समाजख़बर कर्नाटक में जेडीएस के प्रज्वल रेवन्ना पर महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोप, एफआईआर दर्ज

कर्नाटक में जेडीएस के प्रज्वल रेवन्ना पर महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोप, एफआईआर दर्ज

28 अप्रैल को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354ए (यौन उत्पीड़न), 354डी (पीछ़ा करना), 506 (आपराधिक धमकी), 509 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर के मुताबिक़ महिला ने रेवन्ना के घर पर घरेलू साहयिका के तौर पर काम किया और आरोप लगाया कि उत्पीड़न जनवरी 2019 और 22 जनवरी के बीच हुआ।

कर्नाटक के हासन से सांसद प्रज्वल रेवन्ना और 18वीं लोकसभा चुनाव में भाजपा के सहयोगी पार्टी जलता दल (सेकुलर) जेडीएस के मौजूदा उम्मीदवार के ख़िलाफ़ हजारों महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोप और सेक्स वीडियो सामने आने के बाद भारतीय राजनीति में भूचाल आ गया है तो यह कहना गलत है। क्योंकि गृहमंत्री अमित शाह ने इसे कांग्रेस की राजनीति बताया है, मेनस्ट्रीम मीडिया से यह बहस गायब है और प्रधानमंत्री की चुनावी रैलियों में धुव्रीकरण का मुद्दा हावी है। हालांकि जेडीएस ने उन्हें अपनी पार्टी से निलबिंत कर दिया है। प्रज्वल रेवन्ना, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते है।

द न्यूज मिनट की ख़बर के मुताबिक एक 47 साल की महिला ने होलेनरसिपुरा विधायक एचडी रेवन्ना और उनके बेटे सांसद प्रज्वल रेवेन्ना के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है और उन पर उसका और उनकी बेटी का यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। प्रज्वल रेवेन्ना ने हासन जिले की कई महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया और उनकी वीडियोग्राफी की। शिकायत होलेनरसिपुरा टाउन पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी। इसके बाद रविवार 28 अप्रैल को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354ए (यौन उत्पीड़न), 354डी (पीछ़ा करना), 506 (आपराधिक धमकी), 509 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर के मुताबिक़ महिला ने रेवन्ना के घर पर घरेलू साहयिका के तौर पर काम किया और आरोप लगाया कि उत्पीड़न जनवरी 2019 और 22 जनवरी के बीच हुआ। शिकायत में यह भी कहा गया है कि रेवन्ना और प्रज्वल दोनों ने अलग-अलग बहानों से महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया है। प्रज्वल रेवन्ना के ख़िलाफ़ आरोप जब सामने आए जब एक महिला अधिकार समूह ने राज्य महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई।

एक 47 साल की महिला ने होलेनरसिपुरा विधायक एचडी रेवन्ना और उनके बेटे सांसद प्रज्वल रेवेन्ना के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है और उन पर उसका और उनकी बेटी का यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। प्रज्वल रेवेन्ना ने हसन जिले की कई महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया और उनकी वीडियोग्राफी की।

मीडिया में जारी अलग-अलग ऐसी ख़बरें है कि प्रज्वल ने देश छोड़ दिया है और उनके जर्मनी जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि रविवार को उन्होंने शिकायत दर्ज कराई कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने दावा किया है कि ऐसे वीडियो उनकी छवि खराब करने के लिए जारी किए गए है। रिपोर्ट है कि ऐसे हजारों वीडियो है। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रज्वल से जुड़े मामले पर कहा है कि उनकी पार्टी भारत की मातृशक्ति के साथ खड़ी है। अमित शाह ने कहा, “भाजपा का रूख साफ है कि हम देश कि मातृशक्ति के साथ खड़े हैं। इस तरह की घटनाओं का सार्वजनिक जीवन में, समाज में या निजी तौर पर कहीं भी स्थान नहीं होना चाहिए। लेकिन मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि वहां किसकी सरकार है? सरकार कांग्रेस पार्टी की है। उन्होंने अबतक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की है?” उन्होंने आगे कहा है कि भाजपा जांच के पक्ष में है और उनकी सहयोगी जेडीएस ने भी इसके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की घोषणा की है।

