स्वास्थ्यशारीरिक स्वास्थ्य बात प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम से जुड़े मिथ्यों की| नारीवादी चश्मा

बात प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम से जुड़े मिथ्यों की| नारीवादी चश्मा

प्रिया (बदला हुआ नाम) के पीरियड शुरू होने से पहले अक्सर चिड़चिड़ापन, शरीर में दर्द और मूड स्विंग की प्रॉब्लम होती, जब वो इसे अपने घर में कहती तो उसकी मम्मी अक्सर कहती ये उसके दिमाग़ का वहम है। धीरे-धीरे प्रिया में ये समस्याएँ बढ़ने लगी, जिसके बाद डॉक्टर ने बताया कि प्रिया को प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम है।

पीरियड शुरू होने के कुछ दिन पहले चिड़चिड़ापन, चेहरे पर पिंपल्स आना और मूड स्विंग जैसे सिम्पटम के बारे में आपने सुना है या हो सकता है आपने इसे महसूस भी किया हो। पीरियड शुरू होने से पहले शरीर और मन में होने वाले इन बदलावों को पीएमएस या प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम कहते है। जैसा कि हम सभी जानते है अपने भारतीय समाज में अभी भी पीरियड पर बात करना शर्म का विषय माना जाता है, जिसकी वजह से पीरियड से जुड़े कई ज़रूरी पहलुओं पर चर्चा बहुत सीमित है और इस सीमित चर्चा की वजह पीरियड से जुड़े पहलुओं से संबंधित जानकारी की जगह मिथ्य लेने लगते है। ऐसे में ज़रूरी है कि स्वास्थ्य से जुड़ी इस प्राकृतिक प्रक्रिया ‘पीरियड’ के मुद्दे और इससे जुड़े पहलुओं पर बात की जाए। इसमें से प्रमुख है – प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम।

प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम अक्सर मेंस्ट्रुऐटर को उनके पीरियड से कुछ दिनों पहले से होना शुरू हो जाता है, जिसमें महिलाओं में कई शारीरिक, भावनात्मक और व्यवहारिक प्रॉब्लम्स होने लगती है। पर ऐसा नहीं है कि सभी  मेंस्ट्रुऐटर में प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम के सिमटम एक जैसे हों। कुछ मेंस्ट्रुऐटर्स को प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम के हल्के सिम्पटम होते है, जैसे – ब्रेस्ट में कसाव महसूस होना या कुछ मीठा खाने का मन करना। वहीं कुछ  मेंस्ट्रुऐटर में प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम के अलग-अलग सिम्पटम देखने को मिलते है जैसे – टेंडर ब्रैस्ट, ब्लोटिंग (पेट फूलना), ज़्यादा थकान, कुछ व्यवहारिक और भावनात्मक बदलाव जैसे बहुत ज़्यादा मूड स्विंग्स होना, चिड़चिड़ाहट, और उदासी महसूस होना। पीरियड ही की तरह, प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम भी  मेंस्ट्रुऐटर की मेन्स्ट्रूअल साइकिल का आम हिस्सा है। प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम के लक्षण कुछ ही दिनों के लिए रहते हैं और जैसे ही आपके पीरियड आते हैं, ये अपने आप चले जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार पीरियड शुरू होने से पहले शरीर में होने वाले होर्मोनल चेंज की वजह से प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम होता है। अब ये तो बात हुई प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम की। आइए चर्चा करते है प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम से जुड़े मिथ्य के बारे में –

मिथ्य 1 : प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम के सभी लक्षण नॉर्मल है।

ऐसा नहीं है। प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम पीरियड शुरू होने से पहले शरीर में होने वाले होर्मोनल चेंज की वजह से होता है, जो नेचुरल है। लेकिन प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम के गंभीर लक्षण शरीर हार्मोनल डिसबैलेंस को इंडिकेट करते है, जिन्हें नज़रंदाज़ करना है हमारी सेहत के ठीक नहीं है और अगर इस दौरान सिम्पटम गंभीर हो तो ये नॉर्मल बिल्कुल भी नहीं है।

प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम, हमारे शरीर से जुड़ा एक बेहद ज़रूरी कंडीशन है, जिसे इग्नोर करना हमें जोखिम में डाल सकता है।

मिथ्य 2 : प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम के लक्षण सभी मेंस्ट्रुऐटर में एक जैसे होते है।

ऐसा बिल्कुल भी नहीं। सभी मेंस्ट्रुऐटर में प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम के लक्षण एक जैसे नहीं होते है। कुछ  मेंस्ट्रुऐटर में ये बहुत माइल्ड होते है वहीं कुछ महिलाओं को मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन, पिंपल्स होना, सिरदर्द, थकावट या शरीर में दर्द होने जैसे कई लक्षण हो सकते है। ध्यान रहे कि प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम के ये लक्षण हमारी शरीर में होने वाली समस्याओं की तरफ़ इशारें करते है अगर प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम के लक्षण गंभीर है तो हमें बिना देर किए अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए।

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मिथ्य 3 : पीरियड से पहले होने वाली हर शारीरिक और मानसिक समस्यायें प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम की वजह से होती है।

नहीं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। पीरियड शुरू होने से पहले होने वाली शारीरिक और मानसिक बदलाव प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम की वजह से होती है। लेकिन जब ये गंभीर रूप लेने लगे तो इससे हमारे शरीर में होने वाली हार्मोन संबंधित गंभीर समस्याओं की तरफ़ इशारा करता है, जिसे नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए।

मिथ्य 4 : पीरियड और प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम एक जैसा ही है।

ऐसा नहीं है। जैसा कि हमें नाम से मालूम होता है – प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम का मतलब है पीरियड शुरू होने से पहले। और जब पीरियड शुरू होते है तो धीरे-धीरे प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम के लक्षण कम होने लगते है। वहीं पीरियड एक नेचुरल प्रोसेस है, जिस दौरान हर महीने यूटरस में बनने वाले एग धीरे-धीरे ब्रेक होकर पीरियड साइकिल के दौरान बॉडी से रिलीज़ होते है।

मिथ्य 5 : प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम जैसा कुछ नहीं होता ये सब दिमाग़ी वहम है।

आपने भी कभी न कभी ऐसे लोगों को सुना होगा जो प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम को दिमाग़ी वहम मानते है। लेकिन वास्तव में ऐसा सोचना अपने आप में दिमाग़ी वहम है। प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम पीरियड शुरू होने से पहले बॉडी में होने वाले होर्मोनल चेंज की वजह से होता है, जिसमें सिर्फ़ जाइंट पेन, सिरदर्द, मूड स्विंग जैसी कई अलग-अलग समस्याएँ होती है, जो दिमाग़ी नहीं फ़ैक्चुअल है।

ध्यान रखें, प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम, हमारे शरीर से जुड़ा एक बेहद ज़रूरी कंडीशन है, जिसे इग्नोर करना हमें जोखिम में डाल सकता है। इस दौरान होने वाली शारीरिक और मानसिक बदलावों पर नज़रंदाज़ न करें और आपको लगता है कि आपके सिम्पटम गंभीर है तो बिना देर किए अपने डॉक्टर से मिले।

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तस्वीर : श्रेया टिंगल फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए

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