इंटरसेक्शनलहिंसा माया की कहानी, जिसने लॉकडाउन में ट्यूशन पढ़ाने के कारण झेली घरेलू हिंसा | #LockdownKeKisse

माया की कहानी, जिसने लॉकडाउन में ट्यूशन पढ़ाने के कारण झेली घरेलू हिंसा | #LockdownKeKisse

माया फिर से अपनी पसंद का काम करती है यानी बच्चों को पढ़ाती है। कोरोना वायरस को ध्यान में रखते हुए वह सारी सावधानियां बरतती है।

एडिटर्स नोट : यह लेख फेमिनिस्ट अप्रोच टू टेक्नॉलजी के प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ी लड़कियों द्वारा लिखे गए लेखों में से एक है। इन लेखों के ज़रिये बिहार और झारखंड के अलग-अलग इलाकों में रहने वाली लड़कियों ने कोविड-19 के दौरान अपने अनुभवों को दर्शाया है। फेमिनिज़म इन इंडिया और फेमिनिस्ट अप्रोच टू टेक्नॉलजी साथ मिलकर इन लेखों को आपसे सामने लेकर आए हैं अपने अभियान #LockdownKeKisse के तहत। इस अभियान के अंतर्गत यह लेख झारखंड के गिरीडीह ज़िले की लक्ष्मी ने लिखा है जिसमें वह बता रही हैं माया की कहानी।

कोरोना महामारी के कारण लागू हुए लॉकडाउन की वजह से सबको अपने घर वापस लौटना पड़ा। इस कारण न जाने कितने लोगों की नौकरियां चली गई। इस लॉकडाउन में बस मानो एक ही काम बच गया, औरतों के लिए घर का काम और पुरुषों का घर में रहकर अपने बीवी-बच्चों के ऊपर गुस्सा करना, चीखना-चिल्लाना, उन्हें मारना-पीटना। हां, यह भी हो सकता है कि हर घर में हिंसा न होती हो, पर लॉकडाउन के कारण जहां हिंसा पहले नहीं भी होती थी वहां भी हिंसा होने लगी। लॉकडाउन ने बाहर जितना शांत माहौल बनाया घरों के अंदर उतना ही शोर मचाया। आइए इसकी कड़ी में हम जानते हैं माया की कहानी।

माया एक पढ़ी-लिखी महिला है। उसने बीए तक की पढ़ाई की है। वह एक गृहिणी भी है। वह झारखंड के रामनगर शहर में रहती है। उसके घर में चार लोग हैं, सास, ससुर, पति रणवीर और माया। उसकी शादी को 3 साल बीत चुके हैं। पहले उसका पति एक हफ्ते में घर एक ही बार आता था क्योंकि वह जिस होटल में काम करता था वह घर से दूर था। वह अक्सर अपने होटल के काम में व्यस्त रहता था। माया और उसकी सास के बीच रोज़ किसी न किसी बात को लेकर लड़ाई-झगड़ा होता था। इस बात से वह अनजान था। माया कुछ बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थी जो उसकी सास को एकदम पसंद नहीं था। जब रणवीर घर आता था तो कभी-कभी उसकी मां उसे यह बताया करती थी। माया भी अपने पति से कहती थी तो उसका पति माया को ही समझाता था, कभी-कभी माया पर चिल्ला भी देता था। रणवीर कहता था, “ये सब सुनकर मैं परेशान हो गया हूं। एक ही बात पर हर रोज़ लड़ाई! चाहे वह खाना बनाना हो या घर के बाकी सारे काम। घर पर तीन ही लोग हो तो भी क्यों झगड़ा होता है? इस पर माया कहती है, “मुझे इन सब कामों से कोई समस्या नहीं है। पर मांजी को मेरा बच्चों को पढ़ाना अच्छा नहीं लगता है।” 

