संस्कृतिसिनेमा 2020 की वे फिल्में जहां महिलाओं ने निभाएं सशक्त किरदार

2020 की वे फिल्में जहां महिलाओं ने निभाएं सशक्त किरदार

आइए साल के अंत में कुछ अच्छी चीज़ों को याद करते हैं, और चर्चा करते हैं उन फिल्मों की जहां महिलाओं के मुद्दे को प्राथमिकता दी गई और उनकी कहानियों को दिखाया गया।

साल 2020 वह साल है है जिसे इस पूरी दुनिया के लिए ही भूलना नामुमकिन होगा। कोविड- 19 के चलते पूरी दुनिया में लॉकडाउन कर दिया गया, हम सभी अपने अपने घरों में बंद हो गए। इस महामारी के कारण हर छोटे या बड़े सभी कारोबार को कुछ ना कुछ नुकसान ज़रूर हुआ, सभी कारोबार की गाड़ी रुक सी गई थी । इस लॉकडाउन से फ़िल्म जगत की गति भी मंद पड़ गई थी पर इसमें ठहराव नहीं आने दिया गया। निर्माताओं ने फ़िल्म थिएटर की जगह ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लैटफॉर्म्स (ओटीटी) पर ही फिल्में रिलीज़ करने का फैसला लिया। आइए साल के अंत में कुछ अच्छी चीज़ों को याद करते हैं, और चर्चा करते हैं उन फिल्मों की जहां महिलाओं के मुद्दे को प्राथमिकता दी गई और उनकी कहानियों को दिखाया गया।


1. थप्पड़

थप्पड़, तस्वीर साभार: Buoyant Feet

भूषण कुमार और अनुभव सिन्हा की फ़िल्म थप्पड़ काफ़ी चर्चा में रही। यह फ़िल्म अमृता (तापसी पन्नू) इर्द-गिर्द घूमती है जहां उसका पति विक्रम अपने करियर को उड़ान देने के सपने देखता है तो वहीं अमृता एक अच्छी हाउसवाइफ बनने की कोशिशों में जुटी रहती है। पर तभी एक ऐसी घटना घटती है जो अमृता को पूरा हिलाकर रख देती है। एक पार्टी के दौरान विक्रम अमृता को एक थप्पड़ मारता है जो सीधा उसके आत्मसम्मान पर जा लगता है और वो अलग होने का फैसला कर लेती है। फ़िल्म कई मुद्दों को उठाती है जैसे, तलाकशुदा औरत के प्रति समाज और उसके खुद के घरवालों की सोच, जो उसे उसके स्वाभिमान के साथ समझौता करने को कहता है। फ़िल्म कई जगह पर दिल को छू जाती है जैसे विक्रम जब यह सवाल करता है कि “हो गई गलती अब क्या करूं?” जिसपर अमृता के पिता का जवाब देना कि “पर ऐसा हुआ क्यों?” फिल्म में तापसी पन्नू की अदाकारी भी तारीफ के काबिल रही है और उनके कुछ डायलॉग दिल जीत लेते हैं। जैसे, ” एक थप्पड़, पर नहीं मार सकता था, उस एक थप्पड़ ने मुझे वे सारी गलत चीज़ें दिखा देने लगी जिन्हें मैं पहले नज़रअंदाज़ करती आ रही थी।”

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2. पंगा

पंगा, तस्वीर साभार: Filmi Beat

कंगना रनौत की यह फ़िल्म एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी भूतपूर्व महिला कबड्डी खिलाड़ी जया निगम के जीवन पर आधारित है। इस फ़िल्म में उनके जीवन को बड़ी सहजता के साथ दिखाया गया है। फिल्म में वह एक खिलाड़ी के साथ-साथ एक मां भी हैं। शादी के बाद कुछ कारणों से जया ने कबड्डी छोड़ दी पर कबड्डी के लिए उनके दिल में हमेशा ही जगह रही, एक खिलाड़ी के तौर पर जया कभी कबड्डी से अलग नहीं हो पाती हैं। जया अपने पति और बच्चे के सहयोग से फिर से कबड्डी में कमबैक करने में सफल होती है, पर वहां भी उसे कई तरह की चुनौतीयों का सामना करना पड़ता हैं। ये फ़िल्म ये संदेश देने में सफल होती है कि जब एक औरत कोई सपना देखती है तो वो पंगा लेती है और साथ ही ये भी देखने को मिलता है कि अपने सपने को पूरा करने कि कोई उम्र नहीं होती।


