कहते हैं कि मां का दूध बच्चे को केवल पोषण ही नहीं देता है, बल्कि वह बच्चे के स्वस्थ्य जीवन की बुनियाद को मज़बूत करने में एक अहम भूमिका निभाता है। डॉक्टर्स के अनुसार, जन्म के आधे घंटे के भीतर मां का पहला गाढ़ा दूध बच्चे के लिए पीना बहुत ज़रूरी है। हालांकि, अलग-अलग कारणों से भारत में बड़ी संख्या में बच्चों को यह दूध नसीब नहीं हो पाता है।
इस चुनौती से निपटने के लिए दुनियाभर में इन बच्चों को दूध मुहैया हो पाए इसके लिए मदर मिल्क बैंक खोले गए हैं। जहां मां का दूध ठीक उसी तरह मिलता है, जिस तरह हम ब्लड बैंक में जाकर खून लेते हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकार ऐसे मिल्क बैंक बनाने के लिए फंड भी मुहैया करवाती है।
दुनिया के कई देशों ने इस सराहनीय पहल पर काम करते हुए भारत में भी ह्यूमन मिल्क बैंक खोले गए हैं। भारत में भी कई राज्यों में ह्यूमन मिल्क बैंक को खोला गया है और कई राज्यों में बनाने की योजना पर विचार किया जा रहा है। ऐसे में हम सबको ये पता होना चाहिए कि क्या है ह्यूमन मिल्क बैंक? ये बैंक कैसे काम करते हैं और इसमें मिल्क डोनेशन की प्रक्रिया क्या होती है।
क्या है ह्यूमन मिल्क बैंक?
ह्यूमन मिल्क बैंक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में कई जगहों पर मौजूद होती है। साथ ही कई जगहों पर सरकारों द्वारा भी इसे शुरू किया गया है। इन मिल्क बैंकों द्वारा नवजात शिशुओं के लिए मां का दूध उपलब्ध करवाया जाता है। ये उन लोगों के लिए एक बेहद ज़रूरी सुविधा है जो किसी कारणवश अपने बच्चों को दूध नहीं पिला पाती हैं।
संयुक्त राष्ट्र बाल सुरक्षा कोष के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था को नवजात शिशु की मृत्यु होने से 14 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है। अगर 0 महीने से लेकर 23 महीने तक लगातार बच्चे को मां का दूध पिलाया जाए तो इससे हर साल वैश्विक स्तर पर 80, 0000 बच्चों को जीवन दान दिया जा सकता है।
दूध को 6 महीने तक स्टोर करके रखते हैं। दो तरह की महिलाएं यहां दूध का दान कर सकती हैं एक वे जो जिनकी इच्छा दान करने की हो और दूसरी वे जो अपने बच्चों को दूध नहीं पिला सकतीं, जिनके बच्चे स्तन से दूध नहीं पीते हैं। इसलिए उनके लिए दूध का दान करना एक अच्छा विकल्प भी है और कुछ अच्छा करने का मौका भी। ज़रूरतमंद बच्चों का चयन करने में, दूध संरक्षित करने और प्रदान करने के लिए सभी ज़रूरी सुरक्षा प्रोटोकॉल और प्रक्रियाएं सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार पूरी की जाती हैं। ह्यूमन मिल्क बैंक के उद्देश्य में शिशु मृत्यु दर की बढ़ती दर में कमी लाना, मातृ मृत्यु दर में भी कमी लाना शामिल है।
क्या कहती हैं रिपोर्ट्स
संयुक्त राष्ट्र बाल सुरक्षा कोष के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था को नवजात शिशु की मृत्यु होने से 14 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है। अगर 0 महीने से लेकर 23 महीने तक लगातार बच्चे को मां का दूध पिलाया जाए तो इससे हर साल वैश्विक स्तर पर 80, 0000 बच्चों को जीवन दान दिया जा सकता है। आंकड़ों के मुताबिक 99, 499 नवजात शिशु दस्त और निमोनिया से मर जाते हैं जिसका मुख्य कारण होता है अपर्याप्त स्तनपान। हर वर्ष चीन, भारत, ब्राजील, मेक्सिको और इंडोनेशिया में अपर्याप्त स्तनपान की वजह से 23, 6000 बच्चे काल के मुंह में समा जाते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि केवल दूध न मिलने पर कितने बच्चों की मौत हो सकती हैं या हो जाती है।
फेमिनिज़म इन इंडिया से बातचीत करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जे.ए. जयलाल जी ने कहा, “हम मानते हैं कि मां का दूध सबसे उपयोगी है लेकिन कई बार महिलाएं बच्चों को दूध पिलाने में असमर्थ होती हैं। इस स्थिति में स्तन के दूध को इकट्ठा करके स्टोर किया जा सकता है। इसका मतलब है कि ह्यूमन मिल्क बैंक को देश भर में सफलतापूर्वक ओपन किया जा रहा है। दूसरी सबसे अच्छी बात यह है कि डीवाई पटेल मेडिकल कॉलेज में महिलाएं ब्रेस्ट मिल्क का दान दे सकतीं है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के रूप में हम इस तकनीक का उपयोग करने के लिए लोगों से जुड़ रहे हैं। इससे दूध पाउडर और कृत्रिम भोजन के अनावश्यक उपयोग में कमी आएगी। पहले छह महीने में एक बच्चा स्तन का दूध प्राप्त करने में सक्षम हो सकता है यह एक अच्छा स्रोत है।”
मिल्क डोनेशन की प्रक्रिया
मदर मिल्क बैंक में दूध दान करने वाली महिलाओं की सबसे पहले एचआईवी/एचबीएसएजी/डब्लूबीआरएल की जांच होती है।
जांच रिपोर्ट सही आने पर महिला से लिखित में अनुमति ली जाती है। माइनस 20 डिग्री पर दूध को स्टोर किया जाता है, ताकि करीब छह माह तक दूध खराब न हो।
फेमिनिज़म इन इंडिया से बातचीत करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जे.ए. जयलाल जी ने कहा, “हम मानते हैं कि मां का दूध सबसे उपयोगी है लेकिन कई बार महिलाएं बच्चों को दूध पिलाने में असमर्थ होती हैं। इस स्थिति में स्तन के दूध को इकट्ठा करके स्टोर किया जा सकता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के रूप में हम इस तकनीक का उपयोग करने के लिए लोगों से जुड़ रहे हैं। इससे दूध पाउडर और कृत्रिम भोजन के अनावश्यक उपयोग में कमी आएगी। पहले छह महीने में एक बच्चा स्तन का दूध प्राप्त करने में सक्षम हो सकता है यह एक अच्छा स्रोत है।”
भारत में किन राज्यों में है ह्यूमन मिल्क बैंक
भारत में आज अलग-अलग मिल्क बैंक कई स्तरों पर काम कर रहे हैं। अगर कुछ विशेष मिल्क बैंकों की हम बात करें तो साल 2017 में लेडी हार्डिंग कॉलेज में वात्सल्य मातृ अमृत कोष नामक एक ह्यूमन मिल्क बैंक की स्थापना की गई। यह वात्सल्य मातृ अमृत कोष भारत और नॉर्वे के बीच साझेदारी का परिणाम है। उसके बाद यशोदा ह्यूमन मिल्क बैंक की स्थापना हुई। उसके बाद पंजाब राव देशमुख मेडिकल कॉलेज, अमरावती में मध्य भारत का पहला ह्यूमन मिल्क बैंक स्थापित किया गया। भारत में मौजूद कुछ ह्यूमन मिल्क बैंकों की सूची:
- दिव्या मदर मिल्क बैंक, उदयपुर, राजस्थान
- लोकमान्य तिलक अस्पताल (सायन अस्पताल), सायन, मुंबई
- दीना नाथ मंगेशकर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, पुणे
- एसएसकेएम अस्पताल, कोलकाता
- बाल स्वास्थ्य संस्थान, एग्मोर, चेन्नई
- किंग एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पिटल (केईएम), परेल, मुंबई
- अमारा मिल्क बैंक (फोर्टिस ला फेम के सहयोग से), ग्रेटर कैलाश, नई दिल्ली
- सर जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, भायखला, मुंबई
- कामा अस्पताल, किला, मुंबई
- किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), उत्तर प्रदेश, लखनऊ