समाजविज्ञान और तकनीक लैंगिक हिंसा का एक और विस्तृत रूप है ‘टेक अब्यूज़’

लैंगिक हिंसा का एक और विस्तृत रूप है ‘टेक अब्यूज़’

स्मार्टफोन और टेबलेट जैसे सामान्य उपकरणों का इस्तेमाल कर उनका पीछा करने, धमकी देने, नज़र बनाए रखने, लोकेशन ट्रैक करने, रिवेज पोर्नोग्राफी के लिए किया जाता है।

महिलाओं के ख़िलाफ़ नफ़रत और हिंसा से भरी सोच की वजह से हर तकनीक भी उनके ख़िलाफ़ इस्तेमाल की जाने लगती है है। इसी का एक स्वरूप तकनीक दुरुपयोग है। वर्तमान के समय में तकनीक किसी भी व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तकनीक के माध्यम से एक जगह पर बैठे-बैठे तमाम तरह की सुविधा ले सकते हैं। लेकिन तकनीक का इस्तेमाल हर जेंडर के लिए समान नहीं है। जहां एक के लिए यह दूसरे के ख़िलाफ़ किया जाने वाला हथियार भी है। ख़ासतौर पर लैंगिक आधार बनाकर तकनीक आधारित हिंसा में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है जिसमें महिलाओं, विकलांग और ट्रांस समुदाय के लोगों को इसका सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है। तकनीक और हिंसा के आने वाले समय में बहुत भयंकर प्रभाव हो सकते है।

टेक अब्यूज़ (तकनीकी दुर्व्यवहार) क्या है?

बढ़ती तकनीक दुर्व्यवहार करने वालों और पीछा करने वालो के लिए एक अवसर बनती जा रही है। तकनीकी दुरुपयोग, डिजिटल तकनीक का गलत इस्तेमाल है जिसके द्वारा जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति को नियंत्रित करने, मजबूर करने, धमकी देने या नुकसान पहुंचाने के लिए किया जाता है। मोटे तौर पर डिजिटल डिवाइस, नेटवर्क या सर्विस के द्वारा कोई भी खतरनाक या हानिकारक व्यवहार शामिल है। इसमें शारीरिक हिंसा, आर्थिक हिंसा और लैंगिक हिंसा शामिल है।

क्वीन्सलैंड सरकार की घरेलू और पारिवारिक हिंसा मृत्यु पर आधारित एक रिपोर्ट के अनुसार तकनीक से पीछा करना और नकली सोशल मीडिया पहचान का इस्तेमाल करके घरेलू हिंसा के हत्या के मामलों में बहुत आसानी से इस्तेमाल किया जाने लगा है।

महिलाओं के ख़िलाफ़ तकनीक का इस्तेमाल घरेलू हिंसा, पीछा करना, यौन उत्पीड़न, अंतरंग साथी हिंसा में किया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि ऑनलाइन जगहों पर 95 फीसदी आक्रामक व्यवहार, उत्पीड़न, अपमानजनक भाषा, तस्वीरें महिलाओं को केंद्रित करके जारी की जाती है और वर्तमान या पूर्व पुरुष साथी के द्वारा जारी की जाती है। डोमेस्टिक अब्यूज़ चैरिटी रिफ्यूज के मुताबिक़ 2019 में उनकी सेवाओं तक पहुंचने वाली 72 फीसदी महिलाओं का कहना था कि उन्होंने तकनीकी आधारित दुर्व्यवहार का सामना किया है। स्मार्टफोन और टेबलेट जैसे सामान्य उपकरणों का इस्तेमाल कर उनका पीछा करने, धमकी देने, नज़र बनाए रखने, लोकेशन ट्रैक करने, रिवेज पोर्नोग्राफी के लिए किया जाता है। कुछ समूह ने यह भी कहा है कि इंटरनेट से जुड़े घरेलू उपकरणों जैसे समार्ट स्पीकर के बढ़ते उपयोग से अपराधियों को पीड़ितों को नुकसान पहुंचाने के लिए व्यापक और अधिक घातक सिद्ध हो सकते है। 

