांसद से अपनी पहली पारी में अपनी सक्रिय, प्रभावी और अमिट छाप छोड़ी है और उन महिला सांसद का नाम है – महुआ मोइत्रा|
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संसद में दिए गए दस मिनट के भाषण से सुर्खियाँ बटोरने वाली आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टी.एम.सी) की सांसद महुआ मोइत्रा को आजकल सोशल मीडिया पर काफ़ी पसंद किया जा रहा है। उन्होंने लोकसभा में पहली बार ही भाषण देकर विपक्षियों से अपने लिए वाहवाही लूट ली। मोइत्रा पश्चिम बंगाल की कृष्णा नगर सीट जीतकर साल 2019 में टी.एम.सी की सांसद बनीं हैं।
न्यूयॉर्क और लंदन में रहते हुए जे पी मॉर्गन में काम कर चुकी मोइत्रा, बैंकिंग में अच्छा खासा अनुभव रखती हैं। पर साल 2008 में भारत वापसी कर उन्होंने 2009 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़कर अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत की। मोइत्रा ने अपने जीवन का पहला चुनाव नादिया के करीमपुर क्षेत्र से पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए 2016 में लड़ा, जिसमें उन्हें 16,000 मतों से जीत हासिल हुई।
तमाम बन्दिशो के बाद भी महिलाओं ने भारतीय राजनीति में अपना एक स्थान बनाया है|
महुआ मोइत्रा क्यों चर्चा में आयीं?
25 जून को संसद में अपने पहले ही भाषण के साथ मोइत्रा ने फासीवाद, एन आर सी, बेरोज़गारी, मीडिया की स्वतंत्रता, फेक न्यूज़, राष्ट्रीय सुरक्षा व मॉब लिंचिंग जैसे अहम मुद्दों को लेकर मोदी सरकार पर सीधा निशाना साधा, जिस कारण सोशल मीडिया पर समर्थकों ने उनकी प्रशंसा की झड़ी लगा दी। भाषण देते समय विपक्ष के लगातार बाधा डालने पर भी कवि रामधारी सिंह दिनकर, शायर राहत इंदौरी और सेनानी मौलाना आज़ाद का ज़िक्र कर उन्होंने सबका दिल जीत लिया।
हालांकि यह पहली बार नहीं जब मोइत्रा चित्रांकित हुई हैं। इसके पहले वे न्यूज़ चैनल डिबेट के ज़रिये चर्चा में आयीं थी, जब उन्होंने एंकर को मिडिल फिंगर (बीच की ऊँगली ) दिखा दी थी।
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महुआ मोइत्रा: एक आकर्षक व्यक्तित्व
केवल एक भाषण से अगर मोइत्रा के व्यक्तित्व का आंकलन किया जाये तो वो निश्चित ही गलत होगा। मेसाचुसेट्स के माउंट हॉल्योक कॉलेज से पढ़ाई कर, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में अच्छी पकड़ और शान-ओ-शोहरत की ज़िन्दगी छोड़कर मोइत्रा ने जब राजनीति में आने का फैसला किया तो वो उनके लिए आसान नहीं था। पश्चिम बंगाल से विधानसभा चुनाव की टिकट मिलने पर न जाने कितने ही लोगों ने उन्हें यह ताने दिए की वे ज़मीनी स्तर पर राजनीति में फेल हो जाएंगी, पर जनादेश ने उन सभी लोगों का मुँह बंद कर दिया। इसी तरह जब लोकसभा में 63,000 मतों से उन्हें विजय प्राप्त हुई तो विपक्षी सिर्फ उन्हें ताकते रह गए।
लोगों के हिसाब से ममता बनर्जी की सबसे काबिल सांसद महुआ मोइत्रा ने अपने भाषण का अंत एन डी ए सरकार पर तंज कस्ते हुए कुछ इस प्रकार किया –
“जो आज साहिबे मसनाद हैं कल नहीं होंगे, किराएदार हैं जाति मकान थोड़ी है;
सभी का खून शामिल है यहाँ की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है।”
– राहत इंदौरी
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तस्वीर साभार : dailyindia
Ayushi is a student of B. A. (Hons.) Mass Communication and a social worker who is highly interested in positively changing the social, political, economic and environmental scenarios. She strictly believes that "breaking the shush" is the primary step towards transforming society.
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