शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए पीरियड्स का नियमित तौर से होना आवश्यक होता है। हालांकि, बदलती जीवनशैली, प्रदूषण, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, पौष्टिक आहार का न मिलना जैसी वजहें लोगों के पीरियड्स साइकिल को प्रभावित कर रही हैं। हर किसी का पीरियड्स को लेकर खुद का अनुभव होता है। कोई पीरियड्स में शारीरिक दर्द अत्यधिक अनुभव करता है तो कोई सामान्य दर्द या दर्द महसूस ही नहीं करता है।
लेकिन अक्सर लोग पीरियड्स की शुरुआत में होने वाले अत्यधिक रक्तस्राव को सामान्य समझ लेते हैं। ज्यादातर लोग जो अनियमित पीरियड्स का सामना करते हैं वे यह गलती अधिक करते हैं। एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 62 फीसदी महिलाओं को यह नहीं पता था कि हैवी पीरियड्स एक मेडिकल कंडीशन है। पीरियड्स में होने वाले अत्यधिक रक्तस्राव को नजरअंदाज या सामान्य न समझकर, डाक्टर से परामर्श करना आवश्यक है। अत्यधिक प्रवाह और अधिक अवधि तक होने वाले पीरियड्स को चिकित्सकीय भाषा में ‘मेनोरेजिया’ कहा जाता है। पीसीओएस से पीड़ित लोग मेनोरेजिया से अधिक प्रभावित होते हैं।
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क्या होता है मेनोरेजिया
मेनोरेजिया पीरियड्स के समय सामान्य से अधिक ब्लीडिंग होने से संबंधित है। मेनोरेजिया में लोग एक लंबे समय तक रक्तस्राव का सामना करते हैं। इसमें खून के साथ-साथ खून के बड़े से थक्के जाने की शिकायत भी रहती है। इससे पीड़ित को अत्यधिक कमर और पेट दर्द से गुजरना पड़ता है। अधिक खून जाने के कारण मेनोरेजिया का सामना करनेवाले लोगों को थकान, शरीर में स्फूर्ति न रहना, अनेमिया के लक्षण आना जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। शारीरिक तकलीफ के साथ साथ इससे अवसाद, चिंता और आत्मविश्वास की कमी जैसे मनोवैज्ञानिक दुषप्रभाव भी होते हैं।
एक सर्वेक्षण के मुताबिक मेनोरेजिया के कारण 74 फीसदी महिलाएं एंग्जायटी, 69 फीसदी डिप्रेशन व 49 फीसदी महिलाएं एनीमिया का सामना करती हैं। 58 फीसदी महिलाएं इसके कारण अपनी दैनिक दिनचर्या असत-व्यस्त पाती हैं। भारत में लगभग 355 मिलियन महिलाओं को पीरियड्स होते हैं, इसमें करीबन 60 फीसदी महिलाओं को अपने जीवन में एक बार अधिक मासिक रक्तस्राव के लिए चिकित्सा सहायता लेनी पड़ती है। मेनोरेजिया लगभग 1-5 यानी 20 प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करता है। 30-50 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं में यह आम समस्या बनती जा रही है।
मेनोरेजिया के कारण
• मेनोरेजिया होने के कई कारण हैं लेकिन इसका मुख्य कारण हॉर्मोन का संतुलन बिगड़ना है। स्त्री शरीर में प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा कम या ज्यादा होने के कारण रक्तस्राव की बदलती प्रवृत्ति दिखाई देती है।
• थाइरॉयड ग्रंथि के हार्मोन के कम या ज्यादा होने कारण भी खून का बहाव ज्यादा होने के आसार होते हैं।
• फाइब्रॉण्ड, इनहेरिटड रक्तस्राव विकार और गर्भाशय के कैंसर भी भारी रक्तस्त्राव का कारण बनता है।
मेनोरेजिया की जांच के लिए विभिन्न प्रकियाएं हैं। मेनोरेजिया शरीर की सारी परीक्षाओं और एनीमिया के टेस्ट द्वाराजांचा जाता है। खून की जांच के द्वारा थाइरॉयड और हीमोग्लोबिन का पाता किया जाता और अल्ट्रासोनोग्राफी की जाती है। साथ ही कई और हॉर्मोनल टेस्ट किए जाते हैं। इसके बाद इलाज की प्रक्रिया चलती है। मेनोरेजिया में ऑपरेशन की जरूरत काफी कम और गंभीर मामलों में देखने को मिलती है। दवाओं से इसका उपचार संभव है। अक्सर इसके उपचार में गर्भनिरोधक दवाएं दी जाती हैं, जो हॉर्मोन का संतुलन बनाने का काम करती हैं।
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कैसे जाने आपमें मेनोरेजिया के लक्षण तो नहीं
• रक्तस्त्राव जिसमें हर घंटे एक या एक से अधिक सैनिटरी पैड या टैम्पोन बदलने पड़े।
• अगर आपको लगता है कि रक्तस्राव सामान्य या आपके सहने की क्षमता से अधिक है। ज्यादातर लोगों में पीरियड्स के दौरान लगभग 30-40 मिलीलीटर खून की कमी हो जाती है। लेकिन मेनोरेजिया में यह मात्रा लगभग 80 मिलीलीटर तक होती है।
• अगर एक सप्ताह से अधिक रक्तस्त्राव हो या कम रक्तस्राव के साथ 1 से 2 महीने तक पीरियड्स हो।
• चौथाई से बड़े खून के थक्कों का जाना।
• एनीमिया के लक्षण जैसे थकान शरीर में स्फूर्ति न होना या सांस की कमी।
अगर आपको ऊपर दिए गए लक्ष्णो की शिकायत हैं तो आपको डाक्टर से परामर्श करना चाहिए। मेनोरेजिया हर पृष्ठभूमि के लोगों को प्रभावित करता है। मेनोरेजिया की परेशानी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सही समय पर डाक्टर्स से परामर्श आवश्यक है ताकि इसके दुर्बल दुष्प्रभावों को रोका जा सके और सही उपचार हो सके।
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तस्वीर : रितिका बनर्जी फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए
स्रोत : Mayo Clinic