अक्सर नारीवाद को लेकर लोगों के मन में यह आम धारणा बनी होती है कि नारीवाद का मतलब है पुरुषों का विरोध करना। कई लोग यह भी मानते हैं कि नारीवाद का मतलब है सिर्फ और सिर्फ महिलाओं से जुड़े मुद्दों की बात करना लेकिन नारीवाद सिर्फ महिलाओं के मुद्दों तक सीमित नहीं है। न ही नारीवाद का सिर्फ एक ही रूप है। इस लेख के ज़रिए आज हम जानेंगे कि नारीवाद क्या है और इसके अलग-अलग प्रकार क्या हैं?
नारीवाद का मतलब पुरुषों को नीचा दिखाना नहीं है| बल्कि इसका असल मतलब है- अन्य जेंडर के बीच समानता लाना और ये सिर्फ महिलाओं के ही नहीं बल्कि समाज के हाशिये में रहने वाले हर समुदाय में समानता लाने के संदर्भ में है|
1. इंटरसेक्शनल फेमिनिज़म
इंटरसेक्शनल फेमिनिज़म यानी समावेशी नारीवाद। इसके सिद्धांत के तहत यह अध्ययन किया जाता है कि कैसे किसी समाज की अलग-अलग शक्ति-संरचना वहां के अल्पसंख्यकों खासकर काले रंग की महिलाओं के साथ किस तरह व्यवहार करती हैं| शिक्षा के क्षेत्र में इस सिद्धांत को महत्वपूर्ण जगह दी गयी है| यह सिद्धांत मूलत: काले नारीवाद की उपज है|
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2. उदारवादी नारीवाद
उदारवादी नारीवाद पितृसत्ता के अन्य सिद्धांतों के इतिहास में उदारवादी नारीवाद का इतिहास बेहद पुराना है। यह स्त्री-पुरुष की समानता के सिद्धांत पर आधारित है। अठारहवीं सदी की शुरुआत में उदारवादी नारीवादियों ने आजादी व समानता के जनतांत्रिक मूल्यों और औरतों की अधीनता के बीच के अंतरविरोध को रेखांकित किया। महिलाओं के बारे व्याप्त ऐसी गलत धारणाओं को ठीक करने में शुरुआती उदारवादी नारीवादियों, विशेषकर मेरी वोल्स्टोन क्राफ्ट ने जोरदार ढंग से हस्तक्षेप किया।
3. समाजवादी नारीवाद
समाजवादी नारीवादियों ने न केवल महिलाओं की गुलामी के उदय के – एंगेल्स के विश्लेषण को अपनाया, बल्कि मार्क्सवादी धारणाओं को लागू कर महिलाओं के शोषण चक्र को भी समझने का प्रयास किया। ये नारीवादी, महिलाओं के उन मौजूदा विश्वासों और प्रवृत्तियों का महिमंडन नहीं करते, जिनपर पितृसत्ता विचारधारा का वर्चस्व होता है।
4. रैडिकल फेमिनिज़म/नारीवाद
”रैडिकल नारीवाद’ में ‘रैडिकल’ शब्द का मतलब ‘अतिधर्मी’ या ‘हठधर्मी’ नहीं, बल्कि ‘जड़ तक जानेवाला’ है। ये इस बात को दिखाता है कि समकालीन समाज में जेंडर पर आधारित विभेद किस तरह पूरे जीवन की संरचना करते हैं। ये पितृसत्ता द्वारा स्त्रियों के ऊपर प्रभुत्व की प्रणाली के प्रति अपने विरोध के मसले पर एकजुट हैं। रेडिकल नारीवादियों का कहना है कि पितृसत्ता के कारण महिलाओं ने भी ‘नारी गुणों’ की हकीकत को स्वीकार किया। यह पुरुष संस्कृति के मूल्यों को चुनौती देता है।
5. इको फेमिनिज़म
ईको फेमिनिज़म नारीवाद यानी पर्यावरणीय नारीवाद रेडिकल नारीवाद का विस्तृत स्वरूप है। इनके अनुसार स्त्री की अधीनता पितृसत्ता के जरिए लैंगिक शोषण से है और इसी प्रवृत्ति ने पुरुष और स्त्री के बीच स्वाभाविक जैविक भिन्नताओं पर जोर दिया है। यह धारा जोर देती है कि स्त्रियों में कुछ गुण निहित हैं, जैसे- प्रकृति से निकटता, पालन-पोषण करने के गुण, जनवादी और इकठ्ठे रहने की भावना व शांति बनाए रखना।
6. अश्वेत नारीवाद
अश्वेत नारीवाद का केंद्रीय तर्क है कि वर्गीय, नस्लीय और लैंगिक शोषण एक-दूसरे से संबंधित है। सालों से नारीवाद की प्रचलित धाराओं ने लैंगिक-शोषण पर बात करते हुए नस्लीय वर्गीय-शोषण को लगातार नजरअंदाज किया हैं। इसके बाद, साल 1974 में कॉमबाही रिवर कलेक्टिव ने यह तर्क प्रस्तुत किया कि अश्वेत स्त्री की मुक्ति के बाद ही पूरे मानव-समाज की मुक्ति संभव है।
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