हमारे समाज में वजाइना या योनि पर बात खुल कर नहीं कर सकते। लोगों को इसके बारे में बात करने में असहजता महसूस होती है। इसके कारण वजाइना से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में भी न ही हम किसी को बता सकते हैं और न इसके बारे में जागरूक होते हैं। इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि हम इस मुद्दे पर बात करें, लोगों को इससे संबंधित जानकारी से अवगत करवाएं। उन्हें इन सब बीमारियों के बारे में पता होना चाहिए क्योंकि कई बार इससे जुड़ी शर्म और पितृसत्तात्मक सोच के कारण हम अपनी दिक्कतों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। ऐसी ही एक अवस्था है बैक्टीरियल वेजाइनोसिस (बीवी) यानि वह अवस्था जब हमारी योनि में बैक्टीरिया का स्तर सामान्य स्तर से अधिक बढ़ जाता है।
क्या है बैक्टीरियल वेजाइनोसिस ?
योनि में दो प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं। अच्छे बैक्टीरिया और बुरे बैक्टीरिया। अच्छे बैक्टीरिया को हम लैक्टोबसिल्ली (Lactobacilli) भी कहते हैं। यह हमारी योनि में एसिड की मात्रा को संतुलित रखता है ताकि बुरे बैक्टीरिया हमारी योनि को नुकसान न पहुंचा सकें। जब लैक्टोबैसिलस की मात्रा कम हो जाती है तो बुरे बैक्टीरिया के कारण हमें दिक्कत और असहजता महसूस होती है। यह ज़्यादा मात्रा में हमारे अंदर आने लगते हैं, जिसे हम बैक्टीरियल वेजाइनोसिस कहते हैं। 18 से 45 साल की उम्र की औरतों में इसके लक्षण अधिक देखने को मिलते हैं।
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बैक्टीरियल वेजाइनोसिस के कारण
यूं तो बैक्टीरियल वेजाइनोसिस की कोई एक वजह नहीं होती लेकिन सेक्सुअली ऐक्टिव लोगों या गर्भवती महिलाओं में इसके लक्षण अक्सर पाए जाते हैं।
कई सेक्सुअल पार्टनर का होना या बिना सुरक्षा के यौन संबंध बनाना।
इसके लक्षण उन महिलाओं में भी देखे गए हैं जो इंट्रा-यूटेरिन डिवाइस यानि उन गर्भनिरोधक उपकरणों का प्रयोग करती हैं, जो उनके यूटरस के अंदर रखा जाता है। हालांकि अभी तक इसका सीधा संबंध स्थापित नहीं किया गया है।
धूम्रपान करने वाले लोगों में भी इसके लक्षण देखे गए हैं।
डूचिंग करने वाले लोगों में भी इसके लक्षण अधिक देखने को मिलते हैं। डूचिंग एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसमें लोग अपनी योनि के अंदर की सफ़ाई पानी या बाज़ार में बिकनेवाले वजाइनल वॉश जैसी अन्य चीज़ों से करते हैं उनकी योनि से गंध न आए।
पब्लिक शौचायलों और स्वीमिंग पूल से भी यह इंफेक्शन होने की संभावना होती है।
बैक्टीरियल वेजाइनोसिस के लक्षण
बैक्टीरियल वेजाइनोसिस की अवस्था से पीड़ित व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षणों को देखा जा सकता है:
पेशाब करने पर जलन महसूस होना।
योनि स्त्राव से गंध आना, ख़ासकर सेक्स के बाद बदबू आना।
स्त्राव का सफ़ेद, हरा या ग्रे रंग का होना।
स्त्राव का पानी जैसे बहना या तरल होना।
इसमें हमारी योनि में असहजता या सूजन नहीं होती और इसके लक्षणों को योनि स्त्राव के बदलते रूप से देखा जा सकता है। अगर आपको लगे कि आपकी योनि से होनेवाले स्त्राव का रूप बदल रहा है या उसमें से अजीब गंध आने लग जाए, तब आपको डॉक्टर की परामर्श ज़रूर लेनी टाहिए।
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बैक्टीरियल वेजाइनोसिस से होने वाली दिक्कतें
बैक्टीरियल वेजाइनोसिस की अवस्था यूं तो घातक नहीं होती और इसका इलाज किया जा सकता है लेकिन फिर भी कुछ स्थितियों में यह हानिकारक हो सकता है।
यदि आपके गुप्तांगों में हैस्ट्रेक्टॉमी हो अन्य कोई सर्जरी हुई हो।
इससे दूसरे यौन संचारित रोगों के होने का ख़तरा हो सकता है।
अक्सर कई लोगों में इसके लक्षण नज़र नहीं आते। ऐसे लोगों में सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन होने की संभावना अधिक होती है।
बैक्टीरियल वेजाइनोसिस की पहचान और इलाज
बैक्टीरियल वेजाइनोसिस की पहचान के लिए आपका डॉक्टर आपसे आपके स्वास्थ्य का मेडिकल इतिहास जानेगा। वह आपकी योनि की भी जांच करेगा। इसके बाद यह सुनिश्चित करने के लिए कि ये लक्षण बैक्टीरियल वेजाइनोसिस के ही हैं, वह आपके स्त्राव का सैंपल लेकर उसकी जांच करेगा। इसकी पहचान के बाद इसका इलाज किया जा सकता है। इसके इलाज के लिए कुछ एन्टीबायोटिक्स दवाइयों या मलहम से किया जा सकता है। आमतौर पर पांच-सात दिनों तक इसका कोर्स चलता है। हो सकता है कि एक बार ठीक होने के बाद इसके लक्षण दोबारा नज़र आने लगें। ऐसी स्थिति में विशेषज्ञों की सलाह और ज़रूरी हो जाती है।
बैक्टीरियल वेजाइनोसिस से बचने के उपाय
सुगंधित साबुन, बबल बाथ, वजाइनल वॉश आदि का इस्तेमाल न करने की कोशिश करें।
योनि के लिए बने परफ़्यूम या सुंगधित वजाइनल वॉश का इस्तेमाल भी न करें।
डूचिंग की प्रक्रिया से दूर रहने की कोशिश करें।
हालांकि साल 2007 में छपे एक लेख के अनुसार दिल्ली में 30.8 प्रतिशत महिलाओं में इस अवस्था के लक्षण देखे गए। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि बैक्टीरियल वेजाइनोसिस अधिकतर शहर की झुग्गियों के इलाके में देखी गई और उसके बाद गांवों और कस्बों में। यह आंकड़े हमारे समाज में व्याप्त वर्ग की असमानताओं को भी दर्शाते हैं। वंचित समुदायों से आनेवाले लोग स्वास्थ्य चिकित्सा, उससे जुड़ी जानकारी के अभाव, साफ़ पानी, शौचायल, घर आदि जैसी मूलभूत आवश्यकता से भी वंचित रहते हैं जिसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य पर दिखता है।
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तस्वीर: श्रेया टिंगल फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए
प्रेरणा हिंदी साहित्य की विद्यार्थी हैं। यह दिल्ली यूनिवर्सिटी से अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही हैं। इन्होंने अनुवाद में डिप्लोमा किया है। अनुवाद और लेखन कार्यों में रुचि रखने के इलावा इन्हें चित्रकारी भी पसंद है। नारीवाद, समलैंगिकता, भाषा, साहित्य और राजनैतिक मुद्दों में इनकी विशेष रुचि है।