समाजकैंपस जामिया में विद्यार्थियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन, निजी जानकारी सार्वजनिक

जामिया में विद्यार्थियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन, निजी जानकारी सार्वजनिक

14 फरवरी को जामिया प्रशासन द्वारा उन सभी डिटेन किए गए छात्रों की तस्वीरों के साथ-साथ उनका परिचय व उनके कांटेक्ट यूनिवर्सिटी के गेट पर लगा देती है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अधिकारों का पूरी तरह से हनन है जिसमें किसी भी व्यक्ति की निजी सूचना व उसके निजी गोपनीयता के अधिकार का हनन है।

केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बीती 10 फरवरी से वहां के छात्रों द्वारा शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन किया जा रहा था। यह धरना उनके अधिकारों की रक्षा के लिए किया जा रहा था क्योंकि जामिया एडमिनिस्ट्रेशन ने उन सभी बच्चों को शोकॉज़ नोटिस के जरिए उन पर आरोप लगाया है कि वे कैंपस का शांतिपूर्ण माहौल खराब करते हैं। लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि उस नोटिस में यह कहीं भी नहीं लिखा गया है कि उन्होंने अभी तक ऐसा क्या किया है जिससे कैंपस की शांति भंग हुई हो। हिंदुस्तान टाइम्स में छपी जानकारी के अनुसार जामिया के छात्रों ने ‘जामिया रेजिस्टेंस डे’ कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन किया। बीते गुरुवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के 10 से अधिक छात्रों को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया। ये छात्र दो पीएचडी शोधार्थियों के खिलाफ़ विश्वविद्यालय द्वारा की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। यह कार्रवाई दिसंबर 2024 के ‘जामिया रेजिस्टेंस डे’ कार्यक्रम से जुड़ी थी, जो 2019 के नागरिकता संशोधन कानून (CAA) विरोधी प्रदर्शनों की वर्षगांठ के रूप में आयोजित किया गया था।

दरअसल यह सभी छात्र 15 दिसंबर 2019 में सीएए और एनआरसी के दौरान जामिया कैंपस के अंदर पुलिस की बर्बर हिंसा को 16 दिसंबर 2024 की वर्षगांठ में एकत्र हुए थे। वह प्रदर्शन 15 दिसंबर 2024 को होने वाला था लेकिन जामिया एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा पूरा कैंपस 15 दिसंबर 2024 को मेंटेनेंस के नाम पर बंद करवा दिया जाता है और बाहर पुलिस फोर्स को तैनात कर दिया जाता है। इसके बाद वह प्रोटेस्ट उस दिन न होकर अगले दिन 16 दिसंबर को होता है। उस प्रोटेस्ट की अगुआई लीडरशिप के तौर पर AIRSO के निरंजन, AISA से सौरभ और DISSC से ज्योति ने की, जिसमें सौरभ और ज्योति हिंदी विभाग के पीएचडी स्कॉलर हैं। इन दोनों पर जामिया एडमिनिस्ट्रेशन ने डिसीप्लिनरी कमेटी बैठाई और इनके खिलाफ नोटिस भी जारी किया। उस नोटिस में उनके पीएचडी का कैंसिलेशन था और बाकी के छात्रों पर शोकॉज नोटिस दिया गया था। सभी छात्रों ने मिलकर यह प्रोटेस्ट आयोजित किया था जिसमें वह अपने अधिकारों की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे।

धरने का तीसरा दिन शांतिपूर्ण तरीके से चल ही रहा होता है तब तक दिल्ली पुलिस द्वारा प्रदर्शन में शामिल हुए छात्रों के घर एक-एक करके उनके परिजनों को चेतावनी दी जाती है।

सवाल यह है कि क्या इस लोकतांत्रिक देश में अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना अब एक सजा हो गया है? अगर जामिया प्रशासन ऐसा करती है तो यह मौलिक अधिकार अनुच्छेद 19 1(a) का हनन है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, बोलना, शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठा होना, भारत के किसी भी कोने में आने-जाने की स्वतंत्रता प्रदान करती है। जामिया प्रशासन इस तरह से छात्रों के अधिकार छीन कर संविधान के नियमों का उलंघन किया है। 10 फरवरी 2025 को शाम पांच बजे छात्रों ने एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा भेजे गए नोटिस को जलाकर धरना प्रदर्शन का आगाज़ किया था। इसके बाद वे अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन समय तक के लिए गेट नंबर 7 के अंदर सेंट्रल कैंटीन पर धरना प्रदर्शन के लिए शांतिपूर्ण तरीके से बैठ गए। 

