1. रजनी तिलक
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इन पचास सालों के बाद हमने (दलित महिलाएं ) खुद अपनी जगह बनाई है। वो हम हैं जिसने भारतीय समाज में कठिनाइयों और उत्पीड़न का सामना किया है। हम जानते हैं कि महिलाओं की बुनियादी ज़रूरतें और मांगें क्या हैं। मैं दलित नारीवादी आंदोलन के लिए बहुत आशावादी हूँ और आशा करती हूँ कि एक दिन ऐसा आएगा, जब इस देश की हर एक लड़की को अपनी क्षमता का एहसास होगा।
2. सोहेला अब्दुलाली
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बलात्कार किसी ख़ास समूह की महिलाओं के साथ नहीं होता, न ही किसी ख़ास समूह के पुरुष बलात्कारी होते हैं। बलात्कारी कोई अत्याचारी या कि आपके पड़ोस में रहने वाले लड़के या मिलनसार, अंकल भी हो सकते हैं। बलात्कार को दूसरी औरतों की समस्या के रूप में देखना बंद करें। इसकी सार्वभौमिकता को पहचानें और इसके बारे में एक बेहतर समझ बनाएँ।
3. महाश्वेता देवी
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मध्यवर्गीय नैतिकता से मुझे घृणा है। ये कितना बड़ा पाखण्ड है, सबकुछ दबा रहता है। सपने देखने का अधिकार पहला मौलिक अधिकार होना चाहिए। हाँ, सपने देखने का अधिकार।
4. उर्वशी बुटालिया
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बलात्कार अपने आप नहीं होता है। ख़ुद से पूछिए कि हम एक समाज और इंसान के तौर पर किस तरह बलात्कार की संस्कृति और सोच को बढ़ाते और चलाते है। किस तरह हम पुरुषों को हिंसक बनाते है। हर रोज़ हम महिलाओं को किस तरह बेइज़्ज़त करते हैं।
5. गौरी लंकेश
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मैं जो मन में आए करूंगी और जो ठीक लगे कहूंगी। हमारी चुप्पी से ही असहिष्णु आवाज़ें और बुलंद हो उठती हैं। वक़्त आ गया है कि वे विवाद धमकियों से नहीं, बातों से करना सीखें।
6. इस्मत चुग़ताई
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मैं मर्द और औरत को अलग नहीं मानती। बचपन में भी मेरा दिल वे सारी चीज़ें करना चाहता था जो मेरे भाई करते थे।
7. सिमोन द बोउवर
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मर्दों के हाथों से सत्ता छीनना काफ़ी नहीं है। हमें ज़रूरत है सत्ता की परिभाषा को बदलने की।
8. बेल हुक्स
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हम लोगों का मूल्यांकन उनके चेहरे, उनके रंग, और उनकी शारीरिक सुंदरता से करते हैं। इंटरनेट ऐसा इकलौता माध्यम हैं जहां यह सब देखे बिना हम एक दूसरे से इंसान के तौर पर जुड़ते हैं।
9. औड्रे लॉर्ड
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जब हम बोलते हैं, हमें डर रहता है कि हमारी आवाज़ को दबा दिया जाएगा। मगर हम चुप रहते हैं, तब भी हम डरते हैं। इसलिए बोलना ही बेहतर है।
10.अमृता प्रीतम
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भारतीय मर्दों को आदत पड़ चुकी है औरतों को परंपरागत भूमिकाओं में देखने की। वे होनहार औरतों से बात तो कर लेते हैं मगर उनसे शादी नहीं करना चाहते। एक परिपूर्ण औरत की संगति का आनंद उन्होंने अभी भी अनुभव नहीं किया है।