टी. कृष्णा कुमारी दक्षिण भारतीय सिनेमा की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं। उन्होंने 60 व 70 के दशक में तेलुगु, तमिल और कन्नड़ की कई सफल और बड़ी फिल्मों में काम किया। सिनेमा के क्षेत्र में बहुत ही कम समय में उन्होंने शोहरत की बुलंदियों को छुआ। वह फिल्मों में अपनी पौराणिक भूमिकाओं के लिए विशेष तौर पर जानी जाती थीं। भक्ति नाटकों और लोकगीतों के अभिनय ने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बनाया दिया था। फिल्मों में योगदान के लिए कृष्णा कुमारी ने कई पुरस्कार भी अपने नाम किए। पर्दे पर उनके शानदार अभिनय की वजह से वह मुख्य तौर पर तेलगु सिनेमा के क्षेत्र में वह बहुत लोकप्रिय थीं।
शुरुआती जीवन
टी. कृष्णा कुमारी का जन्म 6 मार्च 1933 में ब्रिटिश भारत के पश्चिम बंगाल के नौहाटी में हुआ था। उनके पिता का नाम टी. वेंकोजी राव और माता का नाम साची देवी था। अपने पिता के काम की वजह से कुमारी की स्कूली शिक्षा राजमुंदरी, मद्रास, असम और कलकत्ता में अलग-अलग जगहों पर हुई। उन्होंने अपनी मैट्रिक की पढ़ाई असम में पूरी की थी। उनकी बड़ी बहन का नाम सौकार जानकी हैं। वह भी दक्षिण सिनेमा की एक बड़ी मशहूर भारतीय अभिनेत्री हैं।
फिल्मों में आना हुआ संयोग से आना
कृष्णा कुमारी ने महज़ 17 साल की उम्र में अभिनय जगत में कदम रखा। सबसे पहले उन्होंने तेलगु फिल्म ‘पाताल भैरवी’ में एक छोटी सी भूमिका से अपने अभिनय के सफ़र की शुरुआत की। इसके बाद बतौर अभिनेत्री ‘नवविथे नवरत्नालु’ में पहली बार काम किया। कृष्ण कुमारी के फिल्मी करियर की शुरुआत संयोगवश हुई। वह और उनकी मां एक फिल्म ‘स्वप्नसुंदरी’ देख रहे थे और निर्देशक सुंदराजन की बेटी भूमा भी फिल्म देखने आई थीं वहां उनकी नज़र इन पर पड़ी। उन्होंने तुरंत कृष्णा कुमारी से संपर्क किया और पिता की फिल्म नवविथे नवारत्नालु में सिंड्रेला की भूमिका की पेशकश की। इस तरह उनके फिल्मी डेब्यू तय हुआ। जिस समय कृष्णा कुमारी काम कर रही थी उस समय और भी बड़ी अभिनेत्रियों का दौर था लेकिन वह एक ऐसी प्रतिभा थी जिन्हें कोई नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता था।
कुमारी ने अपने फिल्मी करियर में एक के बाद एक कई हिट फिल्मों में काम किया। उनकी प्रमुख तमिल फिल्मों में थिरुंबी पार, मणिथन, अज़गी, पुधु युग्म, विदुथलाई और थुली विशम हैं। उन्होंने अपने फिल्मी करियर सबसे अधिक तेलुगु फिल्मों में काम किया। इसके अलावा लगभग 30 तमिल और कई कन्नड़ भाषा की फिल्मों में अभिनय किया। साल 1960 के दशक की शुरुआती समय में उन्होंने कुछ वक्त के लिए कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में काम किया लेकिन कुछ सालों के बाद वे फिर से तेलगु सिनेमा में काम करने लगी। लेकिन पांच से छह साल की छोटी सी समयावधि में उन्होंने वहां भी यादगार काम किया। उनकी ज्यादातर फिल्मों में राजकुमार उनके सह कलाकार थे। इतना ही नहीं उन्होंने अपना पहला पुरस्कार राजकुमार के साथ फिल्म ‘भक्त कनकदास’ (1960) के लिए मिला था। इसके अलावा कृष्णा कुमारी की जोड़ी एनटी रामा राव, अक्किनेनी नागेश्वर राव, कृष्णम राजू, डॉक्टर राजकुमार, शिवाजी गणेशन, कांता राव और जग्गाया के साथ भी खूब पसंद की गई।