तस्वीर साभारः खदीजा

धरना प्रदर्शन की दूसरी रात जामिया के गार्ड लाठी लेकर प्रदर्शन की जगह देखे गए। हालांकि प्रदर्शन के दूसरे दिन भीड़ की संख्या अधिक होने पर गार्ड वहां से लौट जाते हैं। अगली सुबह दिल्ली पुलिस पूरे कैंपस के बाहर तैनात कर दी जाती है। इस तरह से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन का तीसरा दिन शुरू होता है। धरने का तीसरा दिन शांतिपूर्ण तरीके से चल ही रहा होता है तब तक दिल्ली पुलिस द्वारा प्रदर्शन में शामिल हुए छात्रों के घर फोन करके उनके परिजनों को चेतावनी दी जाती है। यहां तक की प्रदर्शन में शामिल महिलाओं के परिजनों को यह बताया जाता है कि उनकी लड़कियां प्रदर्शन में रहती हैं और रात में वहां रूकती हैं, न जाने कैसे-कैसे काम करती होंगी। छात्राओं की विशेष रूप से मोरल पुलिसिंग की गई।

रोज की अपेक्षा तीसरी रात वहां रुकने वाले छात्र अधिक थे लेकिन दिन की भीड़ की तरह नहीं थे उसमें महिलाएं भी थी। अगले दिन करीब सुबह पांच बजे सभी प्रदर्शनकारी छात्र शांतिपूर्ण तरीके से सेंट्रल कैंटीन पर सो रहे होते हैं और इस बीच अचानक जामिया के गार्ड लाठी लेकर पहुंचते हैं जिसमें सभी मेल गॉड्स ही होते हैं। सोते हुए उन्होंने छात्रों को लाठी से जगाया और जामिया के गार्डस् के द्वारा उन्हें दिल्ली पुलिस की गाड़ियों में भर दिया जाता है। मेल गार्ड महिलाओं को खींचकर गेट तक ले जाते हैं उसके बाद महिला गार्ड आती है। यह घटना जामिया एडमिनिस्ट्रेशन की असंवेदनशीलता को दर्शाती है।

प्रदर्शनकारी छात्रों को जिस समय डिटेन किया गया था वह समय पूरे तरीके से असंवैधानिक था। डिटेन कर लिए जाने पर उन छात्रों की कोई भी खबर नहीं मिलती है। डिटेनिंग के समय दिल्ली पुलिस की गाड़ी का पीछा करते हुए प्रदर्शनकारियों के कुछ साथी कालकाजी थाने पर पहुंचते हैं और वहां धरना प्रदर्शन शुरू कर देते हैं कि उनके साथियों की खबर दी जाए कि वह कहां रखे गए हैं? वहां प्रदर्शन करने AISA की अध्यक्ष नेहा पहुंचती हैं। सोशल मीडिया और मीडिया चैनलों के माध्यम से प्रशासन पर दबाव बनाया जाता है कि वह दिल्ली पुलिस से कहे कि उनके साथियों को रिहा किया जाए। दोपहर तीन बजे के बाद प्रदर्शनकारी छात्रों का पता चलता है। जिसमें कुल 14 छात्रों को तीन अलग-अलग जगह पर रखा गया था। कुछ को बदरपुर थाना, कुछ को फतेहपुर बेरी और बाकियों को बवाना में रखा गया था।

तस्वीर साभारः खदीजा

करीब रात आठ बजे सभी छात्रों को रिहाई मिल जाती है। रिहाई मिलने के बाद फौरन एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा उन सभी छात्रों पर सस्पेंशन लेटर जारी कर दिया जाता है। उनमें से दो छात्र सौरभ और ज्योति के ऊपर एफआईआर दर्ज की जाती है। यह केस, प्रदर्शन के दूसरे दिन गेट नंबर-8 में कुछ छात्र आपस में उलझ कर तोड़फोड़ मचाते हैं, उस पर था। चूँकि गेट नंबर 8  में कोई भी प्रदर्शनकारी छात्र मौजूद नहीं थे और यह एक सिट-इन प्रोटेस्ट था जोकि गेट नंबर 7 के अंदर सेंट्रल कैंटीन पर था। स्टूडेंट्स का कहना है कि जब वे वहां मौजूद नहीं थे तो तोड़फोड़ का केस उनपर किस लिए किया गया है? 

