“अरे, कहां हो? आलू उबलने के लिए नहीं रखे अब तक। सुबह की चाय भी नहीं मिली अब तक और तुम ऑनलाइन हो।”
“भैया का फोन उन्हें जल्दी वापस करो और किचन में जाकर जो मैंने काम बताया हैं, पहले वह काम कर लो।”
“उफ़, यह फिर से रोने लगा! अब इसे चुप कराऊं या किचन में जाऊं या बाकी कोई और काम करूं। मीटिंग अब शुरू ही होने वाली है और यह फिर से रोने लगा।”
“मेरी क्लास अब शुरू ही होने वाली है, मगर बच्ची रोना शुरू कर चुकी है।”
लॉकडाउन में ऑनलाइन क्लासेस, ऑनलाइन वर्क और वर्क फ्रॉम होम के दौरान होने वाली लड़कियों और महिलाओं के साथ होने वाली कुछ समस्याएं हैं, जो अभी जारी हैं। साथ ही कई कई लड़कियां इस कारण से भी पढ़ाई नहीं कर पाती हैं क्योंकि सभी लोग एक ही कमरे में रहते हैं और ऐसे में शोरगुल के कारण भी पढ़ाई नहीं हो पाती है।
अगर यह लेख कोई पुरुष पढ़ रहा है, तो वह हमें बताएं कि उनके घर में फोन को लेकर स्मार्टफोन को लेकर कैसी व्यवस्था है क्योंकि अधिकांश घरों में पहले भाई को ही फोन दिया जाता है और बहनों से कहा जाता है कि वह अपने भाई के फोन से ही अपने काम करें या किसी अपनी सहेलियों से बात करें। अभी के दौरान सभी लोग घर पर हैं और ऑनलाइन क्लास चल रहे हैं। वर्तमान समय में अगर भाई के ऑनलाइन क्लास हैं और साथ ही अगर उसकी बहन के क्लासेस भी उसी समय में है तो लड़कियों को इंतज़ार करना पड़ता है। यहां तक की बात यह है कि अधिकांश लड़कियों के क्लासेज छूट भी जाते हैं क्योंकि घर में एक फोन होने के कारण वह अपने क्लास अटेंड नहीं कर पाती हैं। ऐसे में उनकी पढ़ाई में बहुत ही ज्यादा दिक्कत आनी शुरू हो जाती है और बात यह है कि इस तरह की समस्याएं आ रही हैं मगर लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है।
मैंने अपनी एक फ्रेंड से बात किया कि उसके घर में ऑनलाइन क्लास को लेकर किस तरह की व्यवस्था है? उसने मुझे बताया कि उसके पास फोन तो है मगर उसकी छोटी बहन के पास फोन नहीं है, जिस कारण वह अपनी ऑनलाइन क्लास के लिए मेरा फोन इस्तेमाल करती है। उसने आगे बताया कि बात ऐसी नहीं है कि हम उसे फोन नहीं देना चाहते हैं बल्कि बात यह है कि अगर घर में अनेक फोन होंगे तो सभी को रिचार्ज भी करवाना होगा। साथ ही अन्य समस्याएं भी आ सकती हैं क्योंकि आजकल एक क्लिक में ही अनेकों सूचनाएं स्क्रीन के सामने रिंगनी लग जाते हैं। ऐसे में अगर बच्चे नादान हैं, तो अनहोनी का डर सताता रहता है।
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वहीं दूसरी ओर उन महिलाओं के साथ भी परेशानी हो गई है, जिनके बच्चे छोटे हैं और बात बात पर रोने लगते हैं। इन मांओं के साथ ऐसे समस्या है कि उधर इनके ऑनलाइन मीटिंग होते हैं और इधर अगर बच्चे रोना शुरू कर देते हैं, तो एक साथ दोनों चीज़ों को देखना मुश्किल हो जाता है फिर मीटिंग छोड़कर ही उठना पड़ता है। इन महिलाओं के पास उचित समाधान नहीं है, ऐसे में पुरुषों से ही उम्मीद की जा सकती है की मीटिंग के दौरान वह बच्चों को अपने पास रखें। साथ ही पति पत्नी दोनों अगर कार्यरत हैं, ऐसे में बातचीत करके ही मसले को सुलझाया जा सकता है।
एक लड़की जब पढ़ने के लिए ही घर से बाहर अपने कदमों को निकालती है, तो उसके सामने अनेकों समस्याएं खड़ी हो जाते हैं।
महिलाएं अगर सिंगल मदर हैं तो उनकी परेशानियां थोड़ी बढ़ जाती है। ऐसे में ऑफिस या कंपनी से ही बात करने पर कोई समाधान निकल सकता है। लड़कियों को आमतौर पर जल्दी स्मार्टफोन या कोई भी फोन नहीं दिया जाता है। वह अपने किसी भी दोस्त से मां, पिता या भाई के फोन से ही बात करती हैं। ऐसे में ऑनलाइन क्लास में दिक्कत होना स्वाभाविक है क्योंकि ऐसे माहौल में एकाग्रता नहीं बन पाती। लड़कियों के सिर पर दोहरी ज़िम्मेदारी होती है। एक तरफ उन्हें घर भी देखना होता है और एक तरफ अपनी कार्यों को भी निपटाना होता है। अपने काम को करने के बाद अगर वह फोन लेकर ऑनलाइन क्लास या मैसेजेस देखने बैठती हैं तो उन्हें कहा जाता है कि अब क्या फोन लेकर बैठ गई?
