इतिहास अमेलिया एरहार्ट: अटलांटिक महासागर पार करनेवाली पहली महिला पायलट

अमेलिया एरहार्ट: अटलांटिक महासागर पार करनेवाली पहली महिला पायलट

उन्होंने दूसरी महिलाओं को भी एविएशन के क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित किया। साल 1929 में उन्ंहोंने महिला पायलट्स के लिए एक संस्था की भी स्थापना की, जिसे नाइटी-नाइन के नाम से आगे जाना गया। वह इस संस्था की पहली अध्यक्ष बनीं।

इस पितृसत्तात्मक समाज में स्त्री को एक ऐसे वर्ग में रखा जाता है जहां केवल उनकी पहचान एक कमज़ोर वर्ग के रूप में की जाती है स्त्री यानि कमज़ोर जिसका केवल काम है। घर में रहना, खाना बनाना, घर संभालना, शादी से पहले पिता या भाई के संरक्षण में रहना और शादी के बाद पति के संरक्षण में रहना। पितृसत्तात्मक समाज का नियम है कि स्त्री हमेशा पीछे रहे और पुरुष वर्ग आगे। पितृसत्तात्मक सोच रखनेवाले लोगों को यह लगता है कि पुरुष जो काम कर सकता है स्त्री वह काम नहीं कर सकती है। लेकिन आज हम आपको बताएंगे एक ऐसी ही महिला के बारे में जिसने पितृसत्तात्मक सोच से परे काम किया। हम बात करने जा रहे हैं अमेलिया एरहार्ट कि जो अकेले अटलांटिक महासागर पार करनेवाली पहली महिला पायलट थीं।

जन्म और शुरुआती जीवन

अमेलिया का जन्म अमेरिका के कनसास में 24 जुलाई 1897 को हुआ था। अमेलिया का पूरा नाम अमेलिया मैरी एरहार्ट था। उनके पिता एक रेलरोड वकील थे, और उनकी माँ एक बेहद ही संपन्न परिवार से आती थीं। एक बच्चे के रूप में अमेलिया एक साहसी और आज़ाद ख्यालों वाली थीं, इन्हीं खूबियों के लिए वह बाद में जानी जाने लगीं। इस समाज से हटकर कुछ अलग करने की चाहत उनके मन में हमेशा से ही थी। अमेलिया को साइंस में बेहद दिलचस्पी थी। लेकिन उन्होंने यह कभी नहीं सोथा था कि वह आगे चलकर पायलट के रूप में एक इतिहास रचनेवाली हैं।

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अमेलिया ने बतौर पायलट अपनी ऐतिहासिक उड़ान साल 1932 में कैनडा के न्यूफाउंडलैंड से भरी। उनकी यह उड़ान एक नया कीर्तिमान स्थापित करनेवाली थी। कैनडा से आयरलैंड तक की यह उड़ान उन्होंने 14 घंटे 56 मिनट में पूरी की थी। इस दौरान कई चुनौतियां भी आई लेकिन वह अपनी उड़ान पर डटी रहीं। इस तरह वह अटलांटिक महासागर को पार करनेवाली पहली महिला पायलट बनीं।

करियर की शुरुआत

साल 1917 में अमेलिया अपनी बहन से मिलने टोरंटो (कैनडा) गई थीं। यह यात्रा उनके जीवन के लिए एक अहम मोड़ साबित होनेवाली थी। यह दौर प्रथम विश्व युद्ध का था। यहां अमेलिया ने ज़ख्मी फौजियों को देखा और उनकी हालत देखकर वह उनकी मदद में जुट गईं। 1918 में उन्होंने टोरंटो में नर्स की सहयोगी बनने के लिए जूनियर कॉलेज छोड़ दिया। फौजियों की सेवा करते हुए उन्होंने पहली बार एक प्लेन को उड़ते हुए देखा था, तब शायद उनके मन में पायलट बनने की इच्छा जगी। युद्ध के बाद, अमेलिया ने न्यूयॉर्क शहर में कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, लेकिन 1920 में उनके माता-पिता ने उन्हें ज़ोर देकर कैलिफोर्निया में अपने साथ वापस रहने के लिए बुला लिया।

लेकिन यहां आने के बाद भी उन्होंने पायलट बनने का ख्वाब देखना नहीं छोड़ा। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी फीस का इंतज़ाम खुद करना शुरू कर दिया। आखिरकार वह वक़् भी आ गया जब उन्होंने अपनी पहली उड़ान भरी। साल 1920 में वह पहली बार हवाई जहाज़ पर गईं, यह एक ऐसा अनुभव जिसने उन्हें उड़ान सीखने के लिए प्रेरित किया। साल 1922 में उन्होंने अपना पहला हवाई जहाज “किनर एरेस्टर’ खरीदा। इसके दो साल के बाद उन्होंने अपना पायलट का लाइसेंस भी प्राप्त कर लिया। इस बीच वह बॉस्टन में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी काम करने लगीं लेकिन अपनी उड़ान भरना उन्होंने नहीं छोड़ा था।

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पहली उड़ान

अमेलिया ने बतौर पायलट अपनी ऐतिहासिक उड़ान साल 1932 में कैनडा के न्यूफाउंडलैंड से भरी। उनकी यह उड़ान एक नया कीर्तिमान स्थापित करनेवाली थी। कैनडा से आयरलैंड तक की यह उड़ान उन्होंने 14 घंटे 56 मिनट में पूरी की थी। इस दौरान कई चुनौतियां भी आई लेकिन वह अपनी उड़ान पर डटी रहीं। इस तरह वह अटलांटिक महासागर को पार करनेवाली पहली महिला पायलट बनीं। अपनी इस उड़ान के बारे में उन्होंने विस्तार से लिखा भी था। यह तो बस उनके रिकॉर्ड्स की शुरुआत भर थी। साल 1935 में वह अटलांटिक और प्रशांत महासागरों दोनों में अकेले उड़ान भरनेवाली पहली व्यक्ति बनीं। वास्तव में, 1930 और 1935 के बीच, अमेलिया ने महिलाओं की गति और दूरी की उड़ान से जुड़े कम से कम पांच रिकॉर्ड बनाए।

तस्वीर साभार: Encyclopædia Britannica, Inc.

उन्होंने दूसरी महिलाओं को भी एविएशन के क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित किया। साल 1929 में उन्ंहोंने महिला पायलट्स के लिए एक संस्था की भी स्थापना की, जिसे नाइटी-नाइन के नाम से आगे जाना गया। वह इस संस्था की पहली अध्यक्ष बनीं। वह नेशनल वुमेंस पार्टी की सदस्य भी थीं। उन्होंने कपड़ों के एक ब्रैंड की भी शुरुआत की जिसका केंद्र कामकाजी महिलाओं को बढ़ावा देना था।

आखिरी यात्रा

साल 1937 में अमेलिया ने हमेशा की तह उड़ान भरी लेकिन उनकी यह उड़ान आखिरी साबित हुई। यह उड़ान उन्होंने साथी पायलट फ्रेड नूनन के साथ भरी थी। जब वे प्रशांत महासागर पार कर रहे थे तब होलैंड द्वीप के पास उनका प्लेन लापता हो गया। काफी खोजबीन के बाद भी इनका पता नहीं लगाया जा सका। बाद में उन दोंनो को ही समुद्र में लापता घोषित कर दिया गया। लेकिन जाते-जाते अमेलिया एविएशन के क्षेत्र में महिलाओं के लिए एक नया रास्ता खोलकर गईं।

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तस्वीर साभार: Britannica

स्रोत:

Britannica
National Geographic

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