मोबाइल फोन और ऑनलाइन तकनीक से घरेलू हिंसा के अपराधी सर्वाइवर और अन्य लोगों की स्वतंत्रता को नियंत्रित और प्रतिबंधित करने का काम करते हैं। क्वीन्सलैंड सरकार की घरेलू और पारिवारिक हिंसा मृत्यु पर आधारित एक रिपोर्ट के अनुसार तकनीक से पीछा करना और नकली सोशल मीडिया पहचान का इस्तेमाल करके घरेलू हिंसा के हत्या के मामलों में बहुत आसानी से इस्तेमाल किया जाने लगा है।

तकनीक के सहारे लैंगिक हिंसा

तस्वीर साभारः Socialist and Democrats

कई शोध यह उजागर कर चुके है कि घरेलू हिंसा और पीछा करने में सोशल मीडिया की भूमिका रही है। इससे छह में से एक ऑस्ट्रेलियन महिला और 19 में से एक पुरुष इससे जीवन में कभी न कभी अवश्य प्रभावित हुए है। डोमेस्टिक एंड फैमिली वायलेंस वर्कर्स पर हुए एक नैशनल सर्वे के अनुसार 546 प्रतिभागियों में से 98 फीसदी ने बताया है कि उनके ग्राहकों तकनीक आधारित पीछा और दुर्व्यवहार का सामना किया। महिलाओं से नफरत करने वाला साइबर स्पेस तेजी बढ़ रहा है। इस वजह से महिलाओं को बिना किसी कारण के अपनी लैंगिक पहचान की वजह से भी धमकी, आक्रामक और हिंसक भाषा का सामना करना पड़ता है।

कोविड-19 महामारी के बाद से तकनीक के द्वारा हिंसा का दुरुपयोग में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। द वीमन सर्विस नेटवर्क में प्रकाशित जानकारी के अनुसार विकलांग महिलाओं के साथ तकनीक के आधार पर होने वाले लैंगिक और इंटिमेट पार्टनर वायलेंस होने का ज्यादा खतरा रहता है। विकलांग महिलाओं ने अपने पुरुष समकक्षो से (15प्रतिशत), इंटिमेट पार्टनर वायलेंस (25 प्रतिशत) के लैंगिक शोषण की सूचना दी है। रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न में तकनीक दुरुपयोग में अश्लील संदेश प्राप्त करना, ऑनलाइन अकांउट का गलत इस्तेमाल, उनकी सहमति के बिना सेक्सुअल नेचर की तस्वीर और वीडियो जारी करना आदि शामिल होता है। विकलांग महिलाओं के साथ इस तरह का व्यवहार करने वाला उनका इंटिमेट पार्टनर या पहचान वाला ही शामिल था।   

लगातार बढ़ता जोखिम

फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए रितिका बैनर्जी।

जिस तरह से तकनीक तेजी से विकसित हो रही है उस तरह से तकनीक और उसके दुरुपयोग का इस्तेमाल भी बढ़ता जा रहा है। तकनीकी कंपनियां और डिजिटल मीडिया बिना किसी यूजर पर पढ़ने वाले इस प्रभाव को नज़रअंदाज कर उपकरणों को डिजाइन कर रहे हैं। द कंवरशेसन में प्रकाशित लेख के मुताबिक़ साल 2020 तक गूगल ने स्पाइवेयर और स्टॉकवेयर ने फोटो, वीडियो, टेक्स्ट, कॉल और अन्य जानकारी की निगरानी और रिकॉर्ड करने के लिए गुप्त रूप से इंस्टॉल किए जाने वाले प्लेटफॉर्म पर स्वतंत्र रूप से प्रचारित किया। बाद में बढ़ते सबूतों के साथ इसने विज्ञापनों पर रोक लगाई थी क्योंकि इस तरह के सॉफ्टवेयर इंटिमेट पार्टनर वायलेंस को बढ़ावा देते है। 

इसी तरह अप्रैल 2021 में एप्पल ने एयर टैग नामक एक सिक्के की टाइल जारी की थी जिसका उद्देश्य लोगों को ब्यूटूथ के माध्यम से उस पर नज़र रखना था। इसके बाद इंटिमेट पार्टनर द्वारा पीछा करने