एडिटर्स नोट : यह लेख फेमिनिस्ट अप्रोच टू टेक्नॉलजी के प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ी लड़कियों द्वारा लिखे गए लेखों में से एक है। इन लेखों के ज़रिये बिहार और झारखंड के अलग-अलग इलाकों में रहने वाली लड़कियों ने कोविड-19 के दौरान अपने अनुभवों को दर्शाया है। फेमिनिज़म इन इंडिया और फेमिनिस्ट अप्रोच टू टेक्नॉलजी साथ मिलकर इन लेखों को आपसे सामने लेकर आए हैं अपने अभियान #LockdownKeKisse के तहत। इस अभियान के अंतर्गत यह लेख झारखंड के गिरीडीह ज़िले की लक्ष्मी ने लिखा है जिसमें वह बता रही हैं प्रतिभा की कहानी।
“कलम चलने वाले हाथों में मेहंदी न लगाओ
सपने देखने वाली आंखों पर पर्दा न लगाओ
हम लड़की के रूप में इंसान ही तो है परिंदे नहीं
हमारे रास्तों में जाल न बिछाओ”
सब की अपनी-अपनी कहानी होती है। उस कहानी में उसे सफलता मिली हो या नहीं, पर उस कहानी के संघर्ष और उसकी चुनौतियां हमें ज़िंदगी के बारे में बताती हैं। हर इंसान की कहानी अलग होती है। वह कहानी और अलग हो जाती है जब वह कहानी एक लड़की या औरत की हो। तो अब आइए इस लेख के ज़रिये आज हम कुछ ऐसी ही अलग कहानी सुनते हैं, कहानी एक लड़की की।
उस लड़की का नाम है प्रतिभा। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है प्रतिभा यानि बुद्धि। प्रतिभा बिहार के एक छोटे से गांव में रहती है। बचपन से ही वह पढ़ाई-लिखाई में बहुत तेज़ थी। जब भी कही कोई कार्यक्रम होता तो वह उसमें भाग लेने पहुंच जाती। वह दौड़ में भी काफी अच्छी थी। उसे हर चीज़ आती थी। सिलाई-बुनाई, खाना बनाना और पढ़ाई-लिखाई। वह हर चीज़ में अव्वल थी। इंसान के पास जब सब कुछ हो और कोई एक चीज़ गुम हो जाए तो वह कहीं न कहीं उसे आगे बढ़ने से रोक देती है। प्रतिभा एक निचली जाति से आती थी। वह एक ऐसे समाज से थी जहां लोगों को लड़की का कहीं आना-जाना ज़्यादा पसंद नहीं था। उसके पिता मज़दूर थे। उसका भाई बाहर रहता था। प्रतिभा की मां की तबीयत अक्सर खराब रहती थी। उन्हें दमा की बीमारी थी। उनके इलाज में काफी खर्च हो जाता था। उसके भाई और पिता कैसे भी कर के इलाज और प्रतिभा की पढ़ाई-लिखाई का खर्च उठा लेते थे। प्रतिभा का सपना था कि वह पढ़-लिख कर आईएएस बने और अपने घर की तंगी को दूर करे। वह कॉलेज में पढ़ती थी और साथ में आईएएस की अपनी तैयारी भी करती थी। हालांकि घर के कामों से भी उसे जल्दी छुट्टी भी नहीं मिल पाती थी।
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बस सब कुछ ठीक ही चल रहां था कि कोरोना का साया प्रतिभा की जिंदगी में खलल डालने के लिए आ पहुंचा। कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने उसके भविष्य को भी लॉक कर दिया। कैसे? हुआ यूं कि प्रतिभा को उसकी पढ़ाई के लिए पैसे उसके भाई और पिता देते थे। घर का खर्च भी उनकी बदौलत ही चलता था। कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन हो गया। सबका काम बंद हो गया तो प्रतिभा का भाई भी घर वापस आ गया। घर में पैसों की तंगी हो गई। कुछ दिन तो सब ठीक से रहे। फिर पैसों की तंगी के कारण समस्या होने लगी। काम न होने के कारण सब चिंतित हो गए थे। सब बहुत डर गए। अब हम कैसे क्या करेंगे? क्या होगा? हमें अपनी बेटी की शादी भी करनी है ऐसे सवाल सबके दिमाग में घूमने लगे थे पर प्रतिभा ने अभी शादी के बारे में नहीं सोचा था।
अब प्रतिभा की प्रतिभा घर तक ही सिमट कर रह गई। आसमान छूने का उसका सपना चारदीवारी में ही बंद होकर रह गया और उसके भविष्य पर ताला लग गया।
जैसा कि अक्सर होता है बिना प्रतिभा को बताए उसके पिता ने उसकी शादी करने का सोच लिया। लॉकडाउन के कारण डर के मारे शादी को लेकर सब थोड़ा ज्यादा ही चिंतित हो गए। उसकी मां और पिता आपस में बात करते कि उनके पास ज्यादा जमा पैसे भी नहीं है और अब कमाई का भी कोई साधन नहीं दिख रहा है। लॉकडाउन के कारण बेटा भी अभी वापस नहीं जा सकता है। क्या होगा, न जाने ये सब कब ठीक होगा? घर में प्रतिभा की शादी का दबाव बढ़ता गया। पर वह इन सबसे अभी तक अनजान थी। वह अपने काम और पढ़ाई में दिन-रात व्यस्त रहती थी। उसे इन बातों की खबर नहीं थी कि उसकी शादी के बारे में सोचा जा रहा है। उसे लग रहा था कि घर में कमाई न होने के कारण सब परेशान हैं। अब उसके पिता ने शादी के लिए लड़का भी खोजना शुरू कर दिया था। उन्होंन अपनी बहन से कहा, “प्रतिभा 22 साल की हो गई है। अब उनकी कमाई भी नहीं रही है और जो पैसे हमने उसकी शादी के लिए जमा किया था वो अब लॉकडाउन के कारण घर में खर्च होने लगे हैं। प्रतिभा की पढ़ाई का खर्च उठा पाना भी अब मुश्किल है। इससे अच्छा है कि हम उसकी शादी कर देते हैं।” इसके बाद से प्रतिभा की बुआ भी उसके लिए लड़का देखने में जुट गई।
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और एक दिन इसी लॉकडाउन में प्रतिभा को देखने लड़केवाले आ जाते हैं। वे पास के ही थे, इसलिए आने में कोई दिक्कत नहीं हुई। प्रतिभा की मां प्रतिभा को तैयार होने को कहती है।
प्रतिभा ने पूछा – “क्यों? क्या डॉक्टर के पास जाना है ?”
मां बोली – “नहीं, तुम्हें लड़केवाले देखने आ रहे हैं।”
प्रतिभा दो मिनट के लिए तो बिल्कुल शांत हो जाती है। फिर उसने मां से कहा, “यह क्या कह रही हो? मुझे अभी शादी नहीं करनी है। मुझे पढ़ना है।”
मां ने समझाने की कोशिश की – “देखो बेटा, समय अच्छा नहीं है और न ही घर की स्थिति अच्छी है और बाकी तो तुम्हें पता ही है। इसलिए जल्दी तैयार होकर आ जाओ।”
प्रतिभा चिल्लाई – “मैं तैयार नहीं हो रही हूं। समझ गईं आप ?”
मां ने उसे डांटते हुए कहा, “मुंह न चलाओ ज्यादा। हाथ पैर चलाओ जल्दी जल्दी और तैयार हो जाओ।”
प्रतिभा बोली – “मां, आप क्यों नहीं समझती हैं, मुझे आगे पढ़ना है।”
मा ने साफ़ कहा – “उसके लिए पैसे होने चाहिए जो तेरे माई-बापू के पास नहीं हैं। देखो जो होता है अच्छे के लिए होता है। और ऊपर से यह बीमारी! इस महामारी में क्या होगा समझ नहीं आ रहा है।”
मां-बेटी दोनों के बीच बहस हो जाती है।
“आपको समझाने से कोई फायदा ही नहीं है।” यह कहते हुए प्रतिभा अपने पिता के पास जाती है। उनसे वह कहती है, “पिताजी, मुझे अभी पढ़ाई करनी है। मैं अभी शादी नहीं करना चाहती हूं। आप तो जानते हैं कि मुझे पढ़ लिखकर आईएएस बनना है। आप मेरी बातों को समझने की कोशिश कीजिए न। अगर पैसों की बात है तो मै काम करूंगी। किसी तरह मैं अपना खर्च निकल लूंगी। मैं अभी अपने दोस्तों से बात करती हूं। शायद कोई काम मिल जाए। घर का खर्च भी मैं उठा लूंगी।” वह बोलती रही, पर उसके पिता ने एक नहीं सुनी और कहा, “लड़केवाले आते ही होंगे। जल्दी तैयार हो जाओ। कम से कम हमारी इज्ज़त रख लो।”
फिर लड़केवालों को प्रतिभा पसंद आ जाती है। वह काफी परेशान थी। लॉकडाउन के कारण वो कहीं जा भी नहीं सकती थी। पूरी तरह समय के हाथों मजबूर थी। उसने अपने सारे रिश्तेदरों से बात की, लेकिन उसको सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है। कोई कहता है कि लॉकडाउन में अभी कम खर्च में शादी-ब्याह हो जाएगा तो कोई कहता है कि लड़की की उम्र भी हो गई है। अपने मां और पिताजी को प्रतिभा मना करती रही, लेकिन वे नहीं माने। तब प्रतिभा ने कहा – ”आपलोग मुझे कुछ समय दे दीजिए। लॉकडाउन के बाद मै शादी कर लूंगी।”
अब उसके मन का कोई सुनने को तैयार ही नहीं था। अंत में हारकर वह शादी कर लेती है। लॉकडाउन के कारण शादी में ज्यादा लोग नहीं आए और घर के पासवाले मंदिर में ही शादी करवा दी गई । लड़केवाले की तरफ से सिर्फ उसके पिता, भाई, चाचा और 10-12 लोग ही आए और साधारण तरीके से प्रतिभा की शादी कर दी गई। इस महामारी ने जाने कितनों के सपनों को सपना ही रहने दिया है। कोरोना का साया लोगों की जिंदगी पर पड़ गया है। अब प्रतिभा की प्रतिभा घर तक ही सिमट कर रह गई। आसमान छूने का उसका सपना चारदीवारी में ही बंद होकर रह गया और उसके भविष्य पर ताला लग गया।
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