इंटरसेक्शनलLGBTQIA+ क्वीयर फूड कल्चर: पहचान, प्रतिरोध और समावेशिता का प्रतीक

क्वीयर फूड कल्चर: पहचान, प्रतिरोध और समावेशिता का प्रतीक

क्वीयर समुदाय में कई लोग अपनी लिंग-आधारित जानकारी और भूमिका का उपयोग रसोई से लेकर समुदाय निर्माण तक विभिन्न स्तरों पर करते हैं। उनकी खाद्य आदतों में सुरक्षा, स्वाद और विविधता के समावेश से एक समग्र दृष्टिकोण बनता है जो उनके सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को परिभाषित करता है।

जेंडर और यौनिकता का हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं से गहरा संबंध होता है, जिनमें भोजन एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भोजन केवल स्वाद, भूख मिटाने या पोषण का स्रोत नहीं है, बल्कि यह संस्कृति, पहचान और सामाजिकता का भी प्रतीक है। क्वीयर समुदाय, जो पारंपरिक जेंडर बाइनरी और यौन अपेक्षाओं को चुनौती देता है, अपने भोजन के अनुभव और खाद्य परंपराओं के साथ एक अनूठा संबंध दर्शाता है। ऐतिहासिक रूप से क्वीयर समुदाय को सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से हाशिये पर रखा गया है। बुनियादी सुविधाओं के लिए भी क्वीयर समुदाय को वो लड़ाई लड़नी पड़ती है जो मानवाधिकारों का हनन है। उदाहरण के लिए, 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में ट्रांस लोगों की कुल आबादी 4.88 लाख है। हालांकि, उनमें से केवल मुट्ठी भर को ही रोजगार के अवसर मिलते हैं।

आउट्लुक में छपी रिपोर्ट मुताबिक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा 2018 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, 96 प्रतिशत ट्रांसजेंडरों को नौकरियों से वंचित रखा जाता है और उन्हें आजीविका के लिए बढाई, सेक्स वर्क और भीख मांगने जैसे कम वेतन वाले या असम्मानजनक काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। क्वीयर समुदाय में विभिन्न जेंडर और यौनिकता से ताल्लुक रखने वाले लोग शामिल होते हैं। लेस्बियन, गे, बाइसेक्शूअल, ट्रांसजेंडर, क्वीयर, और अन्य गैर-हेट्रोनॉर्मेटिव पहचानें अहम हैं। इस समुदाय के लोग समाज में प्रचलित लैंगिक भूमिकाओं और यौनिक पहचान की रूढ़ियों को चुनौती देते आए हैं। इसी प्रकार उनका भोजन से संबंध, उनके जीवन के अनिवार्य और व्यक्तिगत पहलुओं को दर्शाता है। क्वीयर समुदाय के कई लोग भोजन के साथ अपने व्यक्तिगत संबंध को अपनी यौनिक पहचान से जोड़ते हैं।

जहां आम तौर पर भोजन बनाने को महिलाओं से जोड़ा जाता है, वहीं क्वीयर समुदाय, भोजन और यौनिकता का अंतर्संबंध इस स्टीरिओटाइप को भी तोड़ता है। भोजन, खासकर कुछ विशेष डिश या कुकिंग स्टाइल, क्वीयर कल्चर के प्रतीक बन चुके हैं।

क्वीयर समुदाय, भोजन और यौनिकता का अंतर्संबंध

फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए रितिका बैनर्जी

जहां आम तौर पर भोजन बनाने को महिलाओं से जोड़ा जाता है, वहीं क्वीयर समुदाय, भोजन और यौनिकता का अंतर्संबंध इस स्टीरिओटाइप को भी तोड़ता है। भोजन, खासकर कुछ विशेष डिश या कुकिंग स्टाइल, क्वीयर कल्चर के प्रतीक बन चुके हैं। जैसे शाकाहार या शाकाहार की ओर झुकाव को कई क्वीयर समुदाय राजनीतिक पहचान या प्रतिरोध के रूप में अपनाते हैं। यह उनके लिए भोजन बनाने, खाने और उसे साझा करने के माध्यम से अपने शरीर और जेंडर के बारे में एक स्वतंत्र परिभाषा को स्थापित करने का जरिया बनता है। इस प्रकार, क्वीयर समुदाय के लिए भोजन और यौनिकता के बीच का संबंध उनके समाज और संस्कृति की सीमाओं को परिभाषित करता है।

