संस्कृतिसिनेमा महिलाओं की नकारात्मक छवि और हिंसा परोसती ‘वेब सीरीज’

महिलाओं की नकारात्मक छवि और हिंसा परोसती ‘वेब सीरीज’

वेब सीरीज़ को वास्तविक रूप देने के लिए फ़िल्म में हिंसा और अभद्र भाषा का इस्तेमाल युवाओं की मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

आज समाज में फैले स्त्री द्वेष की झलक हमें हर कहीं ही देखने को मिलती रहती है। बॉलीवुड फ़िल्म हो या सीरिअल्स या फिर वेब सीरीज ही क्यों नहीं। कोरोना काल में वेब सीरीज का प्रचलन बहुत अधिक बढ़ गया है। नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम पर रिलीज़ होने वाली कुछ वेब सीरीज किसी भी बॉलीवुड फ़िल्म से अधिक लोकप्रियता बड़ी आसानी से हासिल कर लेती है। वेब सीरीज की लोकप्रियता ज़्यादातर कम उम्र वाले या व्यस्क के बीच ही अधिक होती है।

कहानी, निर्देशन और अभिनय जैसे कई मायनों में ये वेब सीरीज़ तारीफ़ के काबिल है। इसके साथ ही, इन वेब सीरीज़ में महिलाओं के भी सशक्त व्यक्तित्व को दिखाया जा रहा है। पर महिला के मज़बूत व्यक्तित्व को दिखाने के साथ-साथ इन वेब सीरीज में कई बार अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। और इतना ही नहीं वेब सीरीज में हिंसक प्रवृति को खुलकर दिखाने की भी पूरी आज़ादी होती है। वेब सीरीज़ को वास्तविक रूप देने के लिए फ़िल्म में हिंसा और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जाना सीधेतौर पर समाज और खासकर युवाओं की मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

ग़ौरतलब है कि वेब सीरीज़ की इस अभद्र भाषा में महिला केंद्रित होती है, जो न केवल इंसान की महिलाओं के प्रति सोच को प्रभावित करती है, बल्कि महिलाओं की नकारात्मक छवि भी प्रस्तुत करती है। बीते कुछ समय में वेब सीरीज के कुछ किरदारों की लोकप्रियता भी इतनी अधिक देखने मिली कि लोग उनकी तरह ही बनने का प्रयास करते भी अक्सर नज़र आ जाते है। इसमें कोई नई बात नहीं है कि फ़िल्म में दिखाए गए किरदारों की तरह बनने की चाहत जनता के बीच होती है। फिर वो कभी ‘गजनी’ जैसी फ़िल्म के बाद लोगों ने उसकी हेयरस्टाइल कॉपी करने की बात हो या फिर ‘कबीर सिंह’ फ़िल्म के बाद लम्बी दाढ़ी का प्रचलन हो।

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वेब सीरीज़ की इस अभद्र भाषा में महिला केंद्रित होती है, जो न केवल इंसान की महिलाओं के प्रति सोच को प्रभावित करती है, बल्कि महिलाओं की नकारात्मक छवि भी प्रस्तुत करती है।

ऐसे में वेब सीरीज के निर्माताओं, लेखक और डायरेक्टर का ये कर्तव्य बनता है कि वो किसी भी नकारात्मक किरदार को सही साबित करके या उसके साथ ज़्यादा हमदर्दी दिखाकर उसे जनता के बीच लोकप्रिय या रोल मॉडल बनाने का प्रयास ना करे। वेब सीरीज में हिंसा इतनी आम दिखायी जाती है कि ये समाज में लोगों के बीच हिंसा के प्रति बनी अवधारणाओं को ही बदलने का काम कर रही है जिसके दुष्परिणाम हमें हाल ही में कई जगह देखने को मिले है जिसका एक उदाहरण हमें बहुत ही प्रचलित वेब सीरीज मिर्ज़ापुर के एक किरदार  मुन्ना त्रिपाठी के रूप में भी देखने को मिलता है। किसी लड़की के आगे पीछे भागना और उसके द्वारा शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिए जाने के बाद उसे जान से ही मार देना। क्या ये कहानी में बहुत सुनी-सुनी सी नहीं लगती आपको? आये दिन न्यूज़पेपर में ऐसी ही खबरे पढ़ने को मिलती है, शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिए जाने पर लड़की के चेहरे पर एसिड फेकना, उसका बलात्कार करना और जान से ही मार डालने जैसी ढेरों हिंसा की घटनाएँ। बात ऐसी निंदनीय घटनाओं को पर्दे पर दिखाने की नहीं है बल्कि इन घटनाओं को बहुत ही सरल दिखाने और ऐसी घटना को अंजाम देने वाले किरदारों को सही दिखाने से है, क्योंकि ऐसा करने से उनके साथ जनता की हमदर्दी भी जुड़ती है। अब सवाल ये है कि ‘क्या ऐसे किरदारों को एक अपराधी की नज़र से ना दिखाकर बल्कि उसे एक हीरो दिखाना गलत नहीं?’

हाल ही में शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिए जाने के बाद लड़की की जान ले लेने वाले अपराधी का वेब सीरीज के ही इस किरदार से प्रेरित होने का मामला सामने आता है। हरियाणा में कॉलेज के बाहर 21 वर्षीय निकिता तोमर की हत्या करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार करने के कुछ दिनों बाद, यह बताया गया है कि मुख्य आरोपी तौसीफ ने वेब सीरीज ‘मिर्जापुर’ से प्रेरित होने के बाद ये अपराध किया था।

साथ ही, वेब सीरीज में कई जगह स्त्री द्वेष फैलाने का प्रयास किया जाता है जो दिखाते है कि औरतें पैसो के लिए पुरूषों का इस्तेमाल करती हैं। कभी लड़कियों के पहनावे तो कभी उनके रंग रूप के आधार पर उन्हें कमजोर दिखाया जाता है। वेब सीरीज में औरतों को यौन वस्तु मानना काफी आम बात जैसा दिखाया जाता है, जो कि समाज की रुढ़ीवादी सोच की वास्तविकता दिखाता है और साथ ही अपराधी को नायक दिखाकर औरतों को यौन वस्तु के रूप में ऐसे ही देखे जाने के लिये प्रेरित भी करता है।

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तस्वीर साभार : dekhnews

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