देश के विकास और एक उज्जवल भविष्य के लिये समाज में महिलाओं द्वारा सदैव ही सक्रिय रूप से भूमिका अदा की गई है। भारतीय सेना जिसे पुरुष प्रधान समझा जाता है, वहां भी औरतों ने एक सराहनीय भूमिका निभाई है। भारतीय सेना में साल 1992 से महिला अधिकारियों की नियुक्ति की शुरुआत हुई। आज बात करेंगे ऐसी ही कुछ सैन्य महिला अधिकारियों की जिन्होंने अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व से लैंगिक असमानता को चुनौती दी।
1. पुनीता अरोड़ा
पुनीता अरोड़ा सशस्त्र बलों की पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल और साथ ही भारतीय नौसेना में वाइस एडमिरल भी थीं। साल 2004 में सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज में उन्हें आर्म्ड फोर्सेज़ मेडिकल कॉलेज के कमांडेंट के रूप में चुना गया। बाद में वह कुछ कारणों से नौसेना में चली गईं जहाँ उन्हें वाइस एडमिरल का दर्जा मिला। उनका जन्म एक पंजाबी परिवार में हुआ था लेकिन वे भारत-पाक विभाजन के समय सहारनपुर आ गए। पुनीता अरोड़ा को उनकी योग्यता के आधार पर अनेक पुरुस्कार से सम्मानित किया गया ।
2. पद्मा बंदोपाध्याय
पद्मा बंधोपाध्याय साल 1968 में भारतीय वायुसेना की हिस्सा बनी और भारतीय वायु सेना महिला की प्रथम महिला एयर मार्शल चुनी गईं। 10 सालों के बाद 1978 में उन्होंने अपनी डिफेन्स स्टाफ सेवा को पूरा किया और ऐसा करने वाली पहली महिला भी बन गईं। यही नहीं, वह एविएशन मेडिसिन विशेषज्ञ बनने वाली, उत्तरी ध्रुव पर वैज्ञानिक अनुसंधान करने वाली पहली भारतीय महिला थीं और साथ ही उन्हें वर्ष 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध के दौरान उनके द्वारा दी गईं सेवा के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित भी किया गया है।
3. मिताली मधुमिता
फरवरी 2011 में, लेफ्टिनेंट कर्नल मिताली मधुमिता गैलएंट्री पुरुस्कार से सम्मानित की जाने वाली पहली भारतीय महिला हैं। उन्हें यह पुरस्कार 26 फरवरी 2010 में काबुल में भारतीय दूतावास पर हुए हमले के दौरान वीरता का प्रदर्शन करने के लिए दिया गया था।
4. प्रिया झिंगन
प्रिया झिंगन भारतीय सेना में शामिल होने वाली पहली महिला कैडेट थी। साल 1992 को उन्होंने सेना में दाखिला लिया। वह हमेशा से ही सेना में शामिल होना चाहती थी। 1992 में, उन्होंने सेना प्रमुख से एक पत्र के ज़रिये महिलाओं को भी सेना में भर्ती होने की अनुमति मांगी और एक साल के बाद जब सेना प्रमुख ने अनुमति प्रदान कर दी थी जिसके बाद प्रिया झिंगन ने अन्य 24 महिलाओं के साथ भारतीय सेना में कदम रखा।
5. दिव्या अजित कुमार
दिव्या अजित कुमार वर्ष जिन्होंने 2015 की गणतंत्र दिवस परेड में 154 महिला सैन्य अधिकारियों और कैडेटस के सर्व-महिला दल का नेतृत्व किया था, 21 वर्ष की आयु में ही उन्हें सर्वश्रेष्ठ ऑल-राउंड कैडेट का ख़िताब अपने नाम करवाया और भारतीय सैन्य अधिकारियों को ट्रेनिंग अकादमी द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार “स्वॉर्ड ऑफ ऑनर” भी हासिल किया और इस तरह वो इसलिए सम्मान को प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला बनी।
6. निवेदिता चौधरी
फ्लाइट लेफ्टिनेंट निवेदिता चौधरी माउन्ट एवेरेस्ट के शिखर पर पहुंचने वाली पहली भारतीय वायु सैन्य महिला अधिकारी और साथ ही ऐसा करने वाली राजस्थान की भी पहली महिला बनीं। उनके द्वारा यह मुकाम हासिल करने के पांच साल बाद उनकी ही टीम की स्क्वाड्रन लीडर निरुपमा पांडे और फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजिका शर्मा भी शिखर तक पहुंचने में सफल रहीं ।
7. अंजना भदौरिया
अंजना भदौरिया पहली भारतीय महिला सैन्य अधिकारी बनी जिन्हें स्वर्ण पदक के लिये चुना गया। उनको यह पुरस्कार उनके पूरे बैच में जिसमें महिला और पुरुष दोनों ही शामिल थे, सबसे अच्छा प्रदर्शन करने के लिये दिया गय । उन्होंने माइक्रोबायोलॉजी में एमएससी पूरा करने के बाद, सेना में प्रवेश पाने के लिये डब्लूएसइएस ( WSES ) यानि महिला विशेष प्रवेश योजना के माध्यम से आवेदन किया और 1992 में भारतीय सेना में महिला कैडेटों के पहले बैच में अपनी जगह बनाई और 10 साल तक भारतीय सेना में रहीं।
