समाजकानून और नीति सभी सेक्स वर्कर्स को वोटर, आधार और राशन कार्ड देने का सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

सभी सेक्स वर्कर्स को वोटर, आधार और राशन कार्ड देने का सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देते हुए कहा कि देश में सभी सेक्स वर्कस को तत्काल राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड जैसी सुविधा दी जाएं ताकि उन्हें सामाजिक कल्याण योजनाओं का सही लाभ मिल सकें। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और राज्य को आदेश देते हुए कहा कि इस देश के सभी नागरिकों को बुनयादी सुविधाएं प्रदान करना राज्य का कर्तव्य है। प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों के तहत उसे इसकी गांरटी दी जाती है, चाहे वह किसी भी पेशे से जुड़ा हो।

हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक कोर्ट ने सरकार को देशभर में सेक्स वर्कर्स को पहचान से जुड़े दस्तावेज़ और आधार नंबर जारी करने को कहा है। इस पीठ में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन द्वारा रखी गई सूची से सेक्स वर्कर्स को पहचान पत्र देना होगा। अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि इसके लिए अधिकारी राज्य एड्स नियंत्रण समितियों की सहायता ले सकते हैं। समुदाय-आधारित संगठनों द्वारा प्रदान की गई जानकारी का सत्यापन करने के बाद एक सूची बनाने को कहा गया है।

कार्यवाही के दौरान, शीर्ष अदालत ने खेद व्यक्त करते हुए कहा है कि हालांकि इस दिशा में वोटर आईडी कार्ड और राशन कार्ड जारी करने के आदेश साल 2011 में दिए गए थे लेकिन इस काम में कोई प्रगति नहीं हुई। कोर्ट ने अपने पुराने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश सरकारों को लगभग एक दशक पहले सेक्स वर्कर्स को पहचान-पत्र और राशन कार्ड देने के लिए निर्देश दिया गया था। ऐसा कोई कारण नहीं है, तो इस तरह के निर्देशों को अब तक क्यों नहीं पालन किया गया है। इसी के साथ अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि राज्य बिना पहचान पत्र पर जोर दिए सेक्स वर्कर्स को सूखा राशन देना जारी रखे। सेक्स वर्कर्स को कोविड-19 के मद्देनजर उतप्न्न हुई परिस्थितियों के चलते राशन मुहैया कराया जा रहा है।

पीठ ने सरकारों को चार हफ्ते के भीतर अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है। पीठ ने यह कहा है कि हमने राज्य सरकारों को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि राशन वितरण के लिए योजनाएं लागू हैं। यदि योजना नहीं है तो केंद्र सरकार की योजना लागू हो। सेक्स वर्कर्स की गोपनीयता के संदर्भ में उनकी पहचान उजागर नहीं करनी है। अदालत ने कोविड-19 महामारी के चलते सेक्स वर्कर्स को हो रही समस्याओं को उठाने वाली याचिकों पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए।

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भारत में सेक्स वर्कर्स की स्थिति

भारत की सामाजिक व्यवस्था में सेक्स वर्क के पेशे को हमेशा से सम्मान से वंचित रखा गया है। सेक्स वर्कर्स को सामाजिक रूप से कलंकित और कानूनी तौर पर बहुत ही प्रताड़ित किया जाता है। सेक्स वर्कर्स के रहने की जगह अव्यवस्थाओं का सटीक पता है। बंद सकरी गलियों में छोटे-छोटे कमरे में अपना जीवन गुजारने को मजबूर सेक्स वर्कर्स के पास समाज के नाम पर केवल तिरस्कार ही है। सरकारी योजनाओं से वंछित सेक्स वर्कर्स और उनके परिवार बेहद तंगहाली में जीवन का गुजारा करने पर मजबूर होते हैं।

भारत में सेक्स वर्कर्स की स्थिति अत्यंत खराब है, कोविड-19 ने उनके सामने और संकट खड़े कर दिए हैं। पहले से सामाज में हाशिये पर रहने को मजबूर सेक्स वर्कर्स की बाधाओं को दूर करने के लिए जमीनी स्तर के सुधार करके उनके जीवन स्तर को सुधारा जा सकता है।

