संस्कृतिसिनेमा बी.आर. विजयालक्ष्मीः एशिया की पहली महिला सिनेमैटोग्राफर

बी.आर. विजयालक्ष्मीः एशिया की पहली महिला सिनेमैटोग्राफर

फिल्मों को बनाने में कैमरा एक महत्वपूर्ण आयाम है। कैमरे को किस एंगल से शूट में इस्तेमाल करना है यह काम सिनेमैटोग्राफर का होता है। ऐसी ही एक सिनेमैटोग्राफर हैं बी.आर. विजयालक्ष्मी, जो न केवल भारत की बल्कि एशिया प्रांत की पहली महिला सिनेमैटोग्राफर रही हैं। एक तमिल फिल्म में काम करते हुए 1980 के दशक में उन्होंने यह उपलब्धि अपने नाम की थी।

भारतीय सिनेमा जगत में चाहे कितनी भी महिला प्रधान फिल्में बन रही हो लेकिन आज भी यह एक पुरुष प्रधान उद्योग है। ख़ासकर, फिल्मों से जुड़े तकनीकी काम में तो महिलाओं का प्रतिनिधित्व बेहद कम है। पर्दे के पीछे समान भागीदारी और हक की एक लड़ाई यहां जारी है। फिल्मों को बनाने में कैमरा एक महत्वपूर्ण आयाम है। कैमरे को किस एंगल से शूट में इस्तेमाल करना है यह काम सिनेमैटोग्राफर का होता है। ऐसी ही एक सिनेमैटोग्राफर हैं बी.आर. विजयालक्ष्मी, जो न केवल भारत की बल्कि एशिया प्रांत की पहली महिला सिनेमैटोग्राफर रही हैं। एक तमिल फिल्म में काम करते हुए 1980 के दशक में उन्होंने साहयक सिनेमैटोग्राफर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया था।

बी.आर. विजयालक्ष्मी प्रसिद्ध तमिल फिल्म निर्देशक-निर्माता बीआर पंथालु की बेटी हैं। जब वह मात्र सोलह साल की थीं जब इनके पिता की मृत्यु हो गई थी। घर में सिनेमा के अनुकूल माहौल होने के कारण उनका रुझान फिल्मों की ओर बढ़ा। हालांकि, फिल्मों में काम करने से पहले उन्होंने इंटीरियर डिजाइनर के तौर पर काम करना शुरू किया था। इसी दौरान वह फिल्म के सेट पर पहुंची। उन्होंने सिनेमैटोग्राफी में करियर की शुरुआत निर्देशक अशोक कुमार के सहायक के रूप में की थी। अशोक कुमार उस समय के मलयालय और तमिल सिनेमा का एक बड़ा नाम थे।

पढ़ाई करने के दौरान ही उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था। विजयालक्ष्मी ने सिनेमैटोग्राफी की कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं ली थी। अपनी कड़ी मेहनत और अपने मेंटर को देख-देखकर काम करना सीखा था। उन्होंने साल 1980 में अशोक कुमार के लिए तमिल फिल्म ‘नेन्जाथाई किलाथे’ में सहायक सिनेमैटोग्राफर के तौर पर काम किया। इसके बाद पांच सालों के अंदर लगभग तीस फिल्मों में सिनेमैटोग्राफी की। इसी दौरान उन्होंने फिल्म ‘काई कोडूकम्म काई’ और ‘पिलाई निला’ के लिए काम किया।

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फिल्मों को बनाने में कैमरा एक महत्वपूर्ण आयाम है। कैमरे को किस एंगल से शूट में इस्तेमाल करना है यह काम सिनेमैटोग्राफर का होता है। ऐसी ही एक सिनेमैटोग्राफर हैं बी.आर. विजयालक्ष्मी, जो न केवल भारत की बल्कि एशिया प्रांत की पहली महिला सिनेमैटोग्राफर रही हैं। एक तमिल फिल्म में काम करते हुए 1980 के दशक में उन्होंने यह उपलब्धि अपने नाम की थी।

बतौर सिनेमैटोग्राफर पहली फिल्म

तमिल फिल्म ‘चिन्ना वीडू’ में इन्होंने स्वतंत्र तौर पर पहली बार बतौर सिनेमैटोग्राफर काम किया। इसी के साथ उनके नाम के साथ न केवल भारत की बल्कि एशिया की पहली महिला सिनेमैटोग्राफर होने की उपलब्धि जुड़ी। साल 1985 से लेकर 1995 के समय में विजयलक्ष्मी ने एक के बाद एक बाईस फीचर फिल्मों में काम किया। अपने करियर के दौरान उन्हें कई जाने-माने नामों के साथ काम किया।