8. प्रिया सेमवाल
भारतीय सेना में अधिकारी बनने वाली प्रिया सेमवाल सेना के एक शहीद जवान की पत्नी हैं। नाइक अमित शर्मा 14 राजपूत रेजिमेंट के जवान थे जो साल 2012 में अरुणाचल प्रदेश में आतंकवाद रोधी ऑपरेशन में शहीद हो गए थे। प्रिया सेमवाल को भारतीय सेना के इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग (ईएमई) में अधिकारी के रूप में शामिल किया गया।
9. दीपिका मिश्रा
वर्ष 2006 में दीपिका मिश्रा भारतीय वायुसेना की पहली महिला पायलट बनीं जो हेलीकॉप्टर एरोबेटिक टीम सारंग से जुड़ीं। दिसंबर वर्ष 2006 में जब वायु सेना अकादमी में उनकी पासिंग आउट परेड हुईं जिसमें उन्होंने सूर्य किरणे (फिक्स्ड विंग) और सारंग (रोटरी विंग) के बारे में जो कुछ भी देखा, तब ही उन्होंने हेलीकॉप्टर पायलट बनने का फैसला कर लिया था।
10. सोफिया कुरैशी
साल 2016 में आयोजित आसियान प्लस मल्टीनेशनल फील्ड ट्रेनिंग फोर्स में भारतीय सेना में कॉर्प्स ऑफ़ सिग्नल की लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी ने दल का नेतृत्व कर इतिहास रचा और वह ऐसा करने पहली भारतीय महिला अधिकारी बन गई।
11. शांति तिग्गा
35 वर्षीय शांति तिग्गा भारतीय सेना की पहली महिला जवान थीं। शारीरिक फिटनेस परीक्षणों के दौरान उन्होंने अपने साथ के सभी अन्य पुरुष को हराकर महिलाओं को कमज़ोर समझने वालों का मुंह बंद कर दिया। उन्होंने परीक्षण के दौरान अपनी 50 मीटर की दौड़ 12 सेकंड में पूरी करके सभी को बाहर कर दिया यही नहीं उनको निशानेबाजी में भी सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ। साल 2013 में उनकी मौत हो गई थी।
12. गनेव लालजी
लेफ्टिनेंट गनेव लालजी एक युवा खुफिया अधिकारी, जिन्होंने सेना कमांडर के सहयोगी के रूप में नियुक्ती पाकर, ऐसा करनेवाली पहली महिला बनकर भारतीय सेना में इतिहास रच दिया। वर्ष 2011 में लेफ्टिनेंट लालजी को कोर ऑफ मिलिट्री इंटेलिजेंस में कमीशन किया गया और जिसके चलते पुणे में अपने प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने कई उपलब्धियां और ख़िताब भी अपने नाम दर्ज कर लिया।
13. गुंजन सक्सेना
1999 में भारत – पाकिस्तान के बीच हुए करगिल युद्ध के दौरान, फ्लाइट ऑफिसर गुंजन सक्सेना ने युद्ध क्षेत्र में अपने लड़ाकू विमान से उड़ान भरने वाली पहली महिला अधिकारी बनी, जिसमें उन्होंने अपने अन्य साथी सैनिकों की जान भी बचाई। उनके इस अटूट साहस के लिये उन्हें दा कारगिल गर्ल के नाम से भी जाना जाता है। साल 1994 में भारतीय वायुसेना प्रशिक्षु पायलटों के पहले बैच के गठन में चयनित 25 युवा महिलाओं में से एक गुंजन सक्सेना भी थी ।
14. तनुश्री पारीक
तनुश्री पारीक वर्ष 2017 में भारतीय बीएसएफ BSF यानी सीमा सुरक्षा बल की महिला अधिकारी (असिस्टेंट कमांडेंट) बनी। उन्होंने बीएसएफ अकादमी में 52 हफ़्ते का प्रशिक्षण प्राप्त किया और बीएसएफ अकादमी में आयोजित होने वाली दीक्षांत समारोह में उन्होंने पहली भारतीय महिला असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में पासिंग आउट परेड का नेतृत्व किया।
15. भावना कंठ, अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह
वर्ष 2016 में भावना कंठ, अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह, इन तीन युवा महिला अधिकारियों ने भारत की पहली महिला फाइटर पायलट बनकर इतिहास रच दिया। ये तीनो महिलाएं भारतीय वायुसेना द्वारा सफल प्रशिक्षण प्राप्त करके वायुसेना के लड़ाकू विमानों की पहली महिला फाइटर पायलट बनी। हैदराबाद के वायुसेना अकादमी में सफल प्रशिक्षण लेने के बाद भारतीय वायु सेना में लड़ाकू विमानों के पायलट के तौर पर कमीशन दिया गया।