इंटरसेक्शनलजेंडर सस्टेनेबल फैशन में महिलाओं द्वारा संचालित लघु उद्योगों का श्रेय खाती बड़ी कंपनियां

सस्टेनेबल फैशन में महिलाओं द्वारा संचालित लघु उद्योगों का श्रेय खाती बड़ी कंपनियां

आम शब्दों में समझा जाए तो यह ऐसा फैशन है जो इस तरह से रचित, उत्पादित और वितरित होता है जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे। यह लंबे समय तक चलने वाले कपड़े होते हैं और इन्हें रिसाइकल (इस्तेमाल की गई चीजों का दोबारा से इस्तेमाल) किया जा सकता है।

फैशन उद्योग हमेशा से ही हमारी अर्थव्यवस्था में एक बड़ा हिस्सा है। इसका मूल्य 2.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है और इससे दुनिया भर में 75 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। बीते कुछ समय से साल दर साल से कपड़ों के उत्पादन में भीषण वृद्धि हुई है। यह वृद्धि लगभग दोगुनी देखी गई। इसी वजह से फास्ट फैशन के दौर में फैशन इंडस्ट्री पर्यावरण के लिए खतरा भी बन रही है। इसी खतरे से फैशन उद्योग को बदलने की प्रेरणा मिलीं जिसका विकल्प सस्टेनेबल फैशन के उत्पाद के रूप में हमारे सामने है। पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाया गया ये कदम बाजार के लिए भले ही नया हो लेकिन महिलाएं शुरुआत से ही इस दिशा में काम करती आ रही हैं।  

सस्टेनेबल फैशन का अर्थ और बाजार 

सस्टेनेबल फैशन से तात्पर्य है कि ऐसे कपड़ो का निर्माण करना जिसका पर्यावरण पर बहुत कम नकारात्मक प्रभाव पड़े। इसमें टिकाऊ सामग्री का उपयोग किया जाएं। इसके निर्माण में कचरे का कम उत्पादन शामिल हो। आम शब्दों में समझा जाए तो यह ऐसा फैशन है जो इस तरह से रचित, उत्पादित और वितरित होता है जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे। यह लंबे समय तक चलने वाले कपड़े होते हैं और इन्हें रिसाइकल (इस्तेमाल की गई चीजों का दोबारा से इस्तेमाल) किया जा सकता है। सस्टेनेबल फैशन मार्किट की अवधारणा भारत में अभी शुरुआती दौर में है लेकिन इसके बावजूद यह बहुत तेज़ी से प्रगति कर रही है। 

हम अपने इतिहास पर नज़र डालें तो हमें ज्ञात होता है कि महिलाएं हमेशा से सस्टेनेबल फैशन की दुनिया में काम करती आ रहीं हैं। हाथ से बनाए गए कपड़े और कपड़ों की बुनाई ‘औरतों के पेशे’ में से एक है। इसमें खादी, कपास के लघु कुटीर उद्योग शामिल हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार पर्यावरण संबंधित मुद्दों को कई भारतीय डिजाइनरों एवं ब्रांडों ने सतत विकास की ओर कदम बढ़ाया है। सस्टेनेबल फैशन का बाजार भारत में अपेक्षित रूप से 2021-2026 के दौरान 10.6% सीएजीआर (कम्पाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट) होने का अनुमान है। रिसर्च एंड मार्केट्स की एक रिपोर्ट बताती है कि फैशन बाजार की विकास दर उपभोक्ताओं के जागरूक होने से, सरकार द्वारा की गई पहल और सतत फैशन को बनाने वाली सामग्री की उपलब्धता की वजह से बढ़ी है। 

द राउंड अप के अनुसार सस्टेनेबल फैशन उद्योग बाजार की वर्तमान में वैल्यू 6.5 बिलियन यूएस डॉलर है। इसके 2025 तक 10.1 यूएस बिलियन होने का अनुमान है जो 2030 तक 15 बिलियन यूएस डॉलर तक पहुंचना अपेक्षित है। इस उद्योग की वार्षिक विकास दर 8.3 प्रतिशत है। यह उद्योग तेजी से बढ़ता उद्योग है। सस्टेनेबल फैशन के वैश्विक बाजार में एशिया प्रशांत का 36 फीसदी बाजार है।   

तस्वीर साभारः Fashionisers

सस्टेनेबल फैशन इंडस्ट्री में महिलाओं की भागीदारी 

इंडियन डेवलपमेंट रिव्यू के एक रिसर्च पेपर के अनुसार भारतीय कपड़ा और परिधान उद्योग में 45 मिलियन लोग काम करते हैं जिनमें से 60 प्रतिशत महिलाएं हैं। सस्टेनेबल फैशन उद्योग को बढ़ाने में भी महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा कार्यरत है। अगर हम अपने इतिहास पर नज़र डालें तो हमें ज्ञात होता है कि महिलाएं हमेशा से सस्टेनेबल फैशन की दुनिया में काम करती आ रहीं हैं। हाथ से बनाए गए कपड़े और कपड़ों की बुनाई “औरतों के पेशे” में से एक है। इसमें खादी, कपास के लघु-कुटीर उद्योग शामिल हैं। जो सस्टेनेबल फैशन इंडस्ट्री के अनुकूल है। हाथ की कढ़ाई का काम लगभग हमेशा घरेलू महिला कामगारों को सौंपा जाता है। न्यूज ऑन एयर डॉटकॉम में छपे लेख के अनुसार खादी ग्रामोद्योग के 4 लाख 90 हज़ार कारीगरों में 80 प्रतिशत महिलाएं हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि महिलाएं पर्यावरण के हित में उत्पादनों में ज्यादा सक्रिय हैं। 