एसडीजी में प्रकाशित लेख में भारत में एक सेक्स वर्कर अपने अनुभव बताते हुए कहती हैं कि भारत में सेक्स वर्कर्स के रूप में हमारे पेशे के प्रति सम्मान या स्वीकृति के लिए कोई जगह नहीं है। जब वह पर्याप्त आय और सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ स्कूल में अपने बच्चें का एडमिशन कराने जाती हैं, तो उनके पांच साल के बेटे को इससे वंचित कर दिया जाता है। स्कूल में दाखिले के दौरान पिता का नाम या दस्तावेज़ प्रदान करने की कोई कानूनी आवश्यकता नहीं है, लेकिन एक स्कूल ने इसे उनके बच्चे के शिक्षा के अधिकार से वंचित करने के बहाने के तौर पर इस्तेमाल किया। दूसरी और एक गर्भवती सेक्स वर्कर को उनकी डिलीवरी को सरकारी अस्पताल सबसे कम प्राथमिकता देता है, यहां तक की आपात स्थितियों में भी।

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कोरोना महामारी के बीच भारत के सेक्स वर्कर्स

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को बंद कर दिया जिस कारण सभी की जीविका पर इसका बहुत बुरा असर पड़ा है। इस महामारी ने सेक्स वर्कर्स की जिंदगी को भी बहुत ज्यादा प्रभावित किया। वैश्विक महामारी के कारण उनका काम पूरी तरह से ठप हो गया था। कोरोना वायरस की स्थिति के कारण सेक्स वर्कर्स ने अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को खत्म करने के लिए अनेक संघर्ष करने पड़े। सेक्स वर्कर्स के साथ काम करनेवाले संगठनों के अनुसार उनके पास घर के किराए, बच्चों की शिक्षा और पूरे महीने के भोजन की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए धन नहीं था। इसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत अधिक पड़ा है। यही नहीं कोविड-19 के समय उन्हें घरेलू हिंसा और कभी-कभी उपलब्ध ग्राहकों द्वारा दुर्व्यवहार तक का सामना करना पड़ा।

इंडियन एक्स्प्रेस की खबर अनुसार जब से महामारी फैली है, भारत की लगभग 90 फीसद सेक्स वर्कर्स पर कर्ज की एक नई तलवार लटक गई है। इस अध्ययन के मुताबिक भविष्य में भी उन्हें कर्ज चुकाने का कोई साधन न होने के कारण, सेक्स वर्कर्स जीवन भर कर्ज के बंधन और यौन दासता के बंधन में जकड़े रह सकते हैं। यह जानकारी कोविड-19 के दौरान दिल्ली, मुंबई, पुणे और नागपुर से ली गई जानकारी से मालूम हुई है। मार्च 2020 से सेक्स वर्कर्स का काम लगभग बंद पड़ा हुआ है। काम बंद होने के कारण 90 प्रतिशत सेक्स वर्कर्स ने उधार लिया हुआ है। अधिक संख्या में सेक्स वर्कर्स ने वेश्यालय के मालिकों, मैनेजरों और साहूकारों से पैसा उधार लिया है। पहचान पत्र जैसे जरूरी कागज न होने के कारण सेक्स वर्कर्स आसानी से लोन भी नहीं ले पाते हैं।

भारत में सेक्स वर्कर्स की स्थिति अत्यंत खराब है, कोविड-19 ने उनके सामने और संकट खड़े कर दिए हैं। पहले से सामाज में हाशिये पर रहने को मजबूर सेक्स वर्कर्स की बाधाओं को दूर करने के लिए जमीनी स्तर के सुधार करके उनके जीवन स्तर को सुधारा जा सकता है। साथ ही जनसरोकारी योजनाओं में उनको शामिल करके समाज में उनकी स्थिति को बेहतर किया जा सकता है। अदालत के इस तरह के निर्देश इस दिशा में काम करने का पहला कदम है। कोरोना महामारी के बाद सेक्स वर्कर्स के काम बंद होने के कारण उनके सामने जीवन यापन करने के लिए उपजी समस्या का हल करने के लिए सरकार को संवेदनशील होकर उनके उत्थान के लिए काम करना बहुत जरूरी है। संवैधानिक रूप से एक नागरिक को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए, वह एक सेक्स वर्कर को भी उपलब्ध कराने की सरकार की जिम्मेदारी है।

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तस्वीर साभारः  Yahoo News UK

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