भारतीय समाज में पली बढ़ी एक लड़की जिसका नाम है आयशा अज़ीज़। आयशा के नाम भारत की सबसे छोटी उम्र की महिला पायलट होने का कीर्तिमान स्थापित हो चुका है। आयशा ने यह कीर्तिमान महज़ 25 साल की उम्र में ही स्थापित किया है। जब इतनी विशेषताएं किसी एक ही इंसान में हो, तब उस इंसान का सिर्फ कामयाब मात्र होना ही नहीं बल्कि एक कीर्तिमान भी स्थापित कर जाना अविश्वसनीय होता है। मुंबई में पैदा हुईं आयशा को बचपन से ही पायलट बनना था। आयशा का ननिहाल जम्मू-कश्मीर के बनिहाल में है। आयशा के आदर्श हमेशा ही पायलट्स या अंतरिक्ष यात्री रहे। उनका सपना नासा जाकर सुनीता विलियम्स से मिलने का था। उन्हें बादल हमेशा रोमांचित करते थे। वह जब भी कश्मीर जाती थी, उनका भाई अक्सर प्लेन में डर के कारण सो जाता था जबकि आयशा को प्लेन का उड़ान भरना और उसका वापस जमीन पर आना बहुत पसंद था।
हवाई जहाज़ से उनकी यह मोहब्बत अपने रास्ते पर आगे बढ़ती रही और आयशा ने पायलट बनना अपनी ज़िंदगी का मकसद बना लिया। वह छोटी उम्र में ही फ्लाइंग क्लब से जुड़ गई। बेहद छोटी उम्र से ही वह अपने सपनों को पूरा करने की कोशिशों में लग गई। जब उनकी उम्र के बाकी बच्चे मस्ती करते थे, आयशा हफ्ते के 5 दिन स्कूल जाती थी और बाकी दो दिन फ्लाइंग क्लब में अपनी ट्रेनिंग। वह बताती हैं कि जब उन्होंने फ्लाइंग क्लब जॉइन किया था तब छह लोगों के अपने बैच में वह एकमात्र लड़की थीं। इतना ही नहीं, उनके बैच के बाकी सभी साथी उनसे इतने बड़े थे कि उन्हें समझ ही नहीं आता था कि वह उन्हें सर बुलाएं या अंकल। आयशा के लिए यह सब कुछ चुनौती भरा तो था मगर इतना भी नहीं कि उनसे उनका सपना छीन लेता। ऐसे चुनौती भरे समय में भी उन्होंने बिना किसी डर के अपनी ट्रेनिंग पूरी करी और महज़ 16 साल की छोटी उम्र में ही अपना लाइसेंस प्राप्त किया। ऐसा करते हुए वह भारत की सबसे कम उम्र में लाइसेंस पाने वाली स्टूडेंट पायलट बन गईं। इस वक़्त उनकी उम्र ही बस छोटी थी, उनका पायलट बनने का निश्चय बिलकुल पक्का था।
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मात्र 16 साल की उम्र में उन्होंने अपनी ज़िन्दगी की सबसे पहली उड़ान भरी। एक हाथ में कॉफ़ी का कप लिए दुनिया को ऊपर से देखने का सपना पाले आयशा, धीरे धीरे अपने हर सपने को साकार किये जा रही थीं। कुछ ही महीने बाद उन्हें नासा जाने का भी मौका मिल गया। वह चाहती थी कि उनकी ज़िन्दगी में हर कुछ महीनों में कोई न कोई बदलाव होता रहे। पायलट बनने की इच्छा के पीछे एक यह भी कारण था कि ऐसा करते हुए वह बहुत नए-नए लोगों से मिल सकेंगी और अपनी ज़िन्दगी बिलकुल वैसे जी सकेंगी जैसी हमेशा से उनकी कल्पना रही थी। आखिरकार अनगिनत मुश्किलओं और चुनौतियों को पार करते हुए आयशा ने साल 2017 में अपना कमर्शियल पायलट लाइसेंस भी प्राप्त कर लिया। अब साल 2021 में वह भारत में सबसे कम उम्र की पायलट बन गई हैं। मगर आयशा के लिए यह ज़रूरी नहीं कि वह भारत की सबसे कम उम्र की पायलट हैं। बल्कि अगर उन्हें नाज़ है तो इस बात का कि उन्होंने बचपन से देखा हुआ अपना सपना साकार कर लिया।
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आयशा अज़ीज़ वह पहली पायलट नहीं हैं जिनकी जड़ें कश्मीर से जुड़ी हैं। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने खुद कहा कि आज कश्मीर की महिलाएं पढ़ाई और अपने अपने करियर में बहुत अच्छा कर रही हैं। वह खुश होते हुए कहती हैं कि आज कश्मीर की लगभग हर अगली लड़की अपना स्नातक या पीएचडी पूरी कर रही है। आयशा से पहले तन्वी रैना जम्मू-कश्मीर से तालुक्क रखने वाली पहली महिला कमर्शियल पायलट हैं। जबकि इरम हबीब पायलट बनने वाली पहली कश्मीरी मुस्लिम महिला हैं। ऐसे में कश्मीर से आने वाली यह सभी महिलाएं तारीफ और गर्व की हकदार हैं। बता दें कि आयशा ने नासा- हंट्सविल स्पेस सेंटर में एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग भी हासिल की है।
अभी एक ही महीने पहले ही जनवरी 2021 में एयर इंडिया के ऑल वुमेन क्रू ने कैप्टन ज़ोया अग्रवाल की कप्तानी में सैन फ्रांसिस्को से बैंगलोर तक की उड़ान भरी थी। यह रूट दुनिया का सबसे लंबा हवाई रूट है। इतना ही नहीं यह दुनिया का पहला ऑल वुमेन क्रू था जिसने नार्थ पोल के ऊपर से हवाई जहाज उड़ाया था। ऐसे में पुरुष केंद्रित एविएशन उद्योग में महिलाओं का अपनी उपस्थिति दर्ज कराना यकीनन गौरवपूर्ण है। गुंजन सक्सेना, तन्वी रैना, इरम हबीब, आयशा अज़ीज़ जैसे नामों से चमचमाती महिला पायलट्स की लिस्ट उम्मीद की किरण देती है। यह हौसला देती है कि हम आने वाले समय में न सिर्फ पुरुष केंद्रित उद्योगों में महिलाओं को बराबरी का हक़दार होते देखेंगे बल्कि इस पितृसत्तात्मक समाज की बंदिशों को तोड़ भी पाएंगे।
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