महिलाओं पर हाथ उठाना, उनके साथ बुरा व्यवहार करना और उन्हें प्रताड़ित करना एक पुरुष के लिए अपनी पौरुष शक्ति दिखाने का सबसे आसान तरीका होता है। यह केवल आज की बात नहीं है बल्कि पुरुषों के लिए यह एक हथियार है, जिसके माध्यम से वे अपनी क्षमता का परिचय देते हैं। घरेलू हिंसा के शोर में महिलाओं की आवाज़ को आज से ही नहीं बल्कि सदियों से कुचला जा रहा है। शरीर पर चोटों के निशान और आंखों के नीचे के काले घेरे को महिलाएं आज से नहीं बल्कि सदियों से छुपाना जानती हैं। ऐसे में मौजूदा समय में लॉकडाउन के दौरान में जो तस्वीर उभर कर सामने आई है, उसमें कोई नई बात नहीं है।
राष्ट्रीय महिला आयोग का कहना है कि इस दौरान घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं। यह भी कहा गया है कि कई केस तो रजिस्टर ही नहीं करवाए जा रहे। आयोग के मुताबिक इस दौरान घरेलू हिंसा की शिकायतें तेज़ी से बढ़ रही हैं। लॉकडाउन के करीब एक हफ्ते में ही उन्हें 250 से ज़्यादा शिकायतें मिल चुकी हैं, जिसमें 69 शिकायतें घरेलू हिंसा की हैं। साथ ही आयोग के मुताबिक, यह आँकड़ा बढ़ ही रहा है।महिला आयोग ने बताया है कि लॉक डाउन लगने के बाद से उनके पास कुल 257 शिकायतें आई हैं। जिसमें महिलाओं के खिलाफ अलग-अलग अपराध शामिल हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन रेखा शर्मा का कहना है “ऐसे मामले और ज़्यादा होंगे लेकिन महिलाएं शिकायत ही नहीं करती हैं क्योंकि उस दौरान मारपीट करने वाला उनके सामने ही रहता होगा।”
रेखा ने बताया है कि 25 मार्च से 1 अप्रैल तक 69 शिकायतें सामने आई हैं। कई महिलाएं इसलिए भी शिकायत नहीं करती हैं कि अगर उनके पति को पुलिस ले गई तो सास-ससुर उन्हें ताने देंगे स्थिति की नाज़ुकता को मद्देनज़र रखते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग ने एक व्हाट्सएप नंबर जारी किया है, जिस पर लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा की शिकायतें दर्ज़ कराई जा सकेंगी।
आयोग ने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि लॉक डाउन के दौरान ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और आगे भी बढ़ने की आशंका है। लॉकडाउन के कारण घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज़ ना करवा पाने वाली महिलाएं 7217735372 पर व्हाट्सएप मैसेज कर अपनी शिकायत दर्ज़ करवा सकती हैं। घरेलू हिंसा के केस यूपी, बिहार, हरियाणा और पंजाब में ज़्यादा हैं।आयोग ने ट्वीट के माध्यम से यह जानकारी दी कि लॉकडाउन के बाद से घरेलू हिंसा का सामना कर रही महिलाएं अब अपनी शिकायत भेज सकती हैं, जिससे एजेंसी से उन महिलाओं को सहायता उपलब्ध करवाई जा सके। आयोग ने बताया कि यह नंबर केवल तभी तक चालू रहेगा जब तक देश में लॉकडाउन लागू है, लॉकडाउन हटते ही यह सेवा भी रोक दी जाएगी।
इसके साथ कुछ महिलाएं अपने बाजुओं पर लाल निशान बनाकर अपने साथ हो रही हिंसा के बारे में सूचना दे रही हैं। सामाजिक कार्यों से जुड़ी उद्यमी इति रावत को हाल में एक ई-मेल मिला था, जिसमें एक महिला के बाजू पर एक लाल निशान था और संदेश लिखा था, ”मुझे आपके सहयोग की जरूरत है।”, जिसके बाद महिलाओं से संपर्क साधने के लिए डब्लूईएफटी (वुमेन एंट्रेप्रेन्योर्स फॉर ट्रांसफॉर्मेशन) फाउंडेशन ने एक नयी पहल की शुरुआत की है।
राष्ट्रीय महिला आयोग का कहना है कि इस दौरान घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं। यह भी कहा गया है कि कई केस तो रजिस्टर ही नहीं करवाए जा रहे।
यह एक गैर सरकारी संस्था है, जो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करती है। इसके तहत कोई भी नागरिक किसी महिला की हथेली पर लाल चिह्न का निशान देखकर गैर सरकारी संगठनों या अधिकारियों को सूचित कर सकता है। इसके लिए वह डब्लूईएफटी से, सोशल मीडिया के माध्यम से या मेल के ज़रिए जानकारी दे सकता है। साथ ही सहायता पाने के लिए टोल फ्री नंबर 181 पर फोन भी कर सकते हैं। अब जो सबसे बड़ा सवाल सामने आता है वह है कि अचानक से इन आंकड़ों में वृद्धि क्यों हुई?