अपने शानदार अभिनय प्रतिभा के दम पर कृष्णा कुमारी अपने समय की शीर्ष अभिनेत्री में से एक थीं। उन्होंने लगभग दो दशकों तक दक्षिण भारतीय भारतीय फ़िल्मों में काम किया और अपना नाम बनाए रखा। एनटीआर के साथ ऑन-स्क्रीन जोड़ी के लिए वह सबसे ज्यादा जानी जाती थीं जिनके साथ उन्होंने 25 फिल्में की थी। इन दोनों की पर्दे पर जोड़ी हिट रहीं। कृष्णा कुमारी ने एएनआर के साथ भी 18 फिल्मों में काम किया। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने उसे समय के उभरते अभिनेता कृष्णम राजू के साथ भी फिल्म ‘चिलका गोरिंका’ में काम किया था।
200 से अधिक फिल्मों में किया काम
कृष्ण कुमारी ने अपने फिल्मी करियर में लगातार 200 से अधिक फिल्मों में काम किया पर। उनकी प्रमुख फिल्मों की बात की जाए तो उनमें से सबसे उल्लेखनीय फिल्मों में पिची पुल्लैया(1953), बंगारू पापा(1955), विनायक चविति(1957), पेल्ली कनुका(1960), देवंथकुडु(1960), भार्या भरतालु(1961), वगदानम(1961), कुला गोत्रालु(1962), चाडुवुकुन्ना अम्मायिलु(1963), बांदीपोत(1963), पुनर्जन्म(1963), अग्गी पिदुगु(1964), डॉक्टर चक्रवर्ती(1964), गुडी गंटालु(1964), अंतस्तुलु(1965), चिक्काडु दोरकाडु(1967), टिक्का शंकरय्या(1968), नेरामु शिक्षा(1973) आदि नाम शामिल हैं। कुमारी ने हिंदी सिनेमा में भी काम किया। उनकी पहली हिंदी फिल्म साल 1958 में रिलीज हुई ‘कभी अंधेरा कभी उजाला’ थी। बॉलीवुड में उनका नाम कृष्णा कुमारी से बदल कर रति नाम कर दिया गया था। मगर इनका मन हिंदी सिनेमा में नहीं लगा और कई फिल्मों के प्रस्ताव मिलने के बाद उन्हें अस्वीकार करके वह तेलुगु सिनेमा की तरफ यानी मद्रास लौट गई।
साल 1969 में इनकी शादी बिजनेसमैन और पत्रकार अजय मोहन खेतान से शादी हुई थी। साल 1951 से लेकर 1976 तक फिल्मों में सक्रिय रहीं। फिर उसके बाद उन्होंने अचानक से एक बहुत ही बड़ा फैसला लिया और फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ने का एलान किया। कृष्ण कुमारी ने अपने अभिनय करियर में एक से एक बड़ी फिल्मों में काम किया। अपनी सामाजिक फिल्मों में उन्होंने एक ऐसी महिला का किरदार निभाया जो समकालीन दृष्णकोण को दिखाती है और आदर्शों पर बनी रहती है। एक अभिनेत्री के तौर पर उन्हें अपनी बहन सौकर जानकी की छाया से बाहर आने में ज्यादा समय लगा क्योंकि वह अपनी कला प्रतिभा और उसकी सीमाओं को जानती थीं। 24 जनवरी 2018 को 85 साल की उम्र में बैंगलोर में कैंसर से उनकी मौत हुई। कृष्णा कुमारी के फिल्म जगत में दिए गए बहुमूल्य योगदानों को उनकी फिल्मों के ज़रिए हमेशा याद जाएगा।
स्रोतः