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माया अपने ससुर से भी कहती कि वह अपनी पत्नी को समझाएं लेकिन उसकी सास ने इस पर जवाब दिया, “क्या मैं गलत बोलती हूं? बच्चों को पढ़ाने की क्या ज़रूरत है? घर में काम कम है क्या ? पैसे भी पति के पास कम हैं क्या जो अब इसे भी कमाने की ज़रूरत है?” सास अपनी पति की बात को अनसुना कर देती और वहां से गुस्सा होकर अपने कमरे में चली जाती है। माया इन सबसे परेशान रहती थी क्योंकि उसे बच्चों को पढ़ाना अच्छा लगता है। लेकिन उसकी यह पसंद घर में झगड़े की वजह बन गया था। इन सबके बीच रणवीर कभी-कभी माया पर हाथ भी उठा देता था और फिर चला जाता था।  माया उसी गुस्से में घर का काम किया करती थी। वह किसी से अधिक बात भी नहीं करती थी, बस हर वक्त दुखी रहती थी।

माया की सास के व्यवहार में तो कोई बदलाव नहीं आता था, लेकिन ससुर उसे समझाते थे तो माया थोड़ा शांत हो जाती थी। एक बार फिर रणवीर घर आया और फिर से वही झगड़ा चालू हुआ। रणवीर ने अपनी मां से कहा कि बच्चों को पढ़ाने में आखिर बुराई क्या है। इस पर उसकी मां ने जवाब दिया कि आखिर वह क्या करेगी पढ़ाकर ? क्या होगा इससे? रणवीर अपनी मां को अच्छे से समझाता है कि माया को पढ़ाना अच्छा लगता है और वह घर में अकेली क्या करेगी आखिर वह घर के सारे काम तो करती है। उसके बाद समय निकालकर पढ़ाती है तो उसमें क्या परेशानी है ? मां कुछ नहीं कहती है और वहां से चली जाती है। फिर वह माया को भी समझाता है कि वह मां से बहस न किया करे इससे बात सिर्फ बिगड़ती है। 

रणवीर अगली सुबह अपने काम पर वापस चला जाता है। फिर उसकी मां दोबारा माया को ताना देने लगती हैं। इन सब बातों से माया अक्सर परेशान रहने लगी।  एक दिन रणवीर के पिता परेशान होकर अपनी पत्नी को समझाते हैं। दोनों में काफी बातें होती हैं। फिर पति के गुस्सा हो जाने के डर से सास माया खुद ही बोलना कम कर देती है। इसी तरह दिन निकल रहे थे। तभी लॉकडाउन हो गया क्योंकि पूरे देश में कोरोना वायरस फैल रहा था। सब कुछ बंद हो गया तो रणवीर भी घर वापस आ गया। उसकी कमाई बंद होने का घर की आर्थिक स्थिति पर कोई असर नहीं हुआ! रणवीर का खुद का होटल था। पैसों की कोई कमी नहीं थी।  कुछ दिन के बाद फिर माया बच्चों को पढ़ाने लगी तो उसकी सास ने फिर टोका कि लॉकडाउन में ट्यूशन लगाने की क्या ज़रूरत है। इस पर माया ने कहा कि ये बच्चे तो आसपास के ही हैं तो इनको पढ़ाना क्यों बंद करें? वैसे भी स्कूल बंद है। उससे बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। कम से कम यहां तो वे पढ़ेंगे। इससे मेरी कुछ कमाई भी हो जाएगी। इस लॉकडाउन में और कोई काम भी नहीं है।  रही बात साफ-सफाई की तो बच्चे साफ-सुथरे ही रहते हैं। हमारे आसपास के ही बच्चे हैं और असल बात है कि मुझे पढ़ाना पसंद है।   

एक सही कदम बहुत कुछ बदल देता है। बस ज़रूरत है हिम्मत दिखाने की।  

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लेकिन उसकी सास ने कहा कि कि कोई ज़रूरत नहीं है पढ़ाने की और बच्चों को भगा देती है। माया को गुस्सा आता है क्योंकि उसकी सास उसे गालियां भी देना शुरू कर चुकी होती है। वह चिल्लाकर कहती है कि यह हर रोज की गाली-गलौच, ताने बंद कीजिए। आप ऐसा क्यों करती हैं? आज तो अपने हद ही कर दी कि बच्चों को भगा दिया। दोनों को लड़ता देखकर रणवीर वहां आ जाता है। रणवीर और माया के बीच बात बढ़ जाती है। वह माया पर हाथ उठा देता है। उसकी मां वहां से चली जाती है। फिर रणवीर के पिताजी आते हैं और रणवीर पर गुस्सा करते हैं। माया अपने कमरे में चली जाती है और बहुत रोती हैं। वह सोचती है कि ये सब हद से ज्यादा ही हो गया। वह अपनी मां को सारी बातें बताती है। उसकी मां रणवीर को फोन करके डांटती है और कहती है कि अगर उसने माया पर दोबारा हाथ उठाया तो हमसे बुरा कोई नहीं होगा। रणवीर कुछ नहीं बोला और उसने फोन रख दिया।