अभी सारे लोग अपने-अपने घरों में बंद हैं। महिलाएं रसोई घर और घर के कामों में खुद को झोंक चुकी हैं। दिनभर परिवार वालों की ज़रूरतों को पूरा करना और उनकी फरमाइशों को पूरा करना यही उनका काम हो गया है। इस बीच कई तरह के तनाव घर में पैदा भी हो रहे हैं, जिससे घर में कलह का माहौल बनना शुरू हो जाता है। महिलाएं हमेशा से पुरुषों की सॉफ्ट टारगेट रही हैं, जिससे पुरुष अपनी सारी खुन्नस महिलाओं पर निकाल देते हैं। उनसे ज़बरदस्ती बिस्तर पर प्रेम की वर्षा करके उनके स्वाभिमान को कुचलने का काम करते हैं। अभी ऐसे हालात भी नहीं है कि महिलाएं कुछ समय के लिए उस घर को छोड़कर कहीं और निकल पड़े। जिसका फायदा महिलाओं पर हिंसा करने वालों को मिल रहा है।
और पढ़ें : औरतों! खुद पर होने वाली हिंसा को नज़रअंदाज करना दोहरी हिंसा है
मनोचिकित्सक डॉ बिंदा सिंह ने बताया है कि हाल के समय में उनके पास महिलाओं से जुड़ी हिंसा की शिकायतें आ रही हैं। कई केसों में तो पति के साथ घर के अन्य सदस्य भी महिलाओं पर हाथ उठा रहे हैं। बातचीत में उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में एक ऐसा केस सामने आया था, जहां लड़की पर सास-ससुर ने हिंसा को अंजाम दिया था। वह लड़की अपने मां बाप की इकलौती संतान है, मगर लॉकडाउन के कारण वह वहां से निकल भी नहीं पा रही है। ऐसे में पति से ही सहानभूति की उम्मीद पर वह अपना समय गुज़ार रही है। डॉक्टर बिंदा सिंह ने बताया है कि जब महिलाओं पर हिंसात्मक प्रहार होना शुरू हो, उसी वक्त महिलाओं को सतर्कता के साथ कदम उठाने चाहिए। उस वक्त स्वयं को बचाने के प्रयास करने चाहिए।
इस तरह के बढ़ते घरेलू हिंसा के पीछे का कारण लोगों में धैर्य की कमी होना है क्योंकि अभी हर एक इंसान अंदर ही अंदर घुट रहा है। वह बाहर नहीं जा पा रहा है, लोगों से मिल नहीं पा रहा है, जिससे वह धीरे-धीरे अवसाद में जा रहा है और यही अवसाद गुस्से का रूप ले रहा है और हिंसात्मक हो रहा है। शुरू से ही सामाजिक ढांचा ऐसा रहा है कि पुरुष बाहर के कामों में लगे रहते हैं और महिलाएं घर के कामों में व्यस्त रहती हैं मगर अभी पुरुषों को भी घर में रहना पड़ रहा है, जिससे कुछ पुरुषों के अंदर चिड़चिड़ाहट और हिंसात्मक प्रवृति बढ़ गई है। पहले जब वे बाहर रहते थे, उस वक्त ज्यादा समय घर पर नहीं बीता पाते थे। हालांकि तब भी घरेलू हिंसा का ग्राफ बढ़ा हुआ था मगर अभी के हालातों को देखते हुए ये और भी तेज़ी से बढ़ रहा है।
महिलाएं ही हमेशा घरेलू हिंसा के शिकार इसलिए होती हैं क्योंकि वह शुरुआत से ही यह सोचकर चुप रह जाती हैं कि कोई बात नहीं। यह धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा मगर परिस्थिति ठीक होने के बजाय और भी ज्यादा बिगड़ती चली जाती है। अभी के हालातों को देखते हुए महिलाओं को संबल से काम लेकर अपने कदमों को आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि भले ही बात एक थप्पड़ की हो या किसी भी प्रकार के हिंसा की। किसी भी पुरुष को यह अधिकार नहीं दिए गए हैं कि वे अपनी बौखलाहट को मिटाने के लिए किसी भी महिला पर हाथ उठाए या हिंसा करे।
और पढ़ें : महिला हिंसा के ख़िलाफ़ समय अब सिर्फ़ आँकड़े जुटाने का नहीं, बल्कि विरोध दर्ज करने का है
तस्वीर साभार : bbc