द स्क्रॉल में प्रकाशित एक लेख में बी.आर. विजयालक्ष्मी का कहना है, “फिल्म सेट पर अभिनेत्री के अलावा अन्य महिलाओं में कोरियोग्राफर, मेकअप ऑर्टिस्ट और हेयर ड्रेसर मौजूद होती थीं। फिर भी मुझे कभी-कभी अकेलापन महसूस होता था। मैं एक सेकेंड के लिए भी खाली नहीं होती थी, सिनेमैटोग्राफी एक डे इन एंड डे आउट जॉब है।” अपनी पहली फिल्म मिलने को लेकर वह कहती है, “मैं लाइट और माउंटेड लैंस ढोती थी। मैं एक मजदूर की तरह काम करती थी और लोग मुझे देखते थे और मुझे सम्मान देते थे।”

उनकी प्रमुख फिल्मों में सी.वी. श्रीधर और जीएम कुमार जैसे निर्देशकों के द्वारा निर्मित फिल्मों के नाम जुड़े हुए हैं। इन फिल्मों में अरुवादाई नाल (1986), सिराई परवई (1987) और इनिया उरवु पूथथु (1987) शामिल हैं। विजयलक्ष्मी सिर्फ इस विधा तक ही सीमित नहीं थी। उन्होंने अपने करियर में सिनेमा की कई विधाओं में काम किया। सिनेमैटोग्राफी के अवाला स्क्रिप्ट राइटिंग और डॉयरेक्शन में भी हाथ आज़माया। साल 1992 में संगीत सिवन निर्देशित मलयालम फिल्म ‘डैडी’ के लिए पहली बार पटकथा लिखी।

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फिल्मों और टीवी की अलग-अलग विधाओं में काम करने के अलावा विजयालक्ष्मी ने कई अन्य पदों पर भी काम किया। साल 2005 सितंबर में वह म्यूजिक कंपनी सारेगामा की क्रिएटिव हेड के तौर पर नियुक्त की गई। इसके अलावा टीवी सॉफ्टवेयर डिवीजन के बिजनेस हेड के रूप में भी काम किया।

निर्देशन की कमान संभाली

इसके बाद साल 1995 में पहली बार उन्होंने फिल्म निर्देशन की कमान संभाली। फिल्म ‘पट्टू पडवा’ नामक फिल्म में पहली बार निर्देशक की सीट संभाली। फिल्म में मुख्य कलाकार में गायक एसपी. बालासुब्रमणयम थे। इस फिल्म के निर्देशन के अलावा सिनेमैटोग्राफी और स्क्रिप्टिंग का काम उन्होंने खुद संभाला था। साल 1996 में इस फिल्म की ‘इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया’ में स्क्रीनिंग की गई थी।

फिल्मों के अलावा टीवी पर किया काम

अपने फिल्मी करियर के अलावा विजयालक्ष्मी ने कई टेलीविजन सीरीज़ में भी काम किया। ‘माई डियर बूडहम, ‘वेलन’ और ‘राजा राजेश्वरी’ इसमें प्रमुख हैं। तमिल टीवी शो में पहली बार कंप्यूटर ग्राफिक इस्तेमाल करने का श्रेय विजयलक्ष्मी को ही जाता है। उन्होंने दक्षिण भारतीय सोप ओपेरा ‘अथ्थीपुक्कल वल्ली’ में काम किया। अपनी शादी के बाद वह पूरी तरह टेलीविजन इंडस्ट्री में काम करने लगी थीं। बच्चों पर केंद्रित ‘वसंतम कॉलोनी’ इनका टीवी पर पहला प्रमुख काम था। इसके अलावा ‘माया मंछिद्रा’ (विजय टीवी) और ‘वेलन’ (सन टीवी) पर इनकी अन्य प्रमुख टीवी सीरिज थी। बी.आर. विजयलक्ष्मी की शादी सुनील कुमार के साथ हुई थी, जो एक साउंड रिकॉर्डिस्ट हैं। इन दोनों का एक बेटा है। बेटे की परवरिश के कारण ही उन्होंने अपने काम से ब्रेक लिया था। फिल्मों से ब्रेक के बाद ही उन्होंने टेलीविजन पर काम करना शुरू किया था।   

उपलब्धियां

फिल्मों और टीवी की अलग-अलग विधाओं में काम करने के अलावा विजयालक्ष्मी ने कई अन्य पदों पर भी काम किया। साल 2005 सितंबर में वह म्यूजिक कंपनी सारेगामा की क्रिएटिव हेड के तौर पर नियुक्त की गईं। इसके अलावा टीवी सॉफ्टवेयर डिवीजन के बिजनेस हेड के रूप में भी काम किया। बी.आर. विजयालक्ष्मी का एशिया की पहली महिला सिनेमैटोग्राफर के तौर पर नाम ‘लिम्का बुक रिकॉर्ड्स’ में दर्ज हैं।

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तस्वीर साभारः The Asian Age

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