इंटरसेक्शनलLGBTQIA+ तमिलनाडु के तूतुकुड़ी में ट्रांस महिलाओं द्वारा संचालित एक डेयरी फार्म

तमिलनाडु के तूतुकुड़ी में ट्रांस महिलाओं द्वारा संचालित एक डेयरी फार्म

मंतितोप्पु ट्रांसजेंडर मिल्क प्रोड्यूसर सोसाइटी भारत का पहला पंजीकृत दुग्ध उत्पादन केंद्र या डेयरी फार्म है जो पूरी तरह से ट्रांस महिलाओं द्वारा संचालित है।

तमिलनाडु का तूतुकुड़ी ज़िला। यहां कोविलपट्टी से कुछ तीन किलोमीटर दूर स्थित है छोटा-सा मंतितोप्पु गांव। इसी गांव में इस महीने ‘संदीप नगर’ के नाम से एक ट्रांसजेंडर सशक्तिकरण केंद्र का उद्घाटन हुआ है। दो एकड़ ज़मीन पर स्थित इस परिसर में एक आवासीय क्षेत्र है जिसे लगभग 85 ट्रांसजेंडर व्यक्ति अपना घर मानते हैं। साथ ही यहां एक व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र है जहां इस जगह के निवासी अलग-अलग व्यावसायिक और सामाजिक क्षेत्रों में जीविका कमाने की शिक्षा लेते हैं। यहीं पर स्थित है ‘मंतितोप्पु ट्रांसजेंडर मिल्क प्रोड्यूसर सोसाइटी’। यह भारत का पहला पंजीकृत दुग्ध उत्पादन केंद्र या डेयरी फार्म है जो पूरी तरह से ट्रांस महिलाओं द्वारा संचालित है। 

इस डेयरी फार्म को कुल मिलाकर 30 ट्रांस महिलाएं चलाती हैं। इसके लिए उन्होंने एक महीने भर का डेयरी फार्मिंग कोर्स किया है जिसमें उन्हें गायों के स्वास्थ्य की देखभाल से लेकर दूध और दुग्ध उत्पादों की मार्केटिंग तक इस क्षेत्र से संबंधित सारी चीज़ें सिखाई गईं। डेयरी फार्म की अध्यक्ष भूमिका के मुताबिक पूरे फार्म में कुल 60 गायें हैं जो हर रोज़ 8 से 11 लीटर दूध देती हैं। हर रोज़ लगभग 300 लीटर दूध की बिक्री होती है और हर महिला दिन में 250 रुपए से अधिक कमाती है। 

‘संदीप नगर’ की स्थापना डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर संदीप नंदूरी और ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता ग्रेस बानू के नेतृत्व में हुई है। इसका नाम भी संदीप नंदूरी के नाम पर ही रखा हुआ है। पिछले साल जुलाई में इसका निर्माण शुरू हुआ था और आज यह यहां रहनेवाले ट्रांस व्यक्तियों के लिए एक सुरक्षित आवास और कार्यस्थल है। ‘द न्यूज मिनट’ से की गई बातचीत में  ग्रेस बानू कहती हैं, “यह जगह इतने सालों से हमारे लिए एक सपना ही थी और हम अब जाकर इसे पूरा कर पाए हैं। अब तक किसी भी डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ने हमारी मदद नहीं की थी, मगर वर्तमान कलेक्टर हर कदम पर हमारे साथ खड़े रहे हैं। हमने उन्हें धन्यवाद जताने के लिए ही इस इलाके का नाम ‘संदीप नगर’ रखा है।” 

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तस्वीर साभार: The Hindu

संदीप नगर के निवासी बहुत मुश्किल परिस्थितियों से आते हैं। उनमें से कई लोग गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते हैं जिसकी वजह से वे ज़्यादा दूर तक पढ़ाई नहीं कर पाए हैं और इसलिए अपनी जीविका कमाकर आत्मनिर्भर होने में असफल रहे हैं। कई लोगों के परिवारवालों ने उन्हें घर से निकाल दिया है, जिसके बाद उन्हें भीख मांगकर या वेश्यावृत्ति से अपना गुज़ारा करना पड़ा है, और सामाजिक बहिष्कार सहना पड़ा है। इनमें से ज़्यादातर लोगों के पास यहां आने से पहले सरकारी कागज़ात भी नहीं थे। इस सशक्तिकरण उद्योग ने उन्हें एक नई ज़िंदगी दी है। यहां उन्हें इज़्ज़त से रहने की जगह ही नहीं, एक स्वनिर्भर और आसान ज़िंदगी जीने के लिए ज़रूरी ट्रेनिंग भी मिली है। दुग्ध उत्पादन जैसे ‘वोकेशनल स्किल’ सीखकर अब वे अपने पैरों पर खड़े हो सकते हैं और अपनी ज़िंदगी अपने दम पर जी सकते हैं। 

मंतितोप्पु ट्रांसजेंडर मिल्क प्रोड्यूसर सोसाइटी भारत का पहला पंजीकृत दुग्ध उत्पादन केंद्र या डेयरी फार्म है जो पूरी तरह से ट्रांस महिलाओं द्वारा संचालित है। 

डेयरी फ़ार्म की अध्यक्ष भूमिका कोविलपट्टी के पुदु ग्रामम गांव से ताल्लुक रखती हैं। संदीप नगर आने से पहले उनके पास रहने की कोई स्थाई जगह नहीं थी। हर साल उन्हें किसी न किसी वजह से लगभग चार या पांच बार घर बदलना पड़ता था। संदीप नगर में उन्हें और उनकी तरह कई ट्रांस महिलाओं को उनका अपना घर, रोज़गार और एक इज़्ज़त की ज़िंदगी मिली है। उनकी सहकर्मी अपर्णा कहती है, “यहां पर हमें सर उठाकर जीने का मौका मिला है और हमें यह कहने में गर्व महसूस होते हैं कि ‘मंतितोप्पु ट्रांसजेंडर मिल्क प्रोड्यूसर सोसाइटी पूरे भारत का पहला ट्रांसजेंडर-संचालित दुग्ध उत्पादन केंद्र है।” 

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हमारे समाज की विडंबना यह है कि हम उदारवादी और मानवतावादी होने का दिखावा तो कर लेते हैं, न्याय और बराबरी पर बड़ी बड़ी बातें तो कर लेते हैं, पर हम में से ऐसे बहुत कम लोग हैं जो समाज के वंचित तबकों के हित में काम करने, उनकी परिस्थितियां बदलने में मदद करने की ज़िम्मेदारी उठा सकते हैं। ऐसे में ‘संदीप नगर’ कॉलोनी एक शानदार प्रयास है जो ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को न सिर्फ़ रहने की जगह और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करता है पर व्यक्तिगत तौर पर स्वाभिमानी, स्वनिर्भर और सशक्त बनने में उनकी मदद भी करता है। हमें भी अपने आस-पास के वंचित तबकों की ज़रूरतों और अधिकारों के बारे में जागरूक होना चाहिए और स्थानीय प्रशासन पर उनके उत्थान और सशक्तिकरण हेतु कदम उठाने के लिए दबाव डालना चाहिए। मंतितोप्पु डेयरी फ़ार्म इस बात का उदाहरण है कि वंचित व्यक्तियों को उचित सहायता दिए जाने पर वे अपनी मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकल सकते हैं और समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर बखूबी अपना योगदान दे सकते हैं। उम्मीद है हम अपने आसपास ऐसे और भी उदाहरण देखेंगे। 

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स्रोत: The News Minute


फीचर तस्वीर साभार : The News Minute

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