4. गुंजन सक्सेना, द करगिल गर्ल

गुंजन सक्सेना, तस्वीर साभार: Indian Express

करण जोहर की यह फ़िल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई थी, जो कि पहली भारतीय महिला एयरफोर्स पायलट की कहानी पर आधारित है । गुंजन सक्सेना समाज की इस सोच कि लड़कियां पायलट नहीं बन सकती और तरह-तरह के लैंगिक भेदभाव से लड़कर किसी तरह घरवालों को मनाकर एयर फोर्स में भर्ती हो जाती है पर वहां उसकी असली जंग शुरू होती है खुद को साबित करने की और साथ ही उसे अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है जैसे लेडीज़ बाथरूम और चेंजिंग रूम ना होना। इसके साथ ही गुंजन पर समाज में फैली पितृसत्तात्मक सोच के खिलाफ खुद को साबित करने का दबाव भी रहता है और 1999 में करगिल जंग में वह बहुत ही बहादुरी से भारतीय सेना की मदद करती है और घायल जवानों को बचाने में सफल रहती हैं।

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5.छपाक

छपाक, तस्वीर साभार: Medium

मेघना गुलज़ार द्वारा निर्देशित यह फ़िल्म एक एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की वास्तविक कहानी पर आधारित है, जिसमें दीपिका पादुकोण ने मालती नाम का किरदार बड़ी खूबसूरती से अदा किया है। 18 वर्षीय मालती पर 30 वर्ष के एक युवक द्वारा एसिड फेंकने के कारण उसका पूरा चेहरा बिगड़ जाता है, मालती इंसाफ के लिए लड़ती रहती है और 7 साल तक एसिड बैन करने की लड़ाई लड़ती है और उनकी ही मांग के फलस्वरूप आज क़ानून की नज़र में एसिड अटैक के लिए अलग धारा बनाई गई है और साथ ही एसिड की बिक्री पर भी रेगुलेशन लग गया। यह फ़िल्म एसिड अटैक जैसे गंभीर मुद्दे के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाती है।

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6. शकुंतला देवी

शंकुतला देवी, तस्वीर साभार: Business Today

शंकुतला देवी भी विश्व प्रसिद्ध महान गणितज्ञ शकुंतला देवी के जीवन पर आधारित है जिन्हें मानव कंप्यूटर भी कहा गया। फ़िल्म में शकुंतला देवी की भूमिका विद्या बालन ने अदा की है। पारिवारिक तनाव के कारण उन्होंने अपना जीवन अकेले ही व्यतीत किया और अपने दम पर इस काबिल बनाया कि पूरे विश्व में उनकी प्रशंसा हुई। शकुंतला देवी को उनके तेज़ दिमाग के कारण उनका नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया।

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7. मिस इंडिया

मिस इंडिया, तस्वीर साभार: LetsOTT.com

नरेंद्र नाथ द्वारा निर्देशित यह फ़िल्म एक ऐसी लड़की की है जो बिज़नस वीमन बनना चाहती है, जिसमें उसके सामने पैसों की तंगी, समाज की सोच और कई चुनौतियां आती हैं। हालांकि इस फ़िल्म की कहानी पर कुछ और काम किया जा सकता था जो इसे बेहतर बनाती।


8. डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे

डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे, तस्वीर साभार: Indian Express

डॉली किट्टी और चमकते सितारे भी ओटीटी प्लैटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रीलीज़ की गई है। इस फिल्म का निर्देशन अलंकृता श्रीवास्तव ने किया है। साथ ही फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई है कोंकणा सेन शर्मा और भूमि पेडनेकर ने निभाई है। फिल्म की कहानी मुख्य नायिकाओं कोंकणा और भूमिका के इर्द-गिर्द ही घूमती नज़र आती है। हालांकि फिल्म की कहानी उतनी मज़बूत नहीं है जितनी कि निर्देशक अलंकृता की पहली फिल्म लिपस्टिक अंडर माय बुर्का की थी।

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