समाजख़बर यूपी और बिहार में बलात्कार की घटनाओं से कानून व्यवस्था पर उठते सवाल

यूपी और बिहार में बलात्कार की घटनाओं से कानून व्यवस्था पर उठते सवाल

यूपी और बिहार में महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा इस महामारी के दौर में भी नहीं थम रही है और लगातार बलात्कार की घटनाएँ बढ़ रही हैं।

यूपी और बिहार ये दो ऐसे राज्य हैं जहां पिछले दिनों हुई बलात्कार की घटनाओं ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर इन राज्यों की कानून व्यवस्था कब सुधरेगी। पिछले 10 दिनों में उत्तर प्रदेश में दो और बिहार में चार बलात्कार की घटनाएं सामने आई हैं जिससे यह साफ़ पता चलता है कि यहां प्रशासन और कानून व्यवस्था कितनी बदहाल है।

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले की पुलिस ने एक 17 साल की लड़की का बलात्कार होने की पुष्टि की है जिसका कटा हुआ शव एक तालाब में मिला। एनडीटीवी की खबर के मुताबिक़ इससे पहले पुलिस ने कहा था कि लड़की की धारदार हथियार से हत्या की गई है और उसकी गर्दन पर चोट के निशान हैं। उसका शव उसके गांव से करीब 200 मीटर दूर एक सूखे तालाब के पास पड़ा मिला था। आपको बता दें कि लखीमपुर खीरी में दस दिनों के अंदर बलात्कार और हत्या का यह दूसरा मामला सामने आया है। इस मामले में खीरी पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि हुई है। फिलहाल आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। लड़की के परिवार वालों का कहना है कि वह सोमवार को सुबह करीब साढ़े आठ बजे घर से निकली थी। वह पास के शहर में स्कॉलरशिप का फार्म भरने के लिए गई थी। जब वह घर नहीं आई तो फिर पुलिस को इस बारे में सूचित किया गया।

लखीमपुर खीरी में दस दिन के अंदर कम उम्र की लड़की से बलात्कार और हत्या की यह दूसरी वारदात है। इससे पहले 15 अगस्त को एक 13 साल की लड़की की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। शौच के लिए घर से बाहर गई इस 13 साल की छात्रा के साथ न सिर्फ गैंगरेप किया गया बल्कि उसकी आंखें तक फोड़ दी गई। हत्या को अंजाम देने के बाद उसका शव गन्ने के खेत में फेंक दिया गया। इस मामले में उसके गांव के दो लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है। लड़की के पिता ने आरोप लगाया था कि उसका गला काटा गया था। उसकी आंखे छिल गई थी और उसकी जीभ कटी हुई थी। जबकि पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया था।

एनसीआरबी के आंकड़े यह भी बताते हैं कि साल 2001-2017 के बीच 4,15,786 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए थे। इन 17 सालों के दौरान औसतन हर दिन 67 महिलाओं का बलात्कार हुआ, दूसरे शब्दों में कहे तो हर घंटे 3 महिलाओं का बलात्कार हुआ।

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बिहार में भी पिछले कुछ दिनों से महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कई मामले सामने आए हैं। पहले पटना, फिर मुजफ्फरपुर उसके बाद अब सिवान में बलात्कार की घटना सामने आई है। बिहार में तो अपराध करने वालों ने इस अपराध को अंजाम देने के बाद वीडियो वायरल करना जैसे अनिवार्य बना दिया है। बिहार में भी महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। यहां महिलाओं और बच्चियों के साथ होने वाली हिंसा को अंजाम देने के बाद वीडियो वायरल करने की कई वारदात सामने आई हैं।

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के सिवान में सात युवकों ने महिला बलात्कार किया और घटना का विडियो बनाकर वायरल कर दिया। आरोपियों ने महिला के साथ जबरदस्ती मारपीट और गाली-गलौच भी की। ये मामला आंदर थाना इलाके का है। इससे पहले मुजफ्फरपुर के करजा थाना इलाके में एक महिला से घर में घुसकर गैंगरेप का मामला सामने आया था। इसमें पांच आरोपियों ने पीड़िता के घर में घुसकर इस वारदात को अंजाम दिया। यही नहीं ,आरोपियों ने महिला के 6 महीने के मासूम बच्चे को अपने कब्जे में लेकर उसे पिस्तौल के निशाने पर रखा, फिर पीड़िता के साथ गैंगरेप किया और फिर वीडियो वायरल कर दिया।

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तीसरा मामला पटना ज़िले के गौरीचक थाना इलाके का है जहां एक महिला से गैंगरेप के बाद विडियो वायरल कर दिया था। पटना में हुई इस वारदात को चार लोगों ने अंजाम दिया था। चौथा मामला बिहार के गोपालगंज का है जहां एक बच्ची के चाचा ने ही उसका तब तक बलात्कार किया जब तक बच्ची की मौत नहीं हो गई। मंगलवार की शाम गोपालगंज के सिघवलिया थाना क्षेत्र में पड़ोसी के घर के छज्जे पर रखे बक्से से एक बच्‍ची के शव की बरामदगी के मामले में पुलिस ने जब उसके चचेरे चाचा को गिरफ्तार पूछताछ की तो सन्‍न कर देने वाली घटना उजागर हुई। उसने बताया कि बच्‍ची उसके दुष्कर्म को बर्दाश्‍त नहीं कर सकी और उसकी मौत हो गई। बलात्कार के इन मामलों के सामने आने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है या यूं कहे कि इतने समय से सोया हुआ प्रशासन जाग गया है। ये सभी घटनाएं इस बात का पुख्ता सबूत है कि यूपी और बिहार में महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा इस महामारी के दौर में भी नहीं थम रही है और लगातार बलात्कार की घटनाएँ बढ़ रही हैं।


नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार 2017 -2018 में उत्तर प्रदेश महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध में शीर्ष पर था। जनवरी में प्रकाशित इस रिपोर्ट में पूरे भारत में महिलाओं के खिलाफ शोषण के 3,78,277 मामले दर्ज किए गए। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में बलात्कार के 33,000 मामले दर्ज किए गए। इतना ही नहीं साल 2018 में 2017 के मुकाबले बलात्कार के बाद 31 फीसद अधिक महिलाओं की हत्या की गई। एनसीआरबी के आंकड़े यह भी बताते हैं कि साल 2001-2017 के बीच 4,15,786 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए थे। इन 17 सालों के दौरान औसतन हर दिन 67 महिलाओं का बलात्कार हुआ, दूसरे शब्दों में कहे तो हर घंटे 3 महिलाओं का बलात्कार हुआ। ये सभी घटनाएं प्रशासन, कानून व्यवस्था और समाज की मानसिकता में सुधार की मांग कर रही हैं।

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तस्वीर : मार्वा

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