स्वास्थ्यशारीरिक स्वास्थ्य हॉट फ्लैशेज क्या है और इनके बारे में जानकारी क्यों है ज़रूरी?

हॉट फ्लैशेज क्या है और इनके बारे में जानकारी क्यों है ज़रूरी?

मेनोपॉज के तरह ही एंग्जाइटी होने पर भी हॉट फ्लैशेज की समस्या हो जाती है। एंग्जाइटी होने पर जहां बेचैनी का होना, हार्ट अटैक, सांस लेने में परेशानी होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है उसी तरह ही हॉट फ्लैशेज भी होता है इसके होने पर भी जल्द से जल्द संभालने की आवश्यकता होती है।

हॉट फ्लैशेज मूल रूप से महिलाओं में होता है। हर महिला में मेनोपॉज होता है, जिसका मतलब होता है एक निश्चित समय बाद पीरियड्स का लेट आना या पूरी तरह से पीरियड्स का बंद हो जाना। एक एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है जो आमतौर पर 45 से लेकर 55 उम्र की महिलाओं के बीच होती है। यह महिलाओं के जीवन की वह अवस्था है जब उनका पीरियड्स हमेशा के लिए बंद हो जाते है। मेनोपॉज कोई बीमारी नहीं है। यह महिलाओं के बढ़ती उम्र का एक सामान्य हिस्सा है।

मेनोपॉज एक सामान्य प्रक्रिया है, और इसके साथ आने वाले बदलावों को समझकर और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसे सहज बनाया जा सकता है। कुछ महिलाओं में इसके लक्षण नहीं होते या होते भी हैं तो हल्के होते हैं। लेकिन वहीं कुछ महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान कई तरह के लक्षण नज़र आते हैं, जिसमें हॉट फ्लैशेज का होना सामान्य बात होती है। इसके होने से शरीर के कई हिस्से प्रभावित होते हैं। मॉयो क्लीनिक में छपी जानकारी के अनुसार शरीर के उपरी हिस्से में गर्मी का एहसास होता है। आमतौर पर इससे चेहरा, छाती और गर्दन सबसे ज्यादा प्रभावित होता है, जिसके कारण असुविधा और दिनभर के काम में एक तरह का बाधा होने लगती है। लेकिन क्या हॉट फ्लैशेज केवल मेनोपॉज तक ही सीमित है या इसका दायरा और भी है?

महिलाओं के मामले में हमेशा ही इसे मेनोपॉज से जोड़ कर देखना भी ठीक नहीं है। शरीर में अचानक गर्मी महसूस होना और पसीना आने के अन्य कारण भी हो सकते है इसलिए केवल एक स्तर पर रखकर इसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है।

मेनोपॉज के अलावा हॉट फ्लैशेज

तस्वीरः Y.O.U

मेनोपॉज के तरह ही एंग्जाइटी होने पर भी हॉट फ्लैशेज की समस्या हो जाती है। एंग्जाइटी होने पर जहां बेचैनी का होना, हार्ट अटैक, सांस लेने में परेशानी होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है उसी तरह ही हॉट फ्लैशेज भी होता है। इसके होने पर भी जल्द से जल्द संभालने की आवश्यकता होती है। इस तरह से थायरॉयड में भी इसका असर मालूम होता है। जब थायरॉयड में भी वजन बढ़ना एक सामान्य समस्या होती है तब थायरॉयड के ज्यादा एक्टिव होने पर भी महिलाओं में हॉट फ्लैशेज की समस्या दिखाई देती है।

कैंसर के वजह से शरीर में हार्मोनल समस्याएं होने लगती है जिससे हॉट फ्लैशेज की दिक्कत बढ़ने लगती हैं। कुल मिलाकर यह माना जाता है कि मेनोपॉज के अलावा भी कई कारण हैं या हो सकते हैं जिसके वजह से हॉट फ्लैशेज हो सकती है। इसलिए महिलाओं के मामले में हमेशा ही इसे मेनोपॉज से जोड़ कर देखना भी ठीक नहीं है। शरीर में अचानक गर्मी महसूस होना और पसीना आने के अन्य कारण भी हो सकते है इसलिए केवल एक स्तर पर रखकर इसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है।

आख़िर हॉट फ्लैशेज क्यों होता है

तस्वीर साभारः Nekkei Asia

हॉट फ्लैशेज महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों में भी होता है लेकिन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाएं है। इसे हार्मोनल असंतुलन से भी जोड़ कर देखा जाता है। यह प्रमुख रूप से एस्ट्रोजन के स्तर में कमी के कारण होता है। एस्ट्रोजन शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मुख्य भूमिका निभाता हुआ पाया जाता है और मेनोपॉज के दौरान स्तर में गिरावट के कारण शरीर को स्थिर तापमान बनाये रखने में समस्या हो सकती है। हाइपोथैलेमस, जो कि शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए ज़िम्मेदार हैं। यह परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है, जिससे शरीर को ठंडा करने के लिए हॉट फ्लैशेज शुरू हो जाता है। हाइपोथैलेमस, मस्तिष्क का वह भाग होता है जो भूख, नींद के चक्र, सेक्स हार्मोन और शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए मुख्य रूप से ज़िम्मेदार है। यह शरीर के मामूली बदलाव के लिए भी अधिक संवेदनशील हो जाता है जब उसे आभास होता है कि शरीर अत्यधिक रूप से गर्म है। तब शरीर को ठंडा करने के लिए हॉट फ्लैशेज शुरू कर देता है। इसके होने के कई सारे कारक भी दिखाई देते हैं। जैसे तनाव, धूम्रपान, गर्मी और आद्रता, फिटिंग कपड़ें, कैफीन, चटपटा खाना आदि को देखा जाता है।

हॉट फ्लैशेज से कैसे बचें, डॉक्टर को कब दिखाए?

हॉट फ्लैशेज जोकि महिलाओं में होना एक सामान्य सी बात होती है लेकिन इसके होने से उनका जीवन बहुत ही प्रभावित हो जाता है। इससे बचने के लिए कुछ सुझाव कारगर होते हैं। इनकी जानकारी रखते हुए उन्हें अपनाया जा सकता है। जब लगने लगे कि हॉट फ्लैशेज की समस्या हो रही है तब गहरी साँस लेने से हॉट फ्लैशेज की तीव्रता कम होती है और आराम मिल सकता है। ठंडा पानी पीने से शरीर का तापमान कम होता है और गर्मी मिलने की समस्या से राहत मिल सकती है।

यहां तक कि गर्मी का समय सबसे आसान होता है। पंखा झलना, गर्दन या कलाई के पीछे ठंडा कपड़ा रखने से शरीर का तापमान कम करने और गर्मी की तीव्रता को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके बाद भी अगर राहत नहीं मिल पा रहा है तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाया जाना चाहिए। भले ही यह मेनोपॉज का आम लक्षण है लेकिन इसके वजह से और भी अन्तहीन स्वास्थ्य स्थितियों का भी संदेह होना लाज़िम हो जाता है। ऐसे में अगर गर्मी की अनुभूति बार – बार हो रही हो, नींद सही तरीके से ना पूरा हो पा रहा हो, इन सबके वजह से दैनिक गतिविधियों में बाधा हो रही हो तो ऐसे समय में हमें सबसे पहले डॉक्टर से ज़रूर परामर्श लेनी चाहिए क्योंकि डॉक्टर किसी भी अन्तहीन स्वास्थ्य स्थितियों को पता लगाने और उचित उपचार करने में सहायक हो सकता है।

हॉट फ्लैशेज महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों में भी होता है लेकिन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाएं है। इसे हार्मोनल असंतुलन से भी जोड़ कर देखा जाता है। यह प्रमुख रूप से एस्ट्रोजन के स्तर में कमी के कारण होता है।

क्या हॉट फ्लैशेज को रोका जा सकता है? 

कई शोध के मुताबिक मालूम होता है कि हॉट फ्लैशेज को रोका तो नहीं जा सकता है लेकिन इसके लक्षण को देख कर इससे हो रहे भयावह प्रभाव को कम किया जा सकता है। हॉट फ्लैशेज से राहत पाई जा सकती है उसके लिए ज़रूरी हो जाता है कि शरीर के तापमान को कम रखे, दिन के समय हल्के सूती कपड़े पहने, साथ ही रात में सोते वक्त कमरे का तापमान ठंडा रखना, बार – बार ठंडे पानी से मुँह धोना तथा मसालेदार आहार लेना वर्जित किया जा सकता है।

हॉट फ्लैशेज से तनाव बहुत होता है ऐसे में मेडिटेशन और एक्सरसाइज करने से मन और शरीर शांत रहते है जिससे हॉट फ्लैशेज की समस्या कम होती है। मैग्नीशियम ग्लाइसिनेट सप्लीमेंट्स शरीर को शांत रखने और तनाव को कम करने में मदद करता है। यह सप्लीमेंट्स हॉट फ्लैशेज को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। हालांकि किसी सप्लीमेंट्स का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लेना चाहिए।

हॉट फ्लैशेज एक सामान्य समस्या  है जो कि मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में देखी जाती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 75 प्रतिशत महिलाएं है जो मेनोपॉज के दौरान हॉट फ्लैशेज महसूस करती हैं। इसकी तीव्रता अलग-अलग महिलाओं में भिन्न-भिन्न हो सकती है। आमतौर पर यह भी देखा जाता है कि यह समस्या 30 सेकेण्ड से 10 मिनट तक रह सकती है। इसकी आवृति भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न  हो सकती है। कुछ में यह रोज या दिन में कई बार हो सकती है जबकि अन्य किसी में यह वर्ष या कई वर्षों के दौरान हॉट फ्लैशेज हो सकती है। इसके लिए यह जरूरी हो जाता है कि जीवन शैली में बदलाव किया जाए। कुछ छोटे-छोटे बदलाव से भी हम आसानी से इससे निपटारा पा सकते हैं। अपने शरीर के तापमान को कंट्रोल रखना, सही आहार लेना, लगभग हर रोज नियमित रूप से ध्यान करना और मैग्नेशियम के सेवन से भी मदद मिल सकती है।

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