इस तरह से कैसी होगी इन लड़कियों की पढ़ाई? एक तरफ तो लॉक डाउन और बीमारी के कारण सभी चीज़ें रूकी पड़ी हैं और ऐसी परिस्थिति में इस प्रकार की समस्याओं का निपटारा कैसे होगा?
इस लॉक डाउन और महामारी ने हमें इतना तो बता ही दिया है कि ऑनलाइन कार्य सीखना अब जरूरी है। इसके साथ ही अब लोग टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ रहे हैं और टेक्नो सेवी भी हो रहे हैं क्योंकि जो लोग ऑनलाइन पेमेंट तक नहीं किया करते थे, वह आज ऑनलाइन सामग्री भी खरीद रहे हैं। इस लॉक डाउन के कारण लोगों में टेक्नोलॉजी को लेकर बहुत ही ज्यादा बदलाव हुए हैं और यह बदलाव सकारात्मक है।
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फिर लड़कियों को इन टेक्नॉलॉजी से दूर क्यों रखा जाए फिर चाहे वह गांव की हो या शहरों की। लड़कियों की ओर से भी सकारात्मक चीज़ें सामने आ रही हैं इसलिए ज़रूरी है कि हम लड़कियों को आगे बढ़ने में मदद करें। ग्रामीण परिवेश से जुड़ी लड़कियों के लिए कुछ कदम अवश्य उठाए जाने चाहिए ताकि उन्हें ऑनलाइन क्लास करने में परेशानी ना हो। ऐसे भी ग्रामीण परिवेश में रहने वाली लड़कियों के लिए शिक्षा उतनी सुलभ नहीं होती। उन्हें लड़कर अपनी शिक्षा प्राप्त करनी पड़ती है फिर स्मार्टफोन के कारण अगर उनकी पढ़ाई रूकती है, तो यह बेहद दुखद है।
अभिभावकों को अपने स्तर से कदम अवश्य उठाने चाहिए ताकि लड़कियों की पढ़ाई बदस्तूर जारी रहे। साथ ही कामकाजी मांओं और महिलाओं के लिए भी ऑनलाइन क्लास और ऑनलाइन वर्क में कुछ बदलाव होने चाहिए और उन्हें जटिलताओं से मुक्त रखना चाहिए।
एक लड़की जब पढ़ने के लिए ही घर से बाहर अपने कदमों को निकालती है, तो उसके सामने अनेकों समस्याएं खड़ी हो जाते हैं। बस में धक्के खाना, ऑटो में धक्के खाना, सड़क पर लोगों की नज़रें परेशान करती हैं तो कभी टीचर अपनी गरिमा भूल जाते हैं, ऐसे में लड़कियों को बहुत ही ज्यादा समस्या होती हैं। हालांकि लड़कियों ने इन समस्याओं के साथ ही जीना और इन समस्याओं को हराना भी सीख लिया है मगर मौजूदा वक्त की जो हालत हैं, वह थोड़े अलग हैं क्योंकि कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी स्थिति बदली नहीं है।
लड़कियों और महिलाओं के लिए इन विषयों पर सोचना चाहिए और आवाज़ भी उठनी चाहिए ताकि पढ़ाई या कार्यों में किसी तरह की बाधा उत्पन्न ना हो। लड़कियों का हौसला मज़बूत होता है, बात केवल इस हौसले को बनाए रखने की है।
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तस्वीर साभार : timesofindia