15 अक्टूबर को पूरे देश में महिला किसान दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर आज हम आपको मिलवा रहे हैं ऐसी ही 9 महिला किसान/उद्यमियों से।
1- राजकुमारी देवी
राजकुमारी देवी उर्फ़ किसान चाचीबिहार के मुज़फ्फरपुर ज़िले की रहने वाली राजकुमारी देवी कृषि की उन्नत तकनीक और मिट्टी की गुणवत्ता की कुशल परख रखती हैं। इन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। किसान चाची का मानना है सरकार को महिला किसानों के कल्याण के लिए अभी कई काम करने की जरूरत है। जिस दिन महिला किसान अपने आप में सक्षम हो गई उस दिन किसान का पूरा परिवार भी खुशहाल हो जाएगा।
2- सुधा पांडे
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में कुंवरापुर गांव की रहने वाली सुधा पांडेय डेयरी फार्मिंग से अपना और दूसरी कई महिलाओं का भविष्य संवार रही हैं। सुधा एक डेयरी किसान के रूप में पिछले 15 वर्षों से लगातार काम कर रही हैं। डेयरी क्षेत्र में अपनी कामयाबी के लिए सुधा को उत्तर प्रदेश सरकार अब तक चार बार गोकुल पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी हैं।
3. गुलबरी गो
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में सुदूर पहाड़ी क्षेत्र के जंगलों में रहने वाली आदिवासी महिला किसान गुलबरी गो जैविक खेती करती हैं और अपने क्षेत्र की सफल किसान भी हैं। यह अपने घर में खुद जैविक खाद बनाने के साथ-साथ बाज़ार जाकर सब्जी बेचने का काम भी करती हैं।
4- ललिता सुरेश मुकाती
मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के छोटे से गांव बोरलाय की रहने वाली ललिता सुरेश मुकाती इनोवेटिव फार्मर और हलधर जैविक कृषक राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित की जा चुकी हैं। साथ ही यह खेती के गुर सीखने के लिए विदेशों की यात्रा भी कर चुकी हैं।
5- डेज़ी देवी
डेज़ी देवी बिहार में कटिहार जिले के मनसाही प्रखंड क्षेत्र में चितौरिया गांव की रहने वाली हैं। इन्होंने खुद खेती करते हुए महिला किसानों का दो समूह भी बना लिया है। यह जैविक खेती को प्राथमिकता देने के साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी खेती के लिए प्रेरित कर रही हैं।
6- सविता डकले
महाराष्ट्र की सविता डकले पूरे महिला वर्ग के लिए एक मिसाल हैं। किसान परिवार में शादी के बाद सविता ने किसानी भी की और फिर खेती के गुर सीखे भी और सिखाए भी। खेती के साथ साथ इन्होंने अपनी बेटी से अंग्रेजी सीखी और 10वीं की परीक्षा भी दी।
7- जयंती बाई
जयंती बाई छत्तीसगढ़ में बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के देवसर्राकला गांव से हैं। जयंती कहती है कि उनकी ज़िंदगी में मिर्च की खेती ने मिठास लाने का काम किया है। इस खेती से उनके आय के स्त्रोत में बढ़ोतरी हो रही है और आर्थिक स्थिति में सुधार भी।
8- नबनीता दास
असम की महिला किसान नबनीता दास कृषि क्षेत्र में अपने योगदान के लिए साल 2018 में क्षेत्र के प्रगतिशील किसान अवार्ड से सम्मानित की जा चुकी हैं। कभी पेशे से एक नर्स रह चुकी नबनीता ने खेती के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी।
9- सना मसूद
कश्मीर की सना मसूद फार्म टू यू नाम की एक कंपनी की सीईओ हैं। इनकी कंपनी कश्मीरी सेब की खेती, भंडारण और व्यापार के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव ला रही है। रूढ़िवादी समाज के बंधनों को तोड़ते हुए सना घाटी में किसानों और महिलाओं के लिए एक उम्मीद की किरण हैं।