एनसीआरबी, जो गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है, एक नोडल एजेंसी है जिसे भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अपराध से जुड़े आंकड़े इकट्ठा करने और उनका विश्लेषण करने का अधिकार प्राप्त है। बीते सोमवार को एनसीआरबी ने साल 2021 की आपराधिक रिपोर्ट रिलीज़ की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की दर (प्रति एक लाख जनसंख्या पर घटनाओं की संख्या) 2020 में 56.5 प्रतिशत से बढ़कर 64.5 प्रतिशत हो गई। रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान राज्य में सबसे अधिक बलात्कार के मामले सामने आए हैं।
साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध
2021 में देश भर में ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध’ के कुल 4,28,278 मामले दर्ज किए गए, जिनमें अपराध की दर (प्रति एक लाख आबादी पर) 64.5 थी। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसे अपराधों में चार्ज-शीटिंग दर 77.1 थी। वहीं, 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या 3,71,503 और 2019 में 4,05,326 थी। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बलात्कार, बलात्कार के साथ हत्या, दहेज, एसिड हमले, आत्महत्या के लिए उकसाना, अपहरण, जबरन शादी, मानव तस्करी, ऑनलाइन उत्पीड़न, पति द्वारा क्रूरता जैसे अपराध शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की दर (प्रति एक लाख जनसंख्या पर घटनाओं की संख्या) 2020 में 56.5 प्रतिशत से बढ़कर 64.5 प्रतिशत हो गई। रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान राज्य में सबसे अधिक बलात्कार के मामले सामने आए हैं।
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56,083 मामलों के साथ, उत्तर प्रदेश महिलाओं के खिलाफ अपराधों की सूची में सबसे ऊपर है, इसके बाद राजस्थान (40,738) और महाराष्ट्र (39,526), पश्चिम बंगाल (35,884) और ओडिशा 31,352 है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, नगालैंड ने 2021 में 5.5 प्रतिशत दर के साथ महिलाओं के खिलाफ सबसे कम अपराध दर्ज किए।
देश में महिलाओं के खिलाफ अधिकांश अपराधों में 31.8 प्रतिशत मामले ‘पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता’ के तहत दर्ज किए गए, 20.8 प्रतिशत मामले ‘महिलाओं का शील भंग करने के इरादे से हमला’ के तहत दर्ज किए गए, 17.6 प्रतिशत मामले अपहरण के मामले थे और 7.4 प्रतिशत बलात्कार के मामले थे।
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महिलाओं के खिलाफ बलात्कार के अपराध में बढ़ोतरी
देश में अपराधों पर नवीनतम सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2021 में बलात्कार के 31,677 मामले दर्ज किए यानि औसतन 86 मामले हर दिन दर्ज किए गए जबकि महिलाओं के खिलाफ अपराध के लगभग 49 मामले हर एक घंटे में दर्ज किए गए। साल 2020 में बलात्कार के मामलों की संख्या 28,046 थी, जबकि 2019 में यह 32,033 थी। 2021 में बलात्कार के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
राज्यों में राजस्थान (6,337) इस सूची में शीर्ष पर है फिर मध्य प्रदेश (2,947), महाराष्ट्र (2,496) और उत्तर प्रदेश (2,845) में बलात्कार के मामले दर्ज किये गए। देश की राजधानी दिल्ली में 2021 में 1,250 बलात्कार के मामले दर्ज किए। यदि राज्य की जनसंख्या के अनुसार अपराध की दर के आधार पर देखा जाए तो बलात्कार के लिए अपराध की दर (प्रति लाख जनसंख्या) राजस्थान (16.4) में सबसे अधिक थी, इसके बाद चंडीगढ़ (13.3), दिल्ली (12.9), हरियाणा (12.3) और अरुणाचल प्रदेश (11.1) का स्थान है। एनसीआरबी के अनुसार, अखिल भारतीय औसत दर 4.8 थी।
NCRB रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि पूरे भारत में 96.5% बलात्कार के मामलों में अपराधी महिला को जानता था। बलात्कार के कुल 31,677 मामलों में से, 28,147 या लगभग 89% बलात्कार या तो दोस्तों (ऑनलाइन दोस्तों सहित), लिव-इन पार्टनर, अलग हुए पति या परिवार के दोस्तों, नियोक्ताओं या अन्य जान-पहचान के लोगों ने किए। पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों में, 90% से अधिक मामलों में अपराधियों ने जो पीड़िता को जानते थे, ने बलात्कार किए। देश भर में, 3,038 मामलों में नाबालिगों के साथ बलात्कार किया गया जो कि कुल मामलों का लगभग 10% है। बलात्कार के लगभग 64 प्रतिशत मामले 18-30 आयु वर्ग की महिलाओं के खिलाफ थे।