इतना ही नहीं जामिया एडमिनिस्ट्रेशन ने प्रदर्शन की जगह पर पेंट से लिखे गए सारे नारे और क्रांतिकारी बोल को मिटा दिया है कि यह सब कुछ प्रदर्शनकारी छात्रों की जगह से बरामद हुआ है। महिला प्रदर्शन कार्यों के साथ जामिया प्रशासन बहुत ही बर्बरता के साथ पेश आया। छात्र नेता ज्योति का कहना है कि उन्हें मेल गार्ड द्वारा बाल पकड़ कर खींचा गया है। वहीं दूसरी महिला प्रदर्शनकारी हबीब जिन्हें बदरपुर कांस्टेबल महिला शकुंतला द्वारा थप्पड़ मारने का भी बयान सामने आता है।

जामिया पर छात्रों का निजता के उल्लंघन का आरोप

तस्वीर साभारः खदीजा

छात्रों ने विश्वविद्यालय पर उनकी निजता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि कथित नोटिस में 17 छात्रों के नाम, उनकी तस्वीरें, पहचान पत्र, पते और राजनीतिक जुड़ाव जैसी व्यक्तिगत जानकारियां शामिल थीं। कई छात्रों ने बताया कि उन्हें 12 फरवरी को मुख्य प्रोक्टर कार्यालय से निलंबन पत्र प्राप्त हुआ। इंडियन एक्सप्रेस में छपी जानकारी के अनुसार इस सूची में छात्राओं के नाम भी शामिल हैं। जामिया के शताब्दी गेट, गेट नंबर 7 और गेट नंबर 8 पर छात्रों की जानकारी को देखा गया है।

14 फरवरी को जामिया प्रशासन द्वारा उन सभी डिटेन किए गए छात्रों की तस्वीरों के साथ-साथ उनका परिचय व उनके कांटेक्ट यूनिवर्सिटी के गेट पर लगा देती है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अधिकारों का पूरी तरह से हनन है जिसमें किसी भी व्यक्ति की निजी सूचना व उसके निजी गोपनीयता के अधिकार का हनन है। देश के इन संवैधानिक अधिकारों का हनन करते हुए जामिया प्रशासन पाया गया है। लोकतंत्र में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय में अपने ही छात्र-छात्राओं के अधिकारों, बोलने की आजादी को कुचला जा रहा है।  

छात्रों ने विश्वविद्यालय पर उनकी निजता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि कथित नोटिस में 17 छात्रों के नाम, उनकी तस्वीरें, पहचान पत्र, पते और राजनीतिक जुड़ाव जैसी व्यक्तिगत जानकारियां शामिल थीं।

विश्वविद्यालय प्रशासन और विद्यार्थियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप

इंडियन एक्सप्रेस में छपी जानकारी के अनुसार जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रशासन ने गुरुवार सुबह एक बयान में कहा, “पिछले दो दिनों में कुछ छात्रों ने विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है। इसमें सेंट्रल कैंटीन को क्षतिग्रस्त करना और सुरक्षा सलाहकार कार्यालय के गेट को तोड़ना शामिल है। इसी कारण प्रशासन को कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि, छात्रों ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि यह विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उन्हें चुप कराने की कोशिश है। छात्रों ने दावा किया कि उनका आंदोलन कैंपस के अधिकारों की मांग को लेकर है, जिसमें साफ-सफाई की बेहतर सुविधाएं, कैंटीन में गुणवत्तापूर्ण भोजन और शैक्षणिक स्वतंत्रता शामिल हैं। बीते सोमवार यानी 17 फरवरी की स्थिति ये है कि जामिया परिसर के बाहर दिल्ली पुलिस भारी संख्या में तैनात है। साथ ही छात्रों ने जामिया प्रशासन की कार्रवाई के विरोध में कक्षाओं का बहिष्कार किया है और डीएसडब्ल्यू ऑफिस के बाहर धरना प्रदर्शन भी किया।


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