अब रणवीर माया पर हर बात पर चिल्लाने लगा। माया पर उसका हाथ अब ज़्यादा उठने लगा था। लॉकडाउन के 2 महीने इसी तरह बीत गए। बात बिगड़ती देखकर माया ने सोचा कि मेरे साथ जो कभी नहीं हुआ वह इस लॉकडॉउन में हो रहा है। सारा दोष इस लॉकडाउन का ही है। वह दो महीने से परेशान थी। अपने पति से भी नहीं बात कर रही थी। एक दिन वह फैसला लेती है कि अब और नहीं और वह अपने मायके चली जाती है। मायके जाकर वह सबको सबकुछ बताती है। माया खुद पढ़ी-लिखी थी। उसे सही-गलत की समझ थी। इसलिए वह अपने माता पिता की मदद लेती है। तब उसके घर वाले उसके ससुराल वालों से बोलते हैं कि आपलोगों ने जो किया है वह सही नहीं है। हम चाहते तो आपको इस बात की सजा भी दिला सकते हैं। माया के पिताजी कहते हैं कि या तो रणवीर माया से माफी मांगे या सजा के लिए तैयार हो जाए। और ये सब बात माया के कहने पर उसके पिताजी ने रणवीर के परिवार से कही। नहीं तो पहले पिताजी कहते थे कि बेटा इस तरह की बातें होती रहती हैं। उसे इस तरह अपना ससुराल नहीं छोड़ना चाहिए। जबकि माया ने कहा, “अगर मैं आप सब पर बोझ हूं तो मै कहीं और चली जाती हूँ। इस तरह से हिंसा मैं नहीं सह सकती।”

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माया का गुस्सा देखकर उसके पिता पूछते हैं कि वह क्या चाहती है? उसने कहा कि या तो उसका पति उससे माफी मांगें वह उसे तलाक दे दे। यह बात सुनकर सब चिंता में पड़ जाते हैं। उसके पिता अपने तरीके से रणवीर बात करते हैं तब भी रणवीर नहीं आता है। वह माया को फोन करता है पर वह उससे बात नहीं करती। अगली सुबह रणवीर माया से मिलने जाता हैं। वह माया से बात करता है, लेकिन माफी नहीं मांगता है। फिर माया की मां से बात करता है। माया की मां रणवीर से कहती है कि उसने गलती की है। वह तो खैर माने कि माया पुलिस के पास नहीं गई। रणवीर सोचता है और फिर माया से माफी माँग लेता है। माया कहती है कि इस बात का क्या भरोसा है कि कल वह दोबारा उसके साथ घरेलू हिंसा नहीं करेगा। रणवीर कहता है कि अगर उसने हिंसी की तो वह सज़ा के लिए तैयार है। आखिर माया मान जाती है और वापस ससुराल चली जाती हैं। 

उधर रणवीर के पिता अपनी पत्नी को समझाते हैं। वह भी माया के साथ अच्छे से पेश आने लगती हैं और अब सब शांति से रहते हैं। माया को आसपास वाले भी सराहते हैं। कहते हैं कि उसने ठीक किया नहीं तो ये सब बढ़ भी सकता था और तुम और मुसीबत में फंस जाती। माया फिर से अपनी पसंद का काम करती है यानी बच्चों को पढ़ाती है। कोरोना वायरस को ध्यान में रखते हुए वह सारी सावधानियां बरतती है। बच्चों को भी अच्छे से रहने की शिक्षा देती। एक सही कदम बहुत कुछ बदल देता है। बस ज़रूरत है हिम्मत दिखाने की।  

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