समाजराजनीति पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट: सड़क, पानी और सफाई वोटर्स के महत्वपूर्ण मुद्दे

पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट: सड़क, पानी और सफाई वोटर्स के महत्वपूर्ण मुद्दे

पूर्वी दिल्ली सीट पर आम आदमी पार्टी (आप) और भाजपा की ओर से प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। भाजपा की ओर से इस बार हर्ष मल्होत्रा चुनाव में है। वर्तमान में पूर्वी दिल्ली से भाजपा की ओर से गौतम गंभीर सांसद है जिन्होंने चुनाव से कुछ समय पहले ही दोबारा चुनाव लड़ने के लिए मना कर दिया था। वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से 30 वर्षीय दलित नेता कुलदीप कुमार उर्फ मोनू को अपना प्रत्याशी बनाया है। 

भारत में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। दिल्ली की सत्ता पर हर कोई पार्टी अपनी पकड़ करना चाहती है। सभी राजनीतिक पार्टियां अपने प्रचार में लगी हुई हैं। दिल्ली की लोकसभा सीटों पर भी इस बार कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। केंद्र शासित राज्य दिल्ली में कुल सात लोकसभा सीट है। साल 2019 में सारी सीटें भाजपा के खाते में गई थी। इस बार का चुनावी गणित क्या है और ऊंट किस तरफ बैठता है। इसको देखने के लिए हमने पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट का दौरा किया। इस सीट में 10 विधानसभा सीट आती है जिनमें कृष्णा नगर, गांधीनगर, लक्ष्मी नगर, विश्वास नगर, त्रिलोकपुरी, जंगपुरा, पटपड़गंज, कुंडली, शाहदरा, ओखला शामिल है।

पूर्वी दिल्ली न केवल दिल्ली में सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र है और इस क्षेत्र में बड़ी आबादी भी रहती है। दिल्ली में भाजपा, क्रांगेस और आप पार्टी मुख्य रूप से चुनावी मैदान में है। कांग्रेस और आप दोनों पार्टियां ‘इंडिया गठबंधन’ के तहत साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। पूर्वी दिल्ली सीट पर आम आदमी पार्टी (आप) और भाजपा की ओर से प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। भाजपा की ओर से इस बार हर्ष मल्होत्रा चुनाव में है। वर्तमान में पूर्वी दिल्ली से भाजपा की ओर से गौतम गंभीर सांसद है जिन्होंने चुनाव से कुछ समय पहले ही दोबारा चुनाव लड़ने के लिए मना कर दिया था। वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से 30 वर्षीय दलित नेता कुलदीप कुमार उर्फ मोनू को अपना प्रत्याशी बनाया है। 

तस्वीर साभारः इमरान खान

पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र को ‘जमनापार’ के नाम से भी जाना जाता है। जैसे-जैसे वोटिंग की तारीख नजदीक आ रही है यहां का चुनावी माहौल गर्म हो रहा है। दिल्ली में इस वक्त हर पार्टी की ओर से किए गए बड़े-बड़े वादों और पोस्टरों से भरी है। पार्टियां अपना रोड शो निकाल रही है। जहां भाजपा के चुनावी अभियान का मुख्य चेहरा प्रधानमंत्री मोदी है वहीं आम आदमी पार्टी के चुनावी अभियान में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल में डाले जाने की बात भी प्रमुखता से दिख रही है। दिल्ली देश की राजधानी है और यहां देश भर से लोग रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य और अन्य काम के लिए आते हैं। पूर्वी दिल्ली लोकसभा की बात करे तो दिल्ली का यह वो हिस्सा है जहां रहने वाली बड़ी आबादी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन गुजार रहे हैं। आज भी यहां के आम नागरिकों के मुख्य मुद्दे स्वच्छता, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य बने हुए हैं। इसी विषय में फेमिनिज़म इन इंडिया ने पूर्वी दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्र और वर्ग की वोटर्स से बातचीत कर जानने की कोशिश की कि वे आने वाले मतदान को लेकर कैसा महसूस कर रहे हैं? उनकी समस्याएं क्या हैं? 

हमारे क्षेत्र में साफ-सफाई, गंदे पानी और ख़राब रास्तों की समस्या बहुत बड़ी है। आसपास सरकार ने बड़े-बड़े कूड़ेदान बनाए हुए है उनका कूड़ा सड़कों पर फैला रहता है। जिससे बीमारी फैलने का डर रहता है और जानवरों के लिए भी ख़तरा है। वहां गाय पॉलीथिन समेत फेंका हुआ खाना खा लेती हैं, जो उनके लिए ख़तरनाक है।

औरतें और लड़कियों के लिए अच्छे सैनेटरी पैड्स ज़रूरी है

त्रिलोकपुरी में सब्जी रेहड़ी लगाने वाली 42 वर्षीय रामप्यारी देवी कहती है कि समस्याओं का तो अंबार है मगर अभी क्या-क्या बताऊँ, अभी काम का समय है। मगर मेरे ख़्याल से सरकार को साफ-सफाई पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है। जिससे हम बड़ी बीमारियों से भी बच सकते हैं। आगे रामप्यारी देवी कहती हैं, “हमें पीरियड्स के समय के लिए अच्छे पैड्स मुहैया करवाए जाएं। अभी जो पैड मिलते हैं वो पांच रुपये के आते हैं लेकिन उनकी क्वालिटी बहुत खराब होती है। हमारे इलाके की औरतें और लड़कियों के लिए अच्छे पैड्स मुहैया करवाएं तो अच्छा होगा।” 

