25 साल की सीमा (नाम बदला गया है) बेंगलूरु में रहती है। उसकी शादी को पांच साल हो गए हैं। पिछले दो साल में उसका स्वास्थ्य बहुत बिगड़ गया है। पीरियड्स आने बंद हो गए हैं। लगातार उल्टियाँ होती हैं। वज़न इतना कम हो गया है कि शरीर की हड्डियां साफ़ नजर आती हैं। सुस्ती और कमज़ोरी के साथ मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) का भी अनुभव होता है। अस्पताल में मेडिकल जांच से पता चला कि सीमा का वज़न 59 किलो से सिर्फ़ 30 किलो हो गया है। जो उसके कद और उसकी उम्र के हिसाब से बहुत ही कम है।
सीमा की इस हालत के पीछे कोई शारीरिक कारण नहीं है। जांच से पता चला कि उसने खुद ही अपना ऐसा हाल बनाया है। दो साल पहले सीमा ने खाना खाना कम कर दिया था। नियमित पौष्टिक आहार की जगह वह सिर्फ़ पानी से खुद को संतुष्ट रखने की कोशिश करती थी। अगर उसने खाना खा भी लिया होता तो बाथरूम में खुद से उलटी करवाकर या जुलाब की दवाई लेकर उसे अपने शरीर से निकालने की कोशिश करती। जब उसे ऐसा करने का कारण पूछा गया, उसने कहा कि वह वज़न घटाने की कोशिश में है। वैवाहिक जीवन की शुरुआत में उसके पति ने कहा था कि वह मोटी लगती है। वह उसकी तुलना टीवी और पत्रिकाओं की मॉडेल्स और अभिनेत्रियों से करता था। उसे यह एहसास दिलाता था कि उसे भी इन मॉडेल्स की तरह सुंदर होना चाहिए। तभी से सीमा के मन में यह बात स्थिर हो गई है कि उसे हर हाल में वज़न कम करना और सुंदर होना है। चाहे इसके लिए उसे खाना क्यों न बंद करना पड़े।
क्या है यह बीमारी?
सीमा को ‘ऐनोरेक्सीया नर्वोसा’ है। यह एक तरह की मानसिक बीमारी है, जो ‘ईटिंग डिसॉर्डर’ (खाद्य रोग) की श्रेणी में आती है। ‘ईटिंग डिसॉर्डर’ ग्रस्त लोगों में बहुत ज़्यादा या बहुत कम खाने की प्रवृत्ति होती है, जिसका प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर नज़र आता है। उसी तरह ऐनोरेक्सीया से पीड़ित लोग न के बराबर खाना खाते हैं, या खाना खाने के बाद उसे उलटी करके निकाल देते हैं, जिसका असर उनके पूरे शरीर पे नज़र आता है। खाने से दूर रहने का कारण ज्यादातर अपने शरीर से नफ़रत और वज़न कम करके ‘सुंदर’ दिखने का यह जुनून ही है। ऐनोरेक्सीया होने की संभावना औरतों को मर्दों से दस गुना ज़्यादा है। आमतौर पर यह 15 से 19 साल की लड़कियों में ज़्यादा देखा जाता है, पर इससे ज़्यादा उम्र की महिलाओं को भी हो सकता है।
और पढ़ें : एबनॉर्मल यूटराइन ब्लीडिंग : जब यूटरस से होने लगती है ‘असामान्य ब्लीडिंग’
क्यों होता है ऐसा?
