इंटरसेक्शनलयौनिकता ‘युवा, सेक्स और संबंध’ से जुड़ी दूरियां जिन्हें पूरा करना बाकी है

‘युवा, सेक्स और संबंध’ से जुड़ी दूरियां जिन्हें पूरा करना बाकी है

युवा और किशोर गर्भावस्था, गर्भ-समापन, गर्भ निरोधन, यौनिक और जेंडर पहचान, रिश्तों में बातचीत, मासिकधर्म, यौनिक हिंसा और जोर ज़बरदस्ती, कलंक, डरना-धमकाना, भेदभाव के बारे में जानना चाहते हैं| पर सबसे ज्यादा वे शरीर और सेक्स के बारे में जानना चाहते हैं|

युवाओं की ऊर्जा, उल्लासिता, ठहाके मारकर हंसना, चुलबुलापन, जिद्दी व्यवहार, साथ ही उनकी शर्म, अटपटापन, चिंता, अपने आप पर संदेह करने की आदत, मांगें, नाराजगी और अन्याय की स्थिति में या कोई चीज़ मना किये जाने पर हंगामा खड़ा कर देने की आदत| युवाओं से जुड़े इन नजारों पर हो सकता आप एक पल को सोचें कि ये दूसरे देश की बात होगी, तो ऐसे में आपको यही कहूंगी कि आपको आधी रात के वक़्त अपने इलाके में थोड़ी नज़र घुमाने की ज़रूरत है| अब देखिये न बात चाहे शिक्षा, स्वास्थ्य, तकनीक, सामाजिक कार्य, वैधानिक पक्ष या किसी क्षेत्र की हो युवा हर जगह सक्रिय है| वे हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहे है और अपनी सक्रिय भागीदारी भी दर्ज कर रहे| शायद यही वजह है कि आज वे मेरे इस इस लेख में भी सक्रिय हैं|

युवाओं के लिए ढ़ेरों कहावतें-कविताएँ कही जाती है, खासकर तब जब हम समाज-देश के संदर्भ में बात करते हैं| कभी युवा हमारी कल्पनाओं में देश का भविष्य होते हैं तो कभी वर्तमान की रीढ़| लेकिन जब बात समाज के लोगों को युवाओं से जुड़ने, संवाद करने और उन्हें उन्हें समझने-समझाने की आती है तो अचानक से हमारे आदर्श-संस्कृति इनके आड़े आने लगती है| ये किस्सा सिर्फ अपने ही देश का ही नहीं बल्कि दुनियाभर का है, जहाँ हम शिक्षा, अधिकार और तमाम पहलुओं पर युवाओं के साथ बात और काम करना पसंद करते हैं| पर जैसे ही बात उनके साथ यौनिकता, शरीर, आनन्द, संबंध और सेक्स संबंधी बातें करने की आती है तो हमारे विचार अपने आप रुकने से लगते है| या यों कहें कि हमारे सामने शब्द कम पड़ने लगते हैं और यहीं से शुरू होता है संवाद के बीच बढ़ती खाई का सिलसिला| ये सिलसिला धीरे-धीरे युवाओं के बीच कई तरह की समस्याओं को बढ़ावा देता है|

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इसी तर्ज पर, हम अक्सर अपने हर नजरिये से सही दिखने वाले शब्दों को तलाशते हैं, जो इस बारे में होते हैं कि किस तरह  युवा और किशोर ज़रूरी  हैं – कार्यक्रमों, राष्ट्रीय योजना संबंधी दस्तावेजों, मानवाधिकार संबंधी अधिवेशनों, सम्मेलन संकल्पों, उच्च-स्तरीय टास्कफोर्स सुझावों, रिसर्च रिपोर्टों, पुलिस जांच में पाए जाने वाले तथ्यों में|

यौन स्वास्थ्य से जुड़ी युवाओं की चाहतें

युवाओं को यौन स्वास्थ्य से जुड़ी सूचना की ज़रूरत और चाह दोनों है| बांग्लादेश में युवाओं पर केंद्रित एक लेख से पता चलता है कि युवा किस हद तक अलग-अलग स्रोतों से यौन संबंधों और यौन स्वास्थ्य से जुड़ी सूचना लेना चाहते हैं| और वे सूचना पा भी लेते हैं, हालांकि इस तरह से मिलने वाली सूचना भ्रांतियों से भरी हो सकती हैं, जो एक समय के बाद एक जटिल समस्या भी बन जाती है|

कभी युवा हमारी कल्पनाओं में देश का भविष्य होते हैं तो कभी वर्तमान की रीढ़|

वहीं बच्चों की सहमति न होने की हालत में बड़ों का नियन्त्रण एक दिक्कत बन जाता है| खासकर जब बात बाल-विवाह की हो| और इसी कड़ी में बेचैन कर देने वाला विषय है – लड़कियों का किशोरावस्था में गर्भवती हो जाने का मुद्दा, जो विश्वभर में एक सच्चाई बनता जा रहा है| वहीं दूसरी तरफ समाज इस समस्या की तह तक जाने, इसे समझने और इसमें किशोर-किशोरी की मदद करने की बजाय हमेशा आलोचनात्मक रवैया अपनाता | वह इसे ऐसे अपराध की नजर से देखने और व्यवहार करने लगता है कि इसके उपाय के रूप में वह चुनता है – किशोरी की ज़ल्दी शादी और उसके उज्ज्वल भविष्य की हर संभावना के अवसर को उससे दूर कर देना| वैकल्पिक तरीके से जीवन जीने का अवसर तो बहुत दूर की बात है| युवाओं से यौन अधिकार से जुड़े कई ऐसे पहलू है जो हो सकता है हमें हतोत्साहित करें| लेकिन सच्चाई यही है कि ये विश्वव्यापी मुद्दे हैं| इनके रूप भले ही अलग हों लेकिन इनके मूल एक है|

इसीलिए ज़रूरी है कि सामने आई इन समस्याओं को दूर करने और ऐसी समस्याएं आगे न हो इसके लिए मौजूदा समय से ही प्रयास किये जाएँ| ऐसे में हमें समझना होगा कि युवाओं और किशोरों को यौन स्वास्थ्य से जुड़ी सूचना, स्वास्थ्य सुविधाओं और नीतियों की इच्छा और ज़रूरत दोनों हैं| यह सूचना यौन संबंधों, यौनिकता, यौनिक पहचान के प्रति सेक्स-पॉजिटिव नजरिये के साथ दी जानी चाहिए| वहीं ऐसी सूचना या सुविधाएँ देने वाले लोगों को ख़ास प्रशिक्षण मिले|

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इन सबके साथ यह भी ज़रूरी है कि इससे संबंधित योजनाओं, गतिविधियों और कार्यक्रमों में युवा और किशोर नेतृत्व और उनकी भागीदारी हो| युवा और किशोर गर्भावस्था, गर्भ-समापन, गर्भ निरोधन, यौनिकता और जेंडर पहचान, रिश्तों में बातचीत, मासिकधर्म, यौनिक हिंसा और जोर ज़बरदस्ती, भेदभाव के बारे में जानना चाहते हैं| पर सबसे ज्यादा वे शरीर और सेक्स के बारे में जानना चाहते हैं| इसमें हमें याद रखना चाहिए कि इस उम्र में उनके शरीर में होने वाले होर्मोनल बदलाव उनकी दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं| इससे पहले कि वे वास्तव में सेक्स करें, वे इसके बारे में परिवार, दोस्तों और हमउम्रों से बात करना चाहते हैं और उनकी इस चाहत को समझना हम सभी की जिम्मेदारी है| अगर हम एक बेहतर और स्वस्थ भविष्य की कल्पना करते हैं|


यह लेख क्रिया संस्था की वार्षिक पत्रिका यौनिकता, जेंडर और युवा अधिकार (अंक 8, 2014) से प्रेरित है| इसका मूल लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें|

अधिक जानकारी के लिए फेसबुक: CREA | Instagram: @think.crea | Twitter: @ThinkCREA

तस्वीर साभार : kissoflovenews

Comments:

  1. यह एक काफी आत्ममंथन करने वाला सवाल है,की आज के युवा अपनी मानसिक मनोस्तिथि में नई है, वे ज्यादातर यौन संगतियो में लिफ्ट होते जा रहे है, इससे उनका मानसिक विकास पूर्णतः बाधित हो रहा है, और कही न कई बलात्कार जैसी घटनाओ को अंजाम दे रहा है, इससे देश का भविष्य और अंधकार में दिख रहा है, यह एक ThatsPersonal.com की पहल है की लोगो को ज्यादा जागरूक किया जाए की अपनी सन्तानो की ओर थोड़ा ध्यान दे ने की जरुरत है की जिससे अपराधों को काम किया जा सके.

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