डॉ. सैली क्रिस्टन अमेरिकी मूल की अंतरिक्ष यात्री और भौतिक शास्त्री थीं। साल 1978 में वह नासा में बतौर अंतरिक्ष यात्री सम्मिलित हुई और 1983 में महज़ 32 साल की उम्र में उन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की। इसके साथ ही वह अमेरिका की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं। अंतरिक्ष में जाने वाली वह दुनिया की तीसरी महिला थीं। उन्हें अमेरिका के प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम से भी सम्मानित किया जा चुका हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
सैली राइड का जन्म 26 मई 1951 में कैलिफोर्निया के लॉस एंजेलिस में हुआ था। सैली की माता का नाम जॉयस और पिता का डेल राइड था। सैली की छोटी बहन का नाम कैरेन था। राइड की खेलों में बचपन से बहुत रुचि थी और टेनिस उनका मन पसंद खेल था। दस साल की उम्र में उन्होंने टेनिस की औपचारिक रूप से ट्रेनिंग प्राप्त की। देखते ही देखते सैली अंडर-12 में दक्षिणी कैलिफोर्निया में 20वें स्थान पर थीं। इसके साथ ही सैली एथलेटिक्स में भी रुचि रखती थी।
उन्होंने वेस्टलेक हाई स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। पहले सैली एक टेनिस खिलाड़ी बनना चाहती थीं लेकिन बाद में प्रोफेशनल टेनिस खिलाड़ी में करियर बनाने का विचार छोड़कर उन्होंने ग्रेजुएशन में एडमिशन लिया। साल 1973 में उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से भौतिकी और अंग्रेजी से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1975 में उन्होंने भौतिक में परास्नातक की पढ़ाई पूरी की। साल 1978 में स्टेनफोर्ड में उन्हें भौतिकी में डॉक्टरेट की उपाधि और शिक्षण साहयक के रूप में चुना गया।
नासा में चयन और नया सफ़र
जनवरी 1977 में राइड ने एक अख़बार में नासा द्वारा स्पेस शटल क्रार्यक्रम के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के नए समूह की भर्ती और महिलाओं के लिए पहली बार भर्ती से जुड़ा आवेदन-पत्र का विज्ञापन देखा। उसे पढ़ने के बाद उन्होंने आवेदन पत्र डाला। अंततः कई हज़ारों आवेदकों के बीच में से 208 फाइनिस्ट में से उनका भी चयन हुआ। छठे ग्रुप के 20 आवेदकों में से वह अकेली महिला थीं। एक सप्ताह तक उनका इंटरव्यू चला। वह 35 चुने गए अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों में से एक थीं, जिनमें से छह महिलाएं थीं। अंतरिक्ष शटल उड़ानों में सहायक ग्राउंड सपोर्ट क्रू के हिस्से के रूप में काम कर रहे कैप्सूल समन्वय के रूप में अपना करियर शुरू किया। अगस्त 1979 में उन्होंने अपनी एक साल की ट्रेनिंग खत्म की।
सैली राइड ने दूसरी और तीसरी स्पेस शटल उड़ानों के लिए ग्राउंड बेस्ड कैप्सूल कम्यूनिकेटर (कैपकॉम) के रूप काम किया। साथ ही उन्होंने शटल आरएमएस सिस्टस को विकसित करने में योगदान दिया। यह कैनाडर्म या रोबोट आर्म के रूप में भी जाना जाता है। वह कैपकॉम के रूप में सेवा देने वाली पहली महिला बनीं। इसके बाद अप्रैल 1982 में नासा की तरफ से आधिकारिक उनके स्पेस में जाने की घोषणा हुई। वह अमेरिका की स्पेस यात्रा में जाने वाली पहली महिला बनने वाली थीं और इस बात की चर्चा मीडिया द्वारा बहुत ज्यादा हो रही थी।
इतिहास में दर्ज किया नाम
18 जून 1983 में स्पेस शटल चेलैंजर ने जैसे ही उड़ान भरी, सैली राइड ने इतिहास में अपना नाम हमेशा के लिए दर्ज करा लिया। उन्होंने एसटीएस-7 मिशन पर चार पुरुष क्रू के साथियों के साथ स्पेस का सफ़र तय किया। इस यात्रा में उन्होंने ऑन ऑर्बिट कैप्सूल कम्युनिकेटर (कैपकॉम) के रूप में अपनी भूमिका निभाई। इसके बाद भी राइड ने मिशन के लिए स्पेस में यात्रा की। बाद में नासा द्वारा उन्हें नासा के मुख्यालय में बतौर स्पेशल असिस्टेंट नियुक्त किया गया।