घर-घर में पारंपरिक तरीके सें सतत फैशन का निर्माण करने वाली महिलाओं के उत्पादकों पर बड़ी-बड़ी कंपनियां अपना ब्रांड स्थापित कर रही हैं। ये ब्रांड कई गुना मुनाफा कमाते हैं। छोटे-कुटीर उद्योगों पर काम करने वाले लोगों को जबकि उनकी मेहनत का कुछ ही प्रतिशत मिलता है। 

वर्तमान समय में सोशल मीडिया ने सस्टेनेबल फैशन इंडस्ट्री में महिलाओं के योगदान को बढ़ाने में सहायता प्रदान की है। ये उद्योग गुणवत्ता से युक्त उत्पाद का निर्माण करते है और अपने उपभोक्ताओं को न केवल टिकाऊ बल्कि रचनात्मक रूप से अच्छा उत्पाद प्रदान करते हैं। सूचना-तकनीक की वजह से महिलाएं कुटीर उद्योग के तहत पर्यावरण के अनुकूल हस्तशिल्प कलाओं की बनी सामग्री और कपड़ों को अपने स्तर पर बेच रही हैं। 

लघु और कुटीर उद्योगों का श्रेय खातीं बड़ी कंपनियां

तस्वीर साभारः The Hans India

लघु और कुटीर उद्योग बहुत पहले से ही सस्टेनेबल फैशन की दिशा में काम कर रहे है। लघु उद्योग वे उद्योग कहलाते हैं जिनमें विनिर्माण, उत्पादन और सेवाओं का प्रतिपादन छोटे रूप से होता है। यह उद्योग सस्टेनेबल फैशन को हमेशा से ही बढ़ावा देते आए हैं। इन उद्योगों में पर्यावरण के अनुकूल और रिसाइकल होने वाली चीजें बनती है। इसके निर्माण का मुख्य लक्ष्य पर्यावरण को सुरक्षा प्रदान करते हुए बाजार बनाना है। महिलाएं शुरू से लेकर अबतक सबसे ज्यादा इससे जुड़ी हुई हैं। 

पृथ्वी पर मंडराते जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करने के लिए सस्टेनेबल फैशन का बाजार लगातार बढ़ रहा है। बाजार में इसका रूप लगातार बढ़ते जाने की ही संभावनाएं हैं लेकिन इन उद्योगों के मुख्य कारीगार, महिलाएं एक सीमित स्तर तक ही अपने काम को बढ़ा पाती है। दूसरी ओर बड़ी कंपनियां अपने प्रभाव और प्रसार के दम इन कारीगारों की मेहनत के दम पर कई गुना मुनाफ़ा कमाती है। घर-घर में पारंपरिक तरीके सें सतत फैशन का निर्माण करने वाली महिलाओं के उत्पादकों पर बड़ी-बड़ी कंपनियां अपना ब्रांड स्थापित कर रही हैं। ये ब्रांड कई गुना मुनाफा कमाते हैं। छोटे-कुटीर उद्योगों पर काम करने वाले लोगों को जबकि उनकी मेहनत का कुछ ही प्रतिशत मिलता है। 

हाथ को कढ़ाई का काम लगभग हमेशा घरेलू महिला कामगारों को सौंपा जाता है। न्यूज ऑन एयर डॉटकॉम में छपे लेख के अनुसार खादी ग्रामोद्योग के 4 लाख 90 हज़ार कारीगरों में 80 प्रतिशत महिलाएं हैं।

फास्ट फैशन के दौर में तो कई विषम परिस्थितियों में महिलाएं इस इंडस्ट्री में काम कर रही हैं। महिलाओं को वेतन उनकी मेहनत के अनुसार नहीं दिया जाता है। महिलाओं को सस्ते श्रम के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। सस्टेनेबल फैशन इंडस्ट्री में महिला कारीगरों की काफी संख्या है लेकिन कार्यबल में उनके श्रम को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है। बावजूद इसके महिलाएं अपने योगदान से फैशन उद्योग को सस्टेनेबल बनाने वाली योजनाओं में शामिल है। जो हमारे पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक स्थिति दोनों को ही उभारने का काम कर रहा है। इस तरह से महिलाएं अपनी कला के माध्यम से पर्यावरण और फैशन दोनों साथ-साथ चलें इसके प्रयास में योगदान दे रही हैं।


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