खत लिखकर भाजपा को किया था टिकट देने से मना

एक तरफ गृहमंत्री अमित शाह कार्रवाई और जांच की बात कर रहे हैं। वहीं इसी साल जनवरी में इस मुद्दे को सुर्खियों में लाने वाले हासन में वकील और स्थानीय भाजपा नेता जी.देवराजे गौड़ा ने दावा किया है कि उन्होंने लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों के ऐलान से पहले राज्य के भाजपा प्रमुख बीवाई विजेंद्र को चिट्ठी लिखकर कहा था कि भाजपा-जेडीएस गठबंधन के तहत प्रज्वल को टिकट न दिया जाए। इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़ उन्होंने अपनी चिट्ठी पर इस विषय के बारे में लिखा था। मीडिया में क्षेत्रीय भाषा में लिखी चिट्टी सामने आई है।

सांसद, सत्ताधारी पार्टी के सहयोगी दल का नेता हजारों महिलाओं का यौन शोषण करता था। राज्य सरकार को ख़बर थी, बीजेपी नेताओं को चिट्ठी लिखी जा रही थी लेकिन सब मौन रहे और हैं। हालांकि चुनाव के दिनों में इस बात पर भूचाल आ जाना चाहिए लेकिन चारों तरफ इस मुद्दे पर चुप्पी ज्यादा है या फिर मामले पर निंदा जाहिर करते नज़र आ रहे हैं। कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस अपने-अपने तरफ से बयान दे रहे हैं लेकिन आंकड़ें दिखाते है कि कैसे महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन हिंसा के मामले में सभी पार्टियों की राजनीति एक जैसी है। 

2024 के चुनाव में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा करने वालों को टिकट

लोकसभा चुनाव 2024 में दो चरण की वोटिंग हो चुकी है और सात मई को तीसरे चरण का चुनाव होने वाला है। अगर इन तीनों चरण के उम्मीदवारों की ही बात करे तो हर पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ़ महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन हिंसा के आरोप दर्ज है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार पहले चरण में 1618 उम्मीदवारों में से 17 उम्मीदवारों ने घोषित किया कि उनपर महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के आरोप दर्ज है। अगर दूसरे चरण की बात करे तो 1192 उम्मीदवारों में से 25 ने महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा से जुड़े मामले घोषित किए हैं। 25 में से एक के ऊपर बलात्कार(आईपीसी की धारा 376) का केस दर्ज है। आगामी सात तारीख होने वाले तीसरे चरण के कुल 1352 उम्मीदवारों में से 38 ने महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध से जुड़े मामले घोषित किये है। 38 में से 2 के ऊपर बलात्कार (धारा 376) (376(2) (n) के तहत मामला दर्ज है। ये वे उम्मीदवार है जिनके लिए वोट डाले जा चुके हैं या डाले जाएंगे और इनमें से बहुत से मौजूदा सांसद है। हर पार्टी की तरफ से ऐसे उम्मीदवार चुनाव में उतारे गए हैं जिनके ख़िलाफ़ महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन हिंसा से जुड़े मामले दर्ज है।

ब्रजभूषण चरण सिंह पर भाजपा ने साधी रखी चुप्पी

तस्वीर साभारः The Wire

अगर मौजूदा लोकसभा के सांसदों की बात करें तो एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार 19 सांसदों के ऊपर महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न से जुड़े मुकदमे दर्ज है। बहुत ज्यादा पीछे जाने की ज़रूरत नहीं है कुछ सांसदों और विधायकों के ख़िलाफ़ लगातार विरोध प्रदर्शन हुआ है, सर्वाइवर ने न्याय की लड़ाई लड़ी है लेकिन राजनीति हलकों में महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन अपराधों को करने वालों को चुपचाप समर्थन दिया जाता रहा। भाजपा के ही मौजूदा केसरगंज के सांसद ब्रजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ देश की महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप सामने आए। दिल्ली पुलिस ने ब्रजभूषण के ऊपर महिलाओं खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न, पीछा करना जैसी धाराओं में केस दर्ज किया है। लेकिन सत्ता की सांठ-गांठ में ब्रजभूषण के ख़िलाफ़ पार्टी की ओर से कुछ नहीं कहा गया। बीजेपी की तरफ से चार बार उन्नाव से विधायक रह चुके कुलदीप सिंह सेंगर पर नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के मामले में दस साल की सजा सुनाई गई थी। बीते वर्ष उत्तराखंड में बीजेपी के नेता कमल रावत पर नाबालिग लड़की के ख़िलाफ़ बलात्कार का मामला सामने आया था। 