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NCRB रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि पूरे भारत में 96.5% बलात्कार के मामलों में अपराधी महिला को जानता था। बलात्कार के कुल 31,677 मामलों में से, 28,147 या लगभग 89% बलात्कार या तो दोस्तों (ऑनलाइन दोस्तों सहित), लिव-इन पार्टनर, अलग हुए पति या परिवार के दोस्तों, नियोक्ताओं या अन्य जान-पहचान के लोगों ने किए।
महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित मेट्रो शहर है दिल्ली
एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि सभी केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में 2021 में महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराधों की उच्चतम दर थी। पिछले तीन सालों में मामलों की संख्या 2019 में 13,395 से बढ़कर 2021 में 14,277 हो गई। राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं के खिलाफ अपराध 19 महानगरों में कुल अपराधों का 32.20 प्रतिशत है, इसके बाद मुंबई (12.76 प्रतिशत) और बेंगलुरु (7.2 प्रतिशत) का स्थान है। रिपोर्ट बताती है कि नाबालिग बच्चियों के मामले में, दिल्ली में पिछले साल हर दिन दो नाबालिग बच्चियों के साथ रेप हुआ था।
एनसीआरबी के अनुसार, पश्चिम बंगाल ने 2021 में पत्नी या उनके रिश्तेदारों द्वारा महिलाओं के खिलाफ क्रूरता के सबसे अधिक मामले दर्ज किए। भारतीय दंड संहिता की धारा 498A के तहत कुल 19,952 मामले, जो पतियों और उनके रिश्तेदारों द्वारा महिलाओं के खिलाफ हिंसा से संबंधित हैं, राज्य में दर्ज किए गए थे।
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पिछले साल 1961 के दहेज निषेध अधिनियम के तहत 13,534 मामले दर्ज किए, जो 2020 (10,046) में दर्ज मामलों की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है। इनमें से एक तिहाई मामले उत्तर प्रदेश (4,594) में दर्ज किए गए जो देश में सबसे ज्यादा हैं। हालांकि, 2021 में दहेज से संबंधित मौतों की संख्या में 3.85 प्रतिशत की मामूली गिरावट आई है, जिसमें 2020 में 6,843 मामलों की तुलना में कुल 6,589 मामले दर्ज किए गए।
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इनमें से एक तिहाई से अधिक मामले उत्तर प्रदेश में हैं, अकेले इस राज्य में 2,222 मामले दर्ज किए गए हैं। बिहार (1,000) एकमात्र अन्य राज्य है जहाँ दहेज हत्या के मामले चार अंकों में दर्ज किए गए। महानगरों में, दिल्ली में दहेज हत्या के 136 मामले दर्ज किए गए – जो अब तक का सबसे अधिक है। दूसरे सबसे ज्यादा मामले लखनऊ (51) में दर्ज किए गए, उसके बाद जयपुर (34) में।
नवीनतम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, असम लगातार पाचवें साल भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध की उच्चतम दर वाला राज्य बन गया है। पिछले साल असम में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 168.3 थी, जो राष्ट्रीय दर 64.5 से कहीं अधिक है। दिल्ली 147.6 के साथ दूसरे और ओडिशा 137.8 के साथ तीसरे स्थान पर रहा। 2017 में, असम में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 143.3 थी; 2018 में यह 166, 2019 में 177 और 2020 में 154.3 थी।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह एक विशिष्टता है, जो असम में कोई नहीं चाहता है। मामलों की उच्च संख्या का एक कारण यह भी हो सकता है कि असम में अधिकांश पीड़ित मामलों की रिपोर्ट करने के लिए आगे आते हैं और असम की पुलिस भी कुछ अन्य राज्यों की तरह महिलाओं को भगाने के बजाय उन मामलों को तुरंत दर्ज करती है। चिकिमिकी तालुकदार, पूर्व अध्यक्ष, असम राज्य महिला आयोग ने कहा कि ये आंकड़े बहुत चिंताजनक हैं। मामलों को कम करने के लिए अधिक जागरूकता और संवेदनशीलता की आवश्यकता है। यह रातोंरात नहीं होगा और इसके लिए बहुत काम करना होगा।”
2012 के दिल्ली गैंग रेप केस ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस मामले ने देश के लोगों को महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर एक साथ मिलकर खड़ा कर दिया था। इसके बाद राजधानी दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई तरह के उपाय किए गए। तत्कालीन आपराधिक कानून में संशोधन करके कई बदलाव किये गए। इसके लिए सरकार ने भी कई कदम उठाए। बावजूद इसके उनके प्रति अपराध की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं। साल दर साल आपराधिक मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। अपराधियों के हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं। अपराधियों में कानून का खौफ कम हो गया है। बढ़ते आपराधिक मामले गंभीर संकेत दे रहे हैं। इनको कम करने के लिए कानून का खौफ अपराधियों में बढ़ाना पड़ेगा। वरना स्थिति बदतर हो जाएगी।
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तस्वीर साभार: NPR