इंटरसेक्शनलजेंडर माहवारी से जुड़े दस मिथ्य, जो आज भी महिला सशक्तीकरण को दे रहे चुनौती

माहवारी से जुड़े दस मिथ्य, जो आज भी महिला सशक्तीकरण को दे रहे चुनौती

माहवारी से जुड़े बहुत से मिथ्य है जो हर महीने महिलाओं को प्रताड़ित करने जैसे हैं। अब समय आ गया है कि हम ऐसी अवधारणाओं को जड़ से उखाड़ फेंके।

हम देश के हर कोने में जाकर महिलाओं को सेनेटरी पैड्स के बारे में जानकारी देकर उन्हें सशक्त बना रहे हैं, ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि माहवारी से जुड़े हर विषय को आप तक पहुंचाएं। मासिकधर्म/माहवारी से जुड़े बहुत से मिथ्य है जो हर महीने महिलाओं को प्रताड़ित करने जैसे हैं। अब समय आ गया है कि हम ऐसी अवधारणाओं को जड़ से उखाड़ फेंके और बिना शर्माए अपने जीवन को बेहतर बनाएं। नीचे दिए गए 10 मुख्य और सार्वजनिक मिथ्य आज भी हमें अंधेरे में रखे हुए हैं। 

1) माहवारी एक रोग है- यह ख्याल बेतुका है। मासिकधर्म कोई बीमारी नहीं है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो आपके और हमारे जीवन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह अति आवश्यक और प्रक्रिया है।

2)  पौधों में पानी नहीं देना चाहिए खासकर तुलसी में आम दिनों में महिलाएं अगर पौधों में पानी दें तो पौधों को पोषण और ऊर्जा मिलती है तो आखिर पीरियड में महिलाओं के पानी डालने से पेड़ पौधे क्यों सूख जाएंगे? अब सवाल यह है कि अगर तुलसी बहुत पवित्र है तो महिला अपवित्र क्यों?

3) माहवारी के समय बाल ना धोना- यह संभवतः सबसे पुराना मिथ्य है। यह दकियानूसी ख्याल अपने मन से निकाल दें। आप जब चाहे तब बाल धो सकती हैं। इससे आपको कोई हानि नहीं होगी क्योंकि मेडिकल साइंस ने भी इसका कोई कारण नहीं बताया है।

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4) माहवारी के दौरान रक्त अशुद्ध होता है- यह धारणा भी एकदम गलत है। पीरियड में रक्त कोशिकाएं और गर्भाशय की अंदरूनी परत और अनिषेचित अंडे निकलते हैं। इसमें कोई गंदगी नहीं होती।

5) पूजा ना करना अथवा मंदिर ना जाना- हम सब ईश्वर के बच्चे हैं और उन्होंने ही महिलाओं को इतना खास बनाया है तो आप ही सोचिए आखिर वह ईश्वर भेदभाव क्यों करेगा? यह धारणा हमने बनाई है। आप बेफिक्र होकर, स्वच्छता से पूजा, मंदिर जाने, धर्म की किताबें पढ़ने जैसी क्रियाएं कर सकती हैं।

6) रसोईघर ना जाना- लोग कहते हैं कि माहवारी के समय अगर कोई औरत रसोई में प्रवेश करती है तो खाना खराब व अशुद्ध हो जाता है। यह बात एकदम गलत है। जब तक आप साफ-सुथरा होकर प्रवेश कर रही हैं. तब तक कोई परेशानी नहीं हो सकती। 

7) खट्टा खाना (अचार, दही आदि) ग्रहण ना करना-आप माहवारी के दिनों में कुछ भी खा सकती हैं। यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है।

माहवारी अभिशाप नहीं, वरदान है।

8) शारीरिक श्रम ना करना- जब तक आप कमज़ोर महसूस नहीं करती तब तक आप अपने दैनिक जीवन को जैसे का तैसा व्यतीत कर सकती हैं। माहवारी में शारीरिक श्रम या दूसरे काम न करने की कोई बाध्यता नहीं है। चिकित्सकों की माने तो शारीरिक श्रम करने से शरीर में दर्द और कम होती है।

9) माहवारी के समय दूसरी महिला को न छूना- ऐसा मत है कि यदि आप अपने पीरियड के समय दूसरी महिलाओं को छू लेती हैं तो उससे उन महिलाओं को आपके जितनी परेशानी एवं रक्त संबंधित कठिनाइयां सहनी पड़ेंगी। यह सरासर गलत है। आप सब के साथ रह सकती हैं और सबके सामने आ सकती हैं। कृपया इन बातों पर ध्यान ना दें।

10) मासिकधर्म के समय घर के बाहर सोना- हमने “पैडमैन” फ़िल्म में देखा था कि माहवारी शुरू होते ही औरतों को घर के बाहर ही सारे काम काज कर सोना पड़ता है। यह केवल एक फ़िल्मी सीन ही नहीं बल्कि हमारे समाज का कटु सत्य है। आज भी ना जाने कितने घरों में रूढ़िवादी विचारधारा के कारण स्त्रियाँ माहवारी के वक़्त अपने ही घर से बेघर हो जाती हैं। आपके अंदर आ जाने से घर अशुध्द हो जायेगा, कृपया इस सोच से जल्द ही मुक्ति पायें ओर लोगों को भी जागरूक करें।

इन सभी मिथ्यों को ना मानते हुएए तथ्यों के साथ अपना जीवन बिना किसी अवधारणा के बिताएं यही असली सशक्तिकरण है। ध्यान रखें कि “माहवारी अभिशाप नहीं, वरदान है।”

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तस्वीर साभार : coderedco

Comments:

  1. माहवारी का सही रूप मे समझने के लिए उसकी तह तक पहुंचना होगा कि मासिक धर्म को लेकर यदि ऐसे कुछ नियम बने थे तो उनके पीछे कोई तो ठोस आधार होगा
    हर बात का एक पक्ष कदापि नहीं होता
    जो बातें और नियम हमारे पूर्वज करते या समझते आये हैं उन सभी बातों के पीछे वैज्ञानिक तथ्य अवश्य होते हैं
    जो बातें हमे बेतुकी लगती हैं वह सिर्फ इसलिए क्यूंकि उनको सही से समझाने वाला कोई नहीं बचा
    तो आयें बबीता के साथ वेद, आयुर्वेद, और शास्त्रों मे वर्णित उन तथ्यों को समझें जो विज्ञान पर आधारित है
    https://www.facebook.com/groups/hcwerm
    babeetta5@gmail.com

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