तस्वीर साभारः The Guardian

भाजपा की ओर से उत्तर प्रदेश से विधायक रह चुके रामदुलार गोंड को एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में 25 साल की सजा दी गई। उत्तर प्रदेश में हाथरस में दलित महिला के बलात्कार के मामले में बीजेपी नेता राजीव पहलवान के घर आरोपियों के समर्थन में रैली की गई। साल 2018 में कठुआ रेप केस के मामले में आरोपियों के समर्थन में भाजपा के नेता नज़र आए। साल 2002 में गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के बलात्कार के आरोपी और भाजपा नेता साथ-साथ एक मंच पर नज़र आ चुके हैं। हाल ही में पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में टीमएसी नेता के ख़िलाफ़ महिलाओं के यौन उत्पीड़न की ख़बर सामने आई। टीएमसी के शाहजहां शेख और अन्य नेताओं के ख़िलाफ़ महिला ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए। मध्यप्रदेश के कांग्रेस नेता करण मोरवाल जिन पर बलात्कार का मुकदमा दर्ज है उसके बाद पार्टी से निकाले जा चुके है, हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेता के साथ नज़र आ चुके हैं। कांग्रेस, बीजेपी, सपा, टीमएसी कोई भी पार्टी हो इन सभी दलों के नेता महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा, यौन उत्पीड़न में शामिल है।

कर्नाटक में प्रज्वल रेवेना के ऊपर पार्टी की महिला नेता व कार्यकर्ताओं, घरेलू साहयिका आदि ने भी यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। लेकिन इस मुद्दे पर अभी तक प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। न ही राष्ट्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी की तरफ से कोई बयान या ट्वीट आया है। जब से यह मामला सामने आया है तब से लेकर 1 मई दोपहर तक उनके सोशल मीडिया एक्स अकाउंट पर केवल धुव्रीकरण की राजनीति से संबंधित ट्वीट देखने को मिले हैं। लेकिन महिला विकास मंत्री ने एक राज्य की महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा के मामले चुप्पी साध रखी है। साथ ही अगर मीडिया में इस मामले की बात करे तो इसे सनसनीखेज तरीके के तरह दिखाया जा रहा है। महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन हिंसा को सेक्स स्कैंडल, वीडियो सामने आने की टाइमिंग, विपक्षी पार्टियों की साजिश के साथ अधिकतर प्राइम टाइम शो से यह मुद्दा गायब नज़र आ रहा है। 

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार पहले चरण में 1618 उम्मीदवारों में से 17 उम्मीदवारों ने घोषित किया कि उनपर महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के आरोप दर्ज है। अगर दूसरे चरण की बात करे तो 1192 उम्मीदवारों में से 25 ने महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा से जुड़े मामले घोषित किए हैं।

राजनीति में महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन हिंसा करने वालो के समर्थन में हर पार्टी का चाल-चरित्र लगभग एक जैसा ही है। पार्टी चुनाव से पहले टिकट देने तक में न इन बातों को ध्यान में रखती है। जैसा कि प्रज्वल रेवन्ना के मामले में भी बात सामने आई है। महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन हिंसा कभी चुनावी मुद्दा रहा ही नहीं है। उनके वोट के लिए पार्टी लोक-लुभावन वादे करती है, बहू-बेटी के सम्मान, बेटी बचाओ जैसे नारे गढ़ती है लेकिन चुनाव के समय उनके शोषण के मुद्दे को दबाती नज़र आती है। यह वजह है कि केसरगंज लोकसभा सीट से नामांकन के दो दिन शेष है और भाजपा वहां अबतक कोई उम्मीदवार नहीं घोषित कर पाई है। राजनीति का यह चेहरा साफ दिखाता है कि यहां महिला वोटर्स के मुद्दे, यौन हिंसा की घटनाएं कोई महत्व नहीं रखती है।

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