महिलाओं के लिए सेफ़ स्पेस का निर्माण हो

साथी ऑल फ़ॉर पार्टनरशिप की फाउंडर समाज सेविका डॉक्टर शिवानी भारद्वाज चुनाव और आने वाली सरकार से क्या चाहती है इस बारे में बात करते हुए कहती है, “देश की राजधानी में हर व्यक्ति सुरक्षित महसूस करें यह बहुत ज़रूरी है लेकिन यहां इंसान मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। महिलाओं के सेफ़ स्पेस (घरेलू और घर से बाहर, पार्क, ऑफिस, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, होटल आदि) हर जगह हो। हमारी यही विनती है कि अनाथ, एकल, ट्रांस, या फिर परिवार में रहने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थान के लिए योजनाएं बनाई जानी चाहिए। जहां वे सभी सुकून से जी सकें और चैन की सांसे लें। ये सुरक्षित स्थान कहीं भी हो सकता है, घर, छत, पार्क कोई संस्थान आदि। सरकार को ऐसी नीतियों पर काम करना होगा जो महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को भी के केंद्रित करें।”

पटपटगंज की रहने वाली राफिया एक सिंगल मदर है। चुनाव पर बात करते हुए कहती है, “हमारे क्षेत्र में साफ-सफाई, गंदे पानी और ख़राब रास्तों की समस्या बहुत बड़ी है। आसपास सरकार ने बड़े-बड़े कूड़ेदान बनाए हुए है उनका कूड़ा सड़कों पर फैला रहता है। जिससे बीमारी फैलने का डर रहता है और जानवरों के लिए भी ख़तरा है। वहां गाय पॉलीथिन समेत फेंका हुआ खाना खा लेती हैं, जो उनके लिए ख़तरनाक है। कूड़ा उठाने वाले कर्मचारी हफ़्ते में एक दिन आते हैं और आधा कूड़ा उठा कर चले जाते हैं।” वह आगे कहती है यहां सड़कों की हालत बहुत ख़राब है। कई बार मैं स्कूटर से गिरने से बची हूं। बारिश के दिनों में पानी भरने से गड्डों का पता नहीं लगता है। सड़क का ज्यादातर हिस्सा टूटा हुआ है। सड़कों पर रोशनी की व्यवस्था नहीं है। पार्कों में रात में लड़के नशीले पदार्थों का सेवन भी करते हैं इसलिए घर से बाहर निकलने पर बहुत डर लगता है। मैं तो रात को बाहर निकलने बचती हूं। जिसकी भी सरकार हो उसे इन बातों पर ध्यान देना चाहिए। मैं तीन बार यहां के निगम पार्षद को समस्या से जुड़ा पत्र लिख चुकी हूं लेकिन कुछ नहीं हुआ। ये इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या है जिनको ध्यान में रखकर ही मैं वोट करूंगी।”

रामप्यारी देवी कहती हैं, “हमें पीरियड्स के समय के लिए अच्छे पैड्स मुहैया करवाए जाएं। अभी जो पैड मिलते हैं वो पांच रुपये के आते हैं लेकिन उनकी क्वालिटी बहुत खराब होती है। हमारे इलाके की औरतें और लड़कियों के लिए अच्छे पैड्स मुहैया करवाएं तो अच्छा होगा।” 

बृजेश जो एक प्रवासी दलित महिला किसान हैं। वे पूर्वी दिल्ली के यमुना खादर में रहती हैं और वहीं किसानी करती हैं। यमुना खादर क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं पर बात करते हुए वह बताती है कि यहां पर शौचायल की हम महिलाओं के लिए बहुत बड़ी समस्या है। शौचालय के लिए हमें प्राइवेट में पैसा खर्च करके जाना पड़ता है। अक्सर कुछ लोग हमारे परिवार के साथ जाति के आधार पर भेदभाव करते हैं। चुनाव से पहले तो यहां सब लोग आते है लेकिन चुनाव के बाद सब वादें और बयान भूल जाते हैं। अब फिर चुनाव है तो नेता दिख रहे है वरना कोई हमारी नहीं सुनता है।” 

यह केवल ये कुछ वोटर्स की ही कहानी नहीं है बल्कि देश के राजधानी की वह वास्तविकता है जिस पर चर्चा होनी बहुत ज़रूरी है। देश की राजधानी में लोग बड़ी संख्या में मूलभूत ज़रूरतों के अभाव में अपना जीवन जी रहे हैं। कुछ के मन में वोट करने और चुनाव को लेकर भी संशय है। लेकिन एक आम नागरिक के पास उसकी वोट सबसे बड़ा हथियार है और वह इस उम्मीद में कि इस बार सरकार उसके जीवन को बदलने की दिशा में काम करेंगी। महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और अन्य मूलभूत ज़रूरी चीजों को लेकर काम करेंगी इसलिए वह चुनाव में वोट करने के लिए तैयार है।


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