“चुप रहो, खुलकर मत हंसो, औरतों को एक हद में रहना चाहिए, ऐसे-वैसे कपड़े मत पहनो” और पता नहीं क्या-क्या कहकर औरतों को चुप कराया जाता है। हमारे समाज को हमेशा से ही अपनी बातों को खुलकर रखने वाली और खुद को एक्सप्रेस करनेवाली से औरतों से दिक्कत रही है। तो आइए, जानते हैं आखिर क्यों समाज को दिक्कत है, उन औरतों से जो अपने आपको खुलकर एक्सप्रेस करती हैं।
क्यों समाज को दिक्कत है, उन औरतों से जो अपने आपको खुलकर एक्सप्रेस करती हैं?
क्यों समाज को दिक्कत है, उन औरतों से जो अपने आपको खुलकर एक्सप्रेस करती हैं?