वॉक्स.कॉम के एक लेख के अनुसार नासा के अधिकारियों को यह लगा कि उन्हें एक हफ्ते स्पेस में रहने के लिए सौ टेम्पोन आवश्यक रहेंगे। जब सैली ने यह बताया कि टेम्पोन की यह संख्या सही नहीं तब सभी पुरुष इंजीनियरों का जवाब था कि “हम बस सुरक्षित रहना चाहते हैं।” वह किससे सुरक्षित रहना चाहते थे, यह मालूम चलना मुश्किल है। लेकिन पुरुष प्रधान पेशे की बंदिशों को तोड़ती सैली हमेशा आगे बढ़ती रहीं। इतना ही नहीं स्पेस यात्रा पर जाने से पहले मीडिया द्वारा भी उनसे कई अजीबो-गरीब सवाल पूछे गए। जैसे ‘क्या यह उड़ान आपके प्रजनन अंगों को प्रभावित करेगी’”, ‘जब आपके काम में कुछ गलत हो जाता है तो क्या आप रोती है?’ इन सबके जवाब में उनका कहना था कि वह सबसे पहले खुद को केवल एक अंतरिक्ष यात्री के तौर पर देखती हैं।
नासा वैज्ञानिक होने के बाद का सफ़र
नासा के लिए कई अलग-अलग भूमिकाओं में काम करने के बाद मई 1987 में उन्होंने वहां से काम छोड़ने का ऐलान किया। नासा के बाद उन्हें स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से दो साल की एक फेलोशिप मिली। फेलोशिप के बाद एक जुलाई 1989 में उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डिएगो में बतौर भौतिकी के प्रोफेसर के रूप में काम करना शुरू किया। वह 1996 तक निदेशक के पद पर रहीं। साल 2007 में यूसीएसडी से सेवानिवृत्त हुईं और एमेरिटस प्रोफेसर बन गईं।
1999 ले जुलाई 2000 तक वह स्पेस.कॉम की निदेशक भी रही थीं। इसके बाद उन्होंने ‘सैली राइड साइंस’ के नाम से अपनी सहयोगी के साथ एक कंपनी की स्थापना की। यह कंपनी बच्चियों, लड़कियों, महिलाओं आदि को विज्ञान, गणित और तकनीक के क्षेत्र में करियर बनाने हेतु प्रेरित करती है। यह राइड का ही सपना था जिसको उन्होंने एक साकार रूप दिया। यह कंपनी विज्ञान आधारित बहुत से मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित करती। साथ ही अपर एलीमेंट्री, मिडिल स्कूल, माता-पिता और शिक्षकों के लिए पुस्तकें प्रकाशित करती। सैली हमेशा से ही विज्ञान की शिक्षा में सुधार की वकालत करती आई थी जिसके लिए उन्होंने विज्ञान आधारित बच्चों के लिए पुस्तकें भी लिखीं। वह ‘प्रेसिडेंट्स कमिटी ऑफ एडवाइजर ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ और ‘द नेशनल रिसर्च काउंसिल्स स्पेस स्टडीज बोर्ड’ का हिस्सा भी थी। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाले कई संस्थानों में अपना योगदान दिया। साथ ही, वह अकेली ऐसी व्यक्ति थीं जो कमीशन इन्वेस्टिगेशन का हिस्सा दो बार रहीं।
उपलब्धियां और सम्मान
सबसे पहली उपलब्धियों में राइड द्वारा तोड़े लैंगिक रूढ़िवादों और स्टेम करियर की तरफ लड़कियों को प्रोत्साहित करना शामिल है। वह संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम’ से सम्मानित हैं। उन्हें ‘नैशनल स्पेस सोसायटीज वोन ब्राउन’ अवॉर्ड भी मिला। ‘द लिंडबर्ग ईगल’ और थियोडोर रूजवेल्ट अवार्ड भी प्राप्त। साथ ही उन्हें ‘नैशनल वीमंस हॉल ऑफ फेम’ और ‘एस्ट्रोनॉट हॉल ऑफ फेम’ में शामिल किया गया। सैली राइड को दो बार नासा स्पेस फ्लाइट मेडल से भी सम्मानित किया गया।
लड़कियों को स्टेम शिक्षा की ओर बढ़ाया
फोर्ब्स में प्रकाशित जानकारी के अनुसार सैली ने एक बार किसी किताबों की दुकान का ब्योरा लिया और उन्होंने जाना कि विज्ञान आधारित बच्चों की किताबें न के बराबर हैं और महिला अंतरिक्ष यात्रियों पर तो किताबें न के बराबर ही हैं। इस कमी की ओर उनका ध्यान गया और उन्होंने विज्ञान पर आधारित बच्चों की किताबें अपनी मित्र टैम की सहभागिता से लिखी। साल 2000 के शुरुआती समय में सैली का ध्यान लड़कियों के लिए स्टेम शिक्षा की कमी पर गया। उसके लिए उन्होंने हमेशा वकालत की। इस काम को पूरा करने के लिए उन्होंने कंपनी की भी स्थापना की। इस संस्थान ने नासा से जुड़कर भी स्टेम शिक्षा की तरफ़ स्कूल की लड़कियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रोग्राम चलाए। साथ ही महिलाओं को विज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बनाने में किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है उनके समाधान की दिशा में काम किया।
डॉ. सैली राइड की मृत्यु 23 जुलाई, 2012 को हुई। 17 महीनों के लंबे अंतराल में अग्नाश्य कैंसर से राइड लड़ती रहीं। 17 महीनों के बाद उनकी मृत्यु कैलिफोर्निया के उनके घर में हुई।
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