ऐनोरेक्सीया का कोई एक कारण नहीं है। यह जेनेटिक हो सकता है, क्योंकि कुछ शोधों से पाया गया है कि इससे पीड़ित लोग ऐसे परिवारों से आते हैं जहां पूर्णतावाद (परफेक्शनिज़्म) का माहौल हो। जहां ‘सुंदर’ दिखने को बहुत ज़्यादा अहमियत दी जाती हो। इसके अलावा ऐनोरेक्सीया का कारण हो सकता है ऐसी संस्कृति में बड़ा होना जहां पतले होने को ही सुंदरता माना जाता है। जहां रोज़ टीवी, पत्रिकाओं, विज्ञापनों इत्यादि द्वारा बताया जाता हो कि वज़न घटाने से ही इंसान खूबसूरत हो सकता है। साथ ही अगर दोस्त, रिश्तेदार, पार्टनर जैसे करीबी लोग रोज़ चेहरे और वज़न पर टिप्पणी करें, ‘मोटी’ कहकर बुलाएं, और वज़न कम करने के लिए उकसाए, इंसान अपने शरीर की बनावट से नफ़रत करने लगता है और ऐनोरेक्सीया से ग्रस्त हो सकता है।
ऐनोरेक्सीया के लक्षण
‘डायगनॉस्टिक एण्ड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ़ मेंटल डिसॉर्डर्स’ (डीएसएम) में ऐनोरेक्सीया के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
- वज़न का उचित मूल्य से 85 फ़ीसदी कम होना
- वज़न कम होने के बावजूद मोटे हो जाने का बेबुनियाद डर
- खाना शरीर से निकालने के लिए जुलाब की गोलियों का अतिरिक्त प्रयोग
- तीन या अधिक महीनों से पर्याप्त मात्रा में खाना न खाना, या खाने के बाद उल्टी करके निकाल देना
और पढ़ें : फ़ाइब्रोमायलजिया : एक रहस्यमय बीमारी
इसके अलावा ऐनोरेक्सीया-ग्रस्त महिलाओं के पीरियड्स बंद हो जाते हैं। उन्हें डिप्रेशन, ऐंग्ज़ायटी, खुदकुशी की इच्छा जैसी मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। उनका आत्मविश्वास पूरी तरह से गिर जाता है। वे शराब, सिगरेट, और ड्रग्स का अतिरिक्त सेवन शुरू कर सकती हैं। ऐनोरेक्सीया से बिगड़े स्वास्थ्य के कारण उन्हें प्रजनन की बीमारियां, हृदय रोग, ऑस्टियोपोरॉसिस (कमज़ोर हड्डियां) जैसी शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं, जो मृत्यु का कारण बन सकती हैं। आत्महत्या के कारण भी ऐनोरेक्सीया-ग्रस्त लोगों की अकाल मृत्यु हो सकती है।
ऐनोरेक्सीया होने की संभावना औरतों को मर्दों से दस गुना ज़्यादा है। आमतौर पर यह 15 से 19 साल की लड़कियों में ज़्यादा देखा जाता है।
फिल्मी दुनिया में ऐनोरेक्सीया
ऐनोरेक्सीया मॉडलों और अभिनेत्रियों को काफ़ी हद तक प्रभावित करता है, क्योंकि उनके काम की वजह से उन पर पतला और सुंदर होने का बहुत दबाव रहता है। एक उदाहरण हैं बॉलीवुड अभिनेत्री सारा जेन डायस, जो ‘हैपी न्यू ईयर’ और ‘ऐंग्री इंडियन गॉडेसेज़’ जैसी फ़िल्मों में नज़र आईं हैं।
सारा का कहना है, ‘हमारी फ़िल्म इंडस्ट्री बहुत क्रूर है। जब मैं पहली बार यहां आई, मैं थोड़ी मोटी थी। मुझे हर शूट में बताया जाता था कि मेरे हाथ बहुत मोटे हैं। मुझे बार बार वर्कआउट करने के लिए भी कहा जाता था। मैं इस जाल में फंस गई और पतला होने के लिए क्या क्या नहीं किया! मैं हफ़्ते भर खाना नहीं खाती थी और जब खाती थी तब बहुत पछतावा होता था। खाना न खाने की वजह से मेरा शरीर कमज़ोर हो पड़ा और वज़न भी घटता-बढ़ता रहता था। बहुत देर से मुझे समझ में आया कि समस्या खाना नहीं, खाने के साथ मेरा रिश्ता है।‘
कितना खतरनाक है ऐनोरेक्सीया?
मानसिक बीमारियों में से मृत्यु की सबसे ज़्यादा संभावना ऐनोरेक्सीया से है। यह इंसान को शारीरिक और मानसिक, दोनों तरह से कमज़ोर बना देता है। और उसे सुंदरता के नाम पर खुद को नुक़सान पहुंचाने के लिए मजबूर करता है। इसका सबसे बड़ा खतरा है किशोरी लड़कियों को जिन्हें इस बीमारी के कारण बहुत कम उम्र में असहनीय पीड़ा या मृत्यु का शिकार होना पड़ता है। एक बेबुनियाद डर या आशंका की वजह से जिनकी ज़िंदगी बर्बाद हो जाती है।
हमें इस संस्कृति को बदलने की ज़रूरत है जो हमारा मूल्यांकन हमारे शरीर की बनावट के आधार पर करती है और जो हमें सिखाती है कि सिर्फ़ पतले शरीर ही सुंदर हो सकते हैं। शायद इससे और लड़कियों और औरतों को इस बीमारी का शिकार नहीं होना पड़ेगा।
और पढ़ें : टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम : एक विरल लेकिन जानलेवा बीमारी
तस्वीर साभार : therecoveryvillage
Comments: