इंटरसेक्शनलशरीर “उसने मेरे चेहरे पर एसिड डाला है, मेरे सपनों पर नहीं” – लक्ष्मी

“उसने मेरे चेहरे पर एसिड डाला है, मेरे सपनों पर नहीं” – लक्ष्मी

लक्ष्मी को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा ने साल 2014 में 'इंटरनेशनल वुमेन ऑफ करेज' अवॉर्ड से सम्मानित किया था|


दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘छपाक’ आ रही है जिसमें उनका चेहरा थोड़ा-सा अलग है, जो बॉलीवुड की तथाकथित महिला एक्टर की परिभाषा से अलग है| या यों कहें कि आम बोलचाल की भाषा में हम जिसे बदसूरत कहते हैं| पर इस बदसूरत  चेहरे के पीछे एक बहादुर लड़की की कहानी छुपी है जो  दुनियाभर की लड़कियों के लिए हौसले की मिसाल बन गई| फिल्में तो बहुत बनी है औऱ आगे भी बनेगी लेकिन यह फिल्म अपने आप में खास है क्योंकि इस फिल्म की कहानी लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी पर आधारित है| लक्ष्मी जो एक एसिड अटैक सर्वाइवर है जिनके हौसले और संघर्ष का लोहा दुनिया ने माना है|

लक्ष्मी की कहानी, एक आम लड़की की कहानी थी और उनके भी बाकी लड़कियों की तरह ही सपने थे| वह एक सिंगर बनना चाहती थी| 15 साल की उम्र में उनकी जिंदगी बदल गई, जब 32 साल के लड़के ने उनपर एसिड फेंक दिया| इसके पीछे वजह यह थी कि लक्ष्मी ने उस लड़के के शादी के प्रपोजल को ठुकरा दिया था| इससे पहले वह लड़का उनका दस महीनों तक  पीछा करता रहा| और एक दिन उसने लक्ष्मी के मुंह पर एडिड फेंक दिया| एसिड गिरने के बाद लक्ष्मी बुरी तरीके से छटपटा रही थी लेकिन उस वक्त कोई उनकी आवाज सुन नहीं रहा था और न कोई मदद को सामने आ रहा था| इसके चलते, उस दौरान तीन बार उसी हालात में उनका एक्सीडेंट भी हुआ| इस बीच वह सबके पैर भी पकड़ रहा थी लेकिन कोई नहीं सुन रहा था, तभी अरूण नाम के शख्स ने उनकी सहायता की|

सर्जरी होने के बावजूद सबसे खराब हालात यह थी कि उनके सभी करीबी लोंगो ने उनका साथ छोड़ दिया| लोग आते थे लेकिन केवल ये बताने की लक्ष्मी अब बेकार हो गई है| उन्हें बोला जाता था कि एसिड चेहरे पर क्यों फेंका, कही ओर फेंक  देता औऱ अब उनसे शादी कौन करेगा| पड़ोसी लोगो का कहना था कि उनके चेहरे से डर लगता है| इस बीच लोगों ने उन्हें काम देने से भी इनकार कर दिया गया| उनके पास काम करने के लिए कोई साधन नहीं था, इसकी वजह था लोगों का उनके प्रति रवैया| वह भी हिम्मत हार जाती, लेकिन उनके पिता ने उन्हें हौसला दिया और उन्हें लड़ने के लिए प्रेरणा भी दी| 2007 में उन्होनें पढ़ाई फिर से शुरू की औऱ उन्होनें टीचर की पढ़ाई भी शुरू की औऱ कम्प्यूटर का कोर्स भी किया|

महिलाओं की हिंसा से जुड़े कानून थे लेकिन एसिड पर कानून बना और इसका श्रेय लक्ष्मी को जाता है|

अब इसे किस्मत कहें या जिंदगी, वो लक्ष्मी का इम्तिहान लेने वाली थी कि साल 2012 में उनके भाई को टीबी हो गया और डाक्टर ने बोल दिया की वह नहीं बचेगा| इस खबर ने उनके पिता ने जान ले ली औऱ अब केवल लक्ष्मी ही कमाने वाली बची थी| वह हर जगह गई औऱ सब लोग उन्हें बोलते की वह काम नहीं दे पाएंगे, क्योंकि उनके चेहरे से डरेगे|

वह एसिड अटैक सर्वाइवर कैंपेन से जुड़ी जिसकी शुरूआत आलोक दीक्षित ने की थी| लक्ष्मी ने साल 2006 में एसिड की बिक्री को रोकने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की, जिसका परिणाम साल 2013 में आया| और सुप्रीम कोर्ट ने एसिड के खुलेआम बिकने पर रोक लगा दी गई| अब कोई भी एसिड खरीदेगा तो उसे पहचान भी दिखानी होगी|  इसे लेकर कानून बना औऱ 10 वर्ष की सजा का भी प्रावधान भी रखा गया| महिलाओं की हिंसा से जुड़े कानून थे लेकिन एसिड पर कानून बना और इसका श्रेय लक्ष्मी को जाता है|

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मेरी जिंदगी में कोई बड़ी समस्या नहीं है लेकिन जब कभी भी उदास होती हूँ तो लक्ष्मी के हौसले से मुझे प्रेरणा मिलती है| लक्ष्मी छांव की भी फाउंडर रही है| लक्ष्मी, आलोक दीक्षित के साथ लिव-इन में भी रह चुकी हैं और दोनों की एक बेटी भी है| हालांकि अब वह आलोक के साथ नहीं रहतीं| इस बारे में उनका कहना है, “मैं लिव-इन में रही थी| मैं चाहती थी कि मेरी शादी हो| इस बारे में मैंने आलोक से बात की और उन्होंने मुझे शादी के सही मायने बताए| मुझे लगा कि शादी नहीं करनी चाहिए| आलोक ने मुझसे कहा ‘हम किसे शादी में बुलाएंगे, उन्हें जिन्होंने हमारा साथ नहीं दिया? इस वजह से मैंने भी शादी नहीं की और आज मैं सिंगल मदर हूं| अब मैं आलोक के साथ नहीं रहती| वह आगे कहती है, नकारात्मक चीजों को उलट कर उसे सकारात्मक तरीके से लिया| मैंने अपने भीतर सकारात्मकता लाने की कोशिश की|”

समाज को अपने लड़को को बताने की जरूरत है कि लड़कियां वस्तु नहीं है|

लक्ष्मी को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा ने साल 2014 में ‘इंटरनेशनल वुमेन ऑफ करेज’ अवॉर्ड से सम्मानित किया था| वह लंदन फैशन वीक में बतौर मॉडल भी रैंप वाक कर चुकी है| उन्हें पहचान मिली और उप्लब्धियां भी लेकिन समाज को उन्होनें एक जरूरी बात समझायी, सुंदरता का पैमाना वो नहीं है जो समाज ने तय किया है बल्कि आत्मविश्वास का होना जरूरी है और अपने शरीर से नहीं, आत्मा से प्यार करना आना चाहिए| एसिड गिरने के बावजूद वह लड़ी और केवल अपने लिए ही नही बल्कि बाकी लड़कियों के लिए भी|

समाज को अपने लड़को को बताने की जरूरत है कि लड़कियां वस्तु नहीं है| कोई भी कानून तभी कामयाब होता है जब समाज का नजरिया लड़कियों के प्रति बदले| समाज में कितने ऐसे  लड़के है जो किसी लड़की के ऊपर एसिड गिराने के बाद शादी कर लेते है जो कि रोष भरता है| हमे लड़को के प्रति अपनी परवरिश को बदलने की जरूरत है|

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तस्वीर साभार : Deccan Chronicle

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