महाश्वेता देवी भारतीय साहित्य के उन लेखकों का प्रतिनिधित्व करती हैं जिनके लिए लेखन एक आंदोलन है, सतत चलने वाला आंदोलन। उन्होंने अपने लेखन के ज़रिये भारतीय समाज में परंपरागत तौर पर चलने वाले शोषणतंत्रों को बेनकाब करने की कोशिश की है। इस शोषण तंत्र में सदियों से दमित आबादी ही इनके लेखन का प्रस्थान-बिंदु है। आज हमारी इस पोस्टर सीरीज़ में पढ़िए महाश्वेता देवी के ऐसे ही कुछ उपन्यासों और कहानियों के बारे में।

1- भूख
अंग्रेज़ों से राजनीतिक स्वतंत्रता के बाद भी देश का एक बड़ा हिस्सा किस तरह परंपरागत तौर पर सामाजिक और आर्थिक गुलामी में जीने को मजबूर है उसे महाश्वेता देवी के लिखे उपन्यास ‘भूख’ में देखा जा सकता है। झारखंड की पृष्ठभूमि पर लिखे गए इस उपन्यास में उस सामाजिक ढांचे को देखा जा सकता है जिसमें वंचित तबके के लोग मरते दम तक जीने को मजबूर हैं।

2- 1084वें की मां
महाश्वेता देवी का उपन्यास ‘1084वें की मां’ एक औरत के संघर्ष और विद्रोह पर आधारित है। यह एक ऐसी मां की कहानी है जो सालों बाद राजनीतिक उथल- पुथल में अपने बेटे की हत्या के बाद भी हिम्मत नहीं हारती है।

3- चोटी मुंडा और उसका तीर
यह उपन्यास भारत के आदिवासी समाज और उनके जीवन के संघर्ष की कहानी पर आधारित है। महाश्वेता देवी ने इस उपन्यास में नायक चोटी मुंडा के संघर्ष से भरे जीवन के जरिए मुंडा समुदाय के शोषण, उत्पीड़न को दिखाया है।

4- जंगल के दावेदार
महाश्वेता देवी के उपन्यास ‘जंगल के दावेदार’ में बिरसा की लड़ाई सिर्फ आर्थिक शोषण के खिलाफ और भूमि आंदोलन से ही नहीं जुड़ी है बल्कि हर तरह के वर्चस्ववाद के खिलाफ़ भी है। बिरसा की लड़ाई जहां एक ओर ब्रिटिश हुकुमत और साम्राज्यवाद से है, वहीं दूसरी ओर शोषणतंत्र, सामंतवाद, ज़मींदारी व्यवस्था और धार्मिक छलावे से भी है।

5- द्रौपदी
इस कहानी में द्रौपदी एक आदिवासी महिला है जिसे सेनानायक ने पकड़ लिया है और उस सेनानायक के आदेश पर सेना द्वारा उसका बलात्कार किया जाता है। यह कहानी नक्सल आंदोलन और बांग्लादेश लिबरेशन युद्ध की पृष्ठभूमि पर लिखी गई है। महाश्वेता देवी ने इस कहानी में एक ऐसी महिला को दिखाया है जो यौन हिंसा और सामाजिक मानकों का विरोध करती है।

6- पंचकन्या
महाश्वेता देवी की पंचकन्या की कहानी पांच विधवा महिलाओं के जीवन के इर्द- गिर्द घूमती है। जिनके पति कुरुक्षेत्र के युद्ध में मारे जाते हैं। इस कहानी में महाश्वेता देवी यह दिखाती हैं कि कैसे कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद महिलाएं पितृसत्तात्मक समाज का शिकार बन जाती हैं।

Kirti is the Digital Editor at Feminism in India (Hindi). She has done a Hindi Diploma in Journalism from the Indian Institute of Mass Communication, Delhi. She is passionate about movies and music.