जून महीने को प्राइड मंथ के तौर पर मनाया जाता है और इसी महीने दुनिया की कई कंपनियां और कॉर्परेट ब्रैंड अपने लोगो और सोशल मीडिया अकांउट को इंद्रधनुषी रंग में बदल देते हैं और प्राइड मंथ के तहत कई ऑफर भी देते हैं यह रेनबो वॉशिंग है। आइए जानते हैं क्या है ‘रेनबो- वॉशिंग’ और कैसे प्राइड मंथ में LGBTQIA+ समुदाय को आधार बनाकर इसका बाजारीकरण किया जाता है।
2- रेनबो-वॉशिंग क्या है?
जून महीने को प्राइड मंथ के तौर पर मनाया जाता है और इसी महीने दुनिया की कई कंपनियां और कॉर्परेट ब्रैंड अपने लोगो और सोशल मीडिया एकांउट को इंद्रधनुषी रंग में बदल देते हैं और प्राइड मंथ के तहत कई ऑफर भी देते हैं। रेनबो-वॉशिंग का मतलब कई कंपनियां और कॉर्पोरेट ब्रैंड्स द्वारा LGBTQIA+ समुदाय के लिए समानता और समर्थन को दिखाने के लिए विज्ञापन, सामानों, कपड़ों या स्थानों को इंद्रधनुष रंग में बदल देना है वह भी न्यूनतम कोशिश के साथ।
3- रेनबो-वॉशिंग क्यों गलत है?
प्राइड मंथ के दौरान कई कंपनियां और कॉर्पोरेट ब्रैंड अपने लोगो और सोशल मीडिया एकांउट को इंद्रधनुष रंग में बदल तो देते हैं और उन पर विज्ञापन भी बनाते हैं लेकिन उनकी कंपनियों की नीतियां और वातावरण उनके पक्ष में नहीं होता है। इसके अलावा आमतौर पर सार्वजनिक रूप से यह सब सिर्फ और सिर्फ प्राइड मंथ के दौरान ही होता है और पूरे साल इसकी उपस्थिति ना के बराबर होती है।
रेनबो-वॉशिंग के कारण, प्राइड मंथ सिर्फ विज्ञापनों तक ही सीमित रह गया है, ना कि LGBTQIA+ समुदाय के प्रति समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए। यह सिर्फ LGBTQIA+ समुदाय के संघर्ष को कमज़ोर करता है।
3- रेनबो-वॉशिंग से पूंजीवाद को क्या फायदे हैं?
मार्केटिंग मैग के मुताबिक करीब 70% LGBTQAI+ समुदाय के लोगों ने यह माना कि वे उन विज्ञापनों से प्रभावित होते हैं जिनमें गे या लेस्बियन इमेजरी शामिल होती है। यह भी कंपनियों के प्रति ब्रैंड लॉयल्टी बढ़ाने में एक अहम भूमिका निभाता है और इससे कंपनियां मुनाफा कमाती हैं।
4- जाति, पूंजीवाद और क्वीयर पहचान
जैसा कि हम सब जानते हैं कि पूंजीवाद सत्ता का पक्ष लेता है और यह भारत में यह विशेषाधिकार उच्च- जाति के समुदाय के पास है। इसलिए जाति, पूंजीवाद और क्वीयरपहचान को एक इकाई के रूप में समझने के लिए यह समझना जरूरी है कि जाति और पूंजीवाद दोनों दमनकारी शक्तियों को बनाए रखने का गठबंधन है, जो सब पर अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं जिसमें क्वीयर पहचान भी शामिल है।
5- क्या करने की ज़रूरत है?
हमें सिर्फ प्राइड मंथ के दौरान ही नहीं बल्कि पूरे साल LGBTQIA+ समुदाय के प्रति समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता को स्थापित करने की दिशा में काम करना चाहिए। प्राइड मंथ के दौरान जो कंपनियां और कॉर्पोरेट ब्रैंड अपने लोगो और सोशल मीडिया एकांउट को इंद्रधनुष रंग में बदल देते हैं, उनकी नीतियों और उनकी कंपनी में LGBTQIA+ समुदाय के प्रतिनिधित्व पर ध्यान देना चाहिए।