खाद्य परिदृश्य में जेंडर का योगदान

खाद्य परिदृश्य का मतलब रसोई में काम करने वाली भूमिकाओं से है, जो पारंपरिक रूप से लिंग आधारित मानी जाती हैं। भोजन पकाने की प्रक्रिया और विशेष खाद्य पदार्थों का चयन भी लिंग के आधार पर निर्धारित होता है। आमतौर पर, महिलाओं को घरेलू रसोई और पुरुषों को पेशेवर रसोई का कार्य सौंपा गया है। क्वीयर समुदाय इस विभाजन को चुनौती देता है। क्वीयर शेफ और भोजन से जुड़े अन्य पेशेवर इन पुरानी धारणाओं को तोड़ते हुए लैंगिक भेदभाव के परे रसोई के विचार को बढ़ावा दे रहे हैं। यह बदलाव क्वीयर समुदाय की एकता और उनके पारंपरिक ढांचों से अलग होने का प्रतीक है।

क्वीयर शेफ और भोजन से जुड़े अन्य पेशेवर इन पुरानी धारणाओं को तोड़ते हुए लैंगिक भेदभाव के परे रसोई के विचार को बढ़ावा दे रहे हैं। यह बदलाव क्वीयर समुदाय की एकता और उनके पारंपरिक ढांचों से अलग होने का प्रतीक है।

क्वीयर फूड कल्चर और उससे जुड़े मिथक

क्वीयर समुदाय ने अपनी एक अनोखी खाद्य संस्कृति का निर्माण किया है, जिसमें विविधता, समावेशिता और लैंगिक समानता का विशेष ध्यान रखा गया है। इस समुदाय के भीतर भोजन, खाद्य परंपराएं और विशेष व्यंजन उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। कई बार ये स्थान उनकी यौनिकता और लैंगिक पहचान को सुरक्षित रूप से व्यक्त करने के लिए सुरक्षित स्थान बन जाते हैं। कुछ होटल, रेस्तरां और कैफे विशेष रूप से क्वीयर समुदाय के लिए सुरक्षित स्थान के रूप में काम करते हैं, जहां समुदाय के लोग मिल सकते हैं, बातचीत कर सकते हैं और अपनी पहचान के साथ गर्व से जी सकते हैं। क्वीयर फूड कल्चर न केवल भोजन और उसके व्यंजनों के बारे में है, बल्कि यह उनके लिए एक सुरक्षित सामाजिक पहचान, संवाद और समुदाय के निर्माण का अवसर भी प्रदान करता है। क्वीयर फूड इवेंट्स और क्वीयर-फ्रेंडली रेस्तरां क्वीयर समुदाय के लिए ऐसे स्थान बनाते हैं, जहां वे अपनी पहचान के साथ स्वतंत्र रूप से मिलजुल सकते हैं।

क्वीयर समुदाय, भोजन, खाद्य सुरक्षा और पोषण की बात  

फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए रितिका बैनर्जी

अक्सर यह मिथक रहता है कि क्वीयर समुदाय के व्यक्ति भोजन या पोषण के मामले में विशेष रूप से अलग विकल्प चुनते हैं। जबकि सच तो यह है कि समुदाय के कई सदस्य, विशेष रूप से ट्रांसजेंडर व्यक्ति, भोजन की असुरक्षा और आर्थिक तंगी का सामना करते हैं। कई बार आर्थिक असुरक्षा और भेदभाव के कारण उन्हें पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाता, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। एक स्टडी के अनुसार लगभग 27 फीसद क्वीयर लोग खाद्य असुरक्षा का सामना करते हैं, जो हेटरोसेक्शुअल समुदाय की तुलना में लगभग दोगुनी है। एक अन्य मिथक यह है कि क्वीयर व्यक्ति केवल विशेष आयोजनों या ‘क्वीयर-केन्द्रित’ रेस्तरां में ही भोजन करते हैं।

क्वीयर फूड कल्चर न केवल भोजन और उसके व्यंजनों के बारे में है, बल्कि यह उनके लिए एक सुरक्षित सामाजिक पहचान, संवाद और समुदाय के निर्माण का अवसर भी प्रदान करता है।

हालांकि वास्तविकता यह है कि क्वीयर समुदाय भी सामान्य रेस्तरां और खाद्य सेवाओं का उपयोग करते हैं, और अपने भोजन की पसंद में उतने ही स्वतंत्र होते हैं जितना कि कोई अन्य व्यक्ति। क्वीयर समुदाय में विशेषकर ट्रांस लोगों को कई तरह की सामाजिक सुरक्षा समस्याओं का सामना करना पड़ता है। चूंकि उनमें से कई घर से भाग जाते हैं या बेदखल कर दिए जाते हैं, इसलिए उन्हें लंबे समय तक अपने जैविक परिवार से सहायता की उम्मीद नहीं होती है।

तस्वीर साभार: Big Queer Food Fest

ऐसे में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, खासकर तब जब वे स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं, रोज़गार के अवसरों की कमी या बुढ़ापे के कारण कमाने की स्थिति में नहीं होते या उनकी कमाई करने की क्षमता कम हो जाती है। विशिष्ट सामाजिक कल्याण योजनाओं की कमी और मौजूदा योजनाओं का उपयोग करने में बाधाओं ने लगातार उन्हें आर्थिक रूप से पिछड़ा बनाकर रखा है। सामाजिक कल्याण विभाग सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों के लिए कई तरह की सामाजिक कल्याण योजनाएं प्रदान करते हैं। हालांकि अभी तक ट्रांस समुदाय के लिए ऐसी कोई विशेष योजनाएं उपलब्ध नहीं हैं। नालसा बनाम यूओआई 2014 के ऐतिहासिक फैसले के बाद साल 2015 में ओडिशा भारत का पहला राज्य था, जिसने ट्रांसजेंडर समुदाय को गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) लाभार्थियों की श्रेणी में शामिल किया है, जो उन्हें खाद्यान्न, पेंशन, स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास जैसे सरकारी कार्यक्रमों से जोड़ता है।

एक स्टडी के अनुसार लगभग 27 फीसद क्वीयर लोग खाद्य असुरक्षा का सामना करते हैं, जो हेटरोसेक्शुअल समुदाय की तुलना में लगभग दोगुनी है। एक अन्य मिथक यह है कि क्वीयर व्यक्ति केवल विशेष आयोजनों या ‘क्वीयर-केन्द्रित’ रेस्तरां में ही भोजन करते हैं।

समावेशिता और विविधता

क्वीयर समुदाय विभिन्न सांस्कृतिक खाद्य परंपराओं को अपनाकर अपने जीवन को और समृद्ध बनाते हैं। भोजन उनके लिए न केवल उनकी पहचान को बढ़ावा देने का माध्यम बनता है, बल्कि यह उनके लिए समुदाय में संवाद का एक साधन भी बनता है। क्वीयर समुदाय ने भोजन और उसके अनुभवों में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी लाई है। भोजन का चयन कई बार मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है, इसलिए क्वीयर लोग अक्सर ऐसे खाद्य विकल्पों की तलाश करते हैं जो उनके स्वास्थ्य को बढ़ावा दे और उनके समुदायों में स्वीकार्य हो। इसके साथ ही, क्वीयर समुदाय ने बदलते खाद्य परिदृश्य में न केवल अपनी जगह बनाई है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि भोजन एक समावेशी और विविधतापूर्ण अनुभव का हिस्सा बने। इस प्रकार, भोजन केवल एक आवश्यक वस्तु नहीं है, बल्कि यह एक शक्तिशाली साधन है जो क्वीयर समुदाय की पहचान को आकार देने और समाज में बदलाव लाने की क्षमता रखता है।

क्वीयर समुदाय में कई लोग अपनी लिंग-आधारित जानकारी और भूमिका का उपयोग रसोई से लेकर समुदाय निर्माण तक विभिन्न स्तरों पर करते हैं। उनकी खाद्य आदतों में सुरक्षा, स्वाद और विविधता के समावेश से एक समग्र दृष्टिकोण बनता है जो उनके सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को परिभाषित करता है। क्वीयर समुदाय और भोजन के बीच का संबंध जटिल और बहुआयामी है। यह संबंध केवल भोजन और स्वाद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समुदाय के लिए पहचान और सांस्कृतिक प्रतिरोध का माध्यम भी है। क्वीयर समुदाय अपने भोजन के माध्यम से समाज में स्थापित धारणाओं को चुनौती देते हैं और अपने लिए एक समावेशी और लैंगिक रूप से समान खाद्य संस्कृति का निर्माण करते हैं। लिंग, यौनिकता और भोजन के बीच का संबंध गहरा और महत्वपूर्ण है। क्वीयर समुदाय अपने खाद्य विकल्पों के माध्यम से अपनी पहचान, संस्कृति और राजनीति को व्यक्त करते हैं। भोजन उनके लिए एक ऐसा माध्यम है, जो उन्हें अपने समुदाय की विविधता, समावेशिता और उनकी विशेष पहचान को समाज के सामने प्रस्तुत करने में सहायक है।

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