पिछले हफ्ते मुंबई में एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आईपीसी की धारा 354 को अपराध के मामले में जेंडर न्यूट्रल माना है। साथ ही अन्य महिला की मॉडेस्टी भंग करने के लिए तीन बच्चों की माँ को दोषी ठहराया और उसे एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने रेखांकित किया कि आईपीसी की धारा 354 ‘यौन अपराध नहीं’ है, लेकिन ‘आपराधिक बल और हमला’ के अध्याय के तहत आता है। इसके आवश्यक अवयवों में एक महिला की लज्जा भंग करने के इरादे या जानकारी के साथ आपराधिक बल का उपयोग करना शामिल है। इस उदाहरण के साथ एक 38 वर्षीय महिला को एक अन्य महिला की लज्जा भंग करने के आरोप में दोषी पाते हुए एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई।
इस मामले में मुंबई की एक तीन बच्चों की माँ का सर्वाइऴर के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा था, जो कि उसकी पड़ोसी भी थी। एक दिन उसने सबके सामने सर्वाइवर के साथ झगड़ा किया और सरेआम उसके कपड़े फाड़ दिए थे, जिससे सर्वाइवर सार्वजनिक रूप से लगभग नग्न हो गई थी। इतना ही नहीं दोषी महिला ने अपने पति को सर्वाइवर के साथ बलात्कार करने के लिए भी उकसाया था।
अदालत ने विशेष रूप से कहा कि धारा 354 सभी व्यक्तियों पर समानता का संचालन करती है चाहे फिर वह पुरुष हो या महिला और यह नहीं कहा जा सकता है कि महिलाओं को इस धारा के तहत किसी भी सजा से छूट दी गई है। न्यायालय ने इस मामले में एक ‘यौन अपराध’ और ‘एक आपराधिक बल’ और एक ‘व्यक्ति पर हमले’ के बीच अंतर पर प्रकाश डाला गया। साथ ही मूल्यांकन किया कि आईपीसी की धारा 354 आपराधिक बल और हमले की श्रेणी में आती है न कि यौन अपराध की। इस प्रकार अदालत ने आरोपी महिला को धारा 354 और 323 के अंतर्गत कई लोगों के सामने अपनी सर्वाइवर पड़ोसन की नाइट ड्रेस फाड़कर उसकी लज्जा भंग करने का दोषी ठहराया। अदालत ने यह भी कहा कि एक महिला दूसरी महिला की लज्जा भंग कर सकती है और केवल यह तथ्य कि वह खुद एक महिला है इस कारण किसी अन्य महिला की लज्जा भंग करने में असमर्थ है, सही नहीं है।
प्रश्न यह है कि क्या एक महिला दूसरी महिला की लज्जाल भंग कर सकती है? इसका उत्तर है- हां, धारा 354 एक जेंडर न्यूट्रल कानून है जिसका अर्थ है कि एक महिला भी दूसरी महिला की लज्जा भंग कर सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि धारा 354 में “जो कोई भी हमला करता है या आपराधिक बल का उपयोग करता है….” का उल्लेख है। ‘जो कोई’ शब्द में एक पुरुष या एक महिला दोनों शामिल है।
कोर्ट ने क्या कहा?
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि महिला ने स्पष्ट रूप से सर्वाइवर पर आपराधिक बल का इस्तेमाल किया था और इसे चश्मदीद गवाहों द्वारा साबित भी किया गया। अदालत ने आगे कहा कि आरोपी महिला को पता था कि उसके कृत्यों से सर्वाइवर की मर्यादा भंग होगी। सर्वाइवर को पीटकर और उसकी नाइटी फाड़कर आरोपी ने उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन किया है।
कोर्ट द्वारा धारा 354 की व्याख्या
मजिस्ट्रेट ने अपने फैसले में कहा कि एक पुरुष और एक महिला दोनों भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत आवश्यक इरादे या जानकारी के साथ अपराध कर सकते हैं। अदालत ने आगे कहा कि आईपीसी की धारा 354 में उल्लिखित सर्वनाम ‘he’ की व्याख्या आईपीसी की धारा 8 के आधार पर पुरुष या महिला के रूप में की जा सकती है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि आईपीसी की धारा 354 के तहत, एक पुरुष के साथ-साथ एक महिला को भी किसी महिला पर हमला करने या आपराधिक बल का उपयोग करने के इरादे या ज्ञान के साथ दोषी ठहराया जा सकता है।
अदालत ने विशेष रूप से कहा कि धारा 354 सभी व्यक्तियों पर समानता का संचालन करती है चाहे फिर वह पुरुष हो या महिला और यह नहीं कहा जा सकता है कि महिलाओं को इस धारा के तहत किसी भी सजा से छूट दी गई है। न्यायालय ने इस मामले में एक ‘यौन अपराध’ और ‘एक आपराधिक बल’ और एक ‘व्यक्ति पर हमले’ के बीच अंतर पर प्रकाश डाला गया। साथ ही मूल्यांकन किया कि आईपीसी की धारा 354 आपराधिक बल और हमले की श्रेणी में आती है न कि यौन अपराध की।
आरोपी को ‘न्यूनतम सजा‘ क्यों दी गई?
इस मामले में, अदालत ने दोषी महिला को न्यूनतम एक साल की ही सजा सुनाई, जबकि इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में अधिकतम सजा 5 साल की थी। अदालत ने आरोपी महिला पर छह हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने कहा कि आरोपी के तीन बच्चे हैं और सबसे छोटे बच्चे की उम्र महज 1.5 साल है, इसलिए उसे इस धारा के तहत निर्धारित न्यूनतम सजा ही दी गई।
साल 2020 में दिल्ली की एक अदालत ने सोनू पंजाबन के मामले में भी महिला की मर्यादा भंग करने के आरोप में उसे दोषी ठहराते हुए कहा था कि एक महिला की मॉडेस्टी उसकी आत्मा के साथ है। एक महिला इतने भयावह तरीके से किसी दूसरी महिला की मॉडेस्टी भंग कैसे कर सकती है, जो कि नाबालिग भी है। सोनू पंजाबन ने न केवल सर्वाइवर लड़की को वेश्यावृत्ति के लिए खरीदा था, बल्कि उससे ऐसा करवाने के लिए और अपने सामने आत्मसमर्पण करने के लिए उसके साथ क्रूरता का व्यवहार भी किया था।
भारतीय दंड संहिता, 1960 की धारा 354
हाल के वर्षों में महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध तेजी से बढ़े हैं। महिलाओं के खिलाफ एक ऐसा अपराध जिसने अत्यधिक आघात और संकट पैदा किया है, वह है महिला की मर्यादा/लज्जा भंग करना। इस अपराध को भारतीय दंड संहिता, 1960 की धारा 354 के तहत परिभाषित किया गया है।
महिला की मर्यादा भंग करने के अपराध को भारतीय दंड संहिता, 1960 की धारा 354 के तहत परिभाषित किया गया है। इसे ज्यादातर भारतीय दंड संहिता, 1960 की धारा 509 के साथ पढ़ा जाता है, जो इस अपराध की विस्तृत और व्यापक परिभाषा प्रदान करती है। धारा 354 के तहत किसी महिला का यौन उत्पीड़न, मारपीट, उसके अभिमान को ठेस पहुंचाना शामिल है। अगर कोई शख्स ये जानते हुए भी किसी महिला के साथ मारपीट करता है, यौन उत्पीड़न करता या उसकी लज्जा भंग करता है तो उसे सेक्शन 354 के तहत संज्ञेय अपराध माना जाता है। इस अपराध में कम से कम 1 साल की सजा है और अधिकतम पांच साल कि सजा है। शब्द ‘मॉडेस्टी (लज्जा)’ को संहिता में परिभाषित नहीं किया गया है।
इस धारा का उद्देश्य दूसरों के किसी भी अभद्र व्यवहार से महिलाओं की रक्षा करना है जो नैतिकता के लिए अपमानजनक है और महिलाओं की गरिमा को नुकसान पहुंचाती है। यह खंड सभी के सार्वजनिक नैतिकता और सभ्य व्यवहार की रक्षा करना चाहता है। आईपीसी की धारा 354 के तहत किसी व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिए अभियोजन पक्ष को उचित संदेह से परे साबित करना होता है कि
- किसी महिला पर हमला किया गया है, या उस पर आपराधिक बल का प्रयोग किया गया है,
- हमले या आपराधिक बल का लक्ष्य एक महिला है,
- किया गया हमला एक महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से किया गया था या यह जानते हुए कि यह संभावना थी कि उसकी लज्जा भंग की जाएगी।
एक दशक से अधिक समय से, अदालतों ने ‘विनम्रता’ शब्द की सटीक परिभाषा के बिना “महिलाओं की मर्यादा भंग करने” के अपराध के लिए कई अपराधियों को सजा देने की पूर्ण कोशिश की है। कानून की नज़र में एक महिला, चाहे उसकी उम्र कुछ भी हो, मॉडेस्टी रखती है। इसका तात्पर्य यह है कि एक दिन की बच्ची में भी मॉडेस्टी है जो अपमानित होने में सक्षम है। एक महिला की लज्जा का अपमान तब होता है जब अपराधी का कृत्य स्त्री की शालीनता और गरिमा को ठेस पहुंचाता है। कोई भी कार्य जो लज्जा, शालीनता और स्त्रीत्व के प्रति प्रतिकूल है, एक महिला की लज्जा का अपमान है।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब राज्य बनाम मेजर सिंह के मामले में स्त्री की लज्जा को लेकर टिपण्णी की थी कि चाहे “युवा हो या बूढ़ी, बुद्धिमान हो या मूर्ख, जागती हो या सोई हुई, महिला में एक मॉडेस्टी होता है जो भंग की जा सकती है। जो कोई भी उसकी लज्जा भंग करने के इरादे से उसके साथ आपराधिक बल का प्रयोग करता है, वह आईपीसी की धारा 354 के तहत दंडनीय अपराध करता है। किसी भी मामले में आरोपी का आपराधिक इरादा मामले की जड़ है। इस तरह के निष्कर्ष केवल एक विवेकपूर्ण, उचित व्यक्ति द्वारा ही निकाले जा सकते हैं।
क्या एक महिला दूसरी महिला की लज्जा भंग कर सकती है?
प्रश्न यह है कि क्या एक महिला दूसरी महिला की लज्जाल भंग कर सकती है? इसका उत्तर है- हां, धारा 354 एक जेंडर न्यूट्रल कानून है जिसका अर्थ है कि एक महिला भी दूसरी महिला की लज्जा भंग कर सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि धारा 354 में “जो कोई भी हमला करता है या आपराधिक बल का उपयोग करता है….” का उल्लेख है। ‘जो कोई’ शब्द में एक पुरुष या एक महिला दोनों शामिल है। इस धारा का आवश्यक अंग स्त्री की लज्जा भंग करना है। इस प्रकार, इस अपराध के लिए एक व्यक्ति को उत्तरदायी ठहराने के लिए प्रत्येक मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाता है। इसलिए धारा 354, सभी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होती है, चाहे वह पुरुष हो या महिला और यह नहीं कहा जा सकता है कि महिलाओं को इस धारा के तहत किसी भी सजा से छूट दी गई है, ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 14 के प्रावधानों का उल्लंघन करेगा।