महिला शरीर को पितृसत्ता ने हमेशा एक रहस्य बनाए रखा है, यही वजह है कि महिलाएं ख़ुद भी अपने शरीर, खासकर निजी अंगों से जुड़ी समस्याएं साझा करने में हिचकती हैं। तो आइए आज FII हिंदी के इस वीडियो में बात करते हैं महिला-शरीर से जुड़ी ऐसी ही एक समस्या ‘वजाइनल यीस्ट इंफ़ेक्शन’ के बारे में, जिसका सामना अक्सर महिलाओं को करना पड़ता है।
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लैंगिक असमानता समाज के रूढ़िवादी विचारों और प्रक्रियाओं की देन है
महिलाएं, पुरुषों से कमजोर नहीं हैं, बल्कि यह लैंगिक असमानता ऐसे सामाजिक - सांस्कृतिक मूल्यों, विचारधाराओं और संस्थाओं की देन है, जो महिलाओं की वैचारिक तथा भौतिक अधीनता को सुनिश्चित करती हैं।
पितृसत्ता क्या है? – आइये जाने
पितृसत्ता एक ऐसी व्यवस्था के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें पुरुषों का महिलाओं पर वर्चस्व रहता है और वे उनका शोषण और उत्पीड़न करते हैं|
हिंसा को नज़रअंदाज़ कर कैसे मीडिया और सिनेमा ने गढ़ी ‘जिल्टेड लवर’ की छवि
अक्सर एक तरफा प्यार की कहानियों में बात न मानने पर या किसी भी रिलेशनशिप में यदि लड़का-लड़की साथ है और अलग होने पर कोई एक साथी इस बात को स्वीकार न करें और अपनापन, हक जताने के साथ-साथ डरा-धमकाकर मारने की बातें करे तो यह व्यवहार जिल्टेड लवर के तहत आता है।
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मासिकधर्म और सैनिटरी पैड पर हमारे घरों में चर्चा करने की बेहद ज़रूरत है और जिसकी शुरुआत हम महिलाओं को ही करनी होगी।
लैंगिक समानता : क्यों हमारे समाज के लिए बड़ी चुनौती है?
गाँव हो या शहर व्यवहार से लेकर काम तक लैंगिक समानता हमारे समाज में मौजूद है, जो हमारे देश के लिए एजेंडा 2030 को पूरा करने में बड़ी चुनौती है|
उफ्फ! क्या है ये ‘नारीवादी सिद्धांत?’ आओ जाने!
नारीवाद के बारे में सभी ने सुना होगा। मगर यह है क्या? इसके दर्शन और सिद्धांत के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम। इसे पूरी तरह जाने और समझे बिना नारीवाद पर कोई भी बहस या विमर्श बेमानी है। नव उदारवाद के बाद भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आए बदलाव के बाद इन सिद्धांतों को जानना अब और भी जरूरी हो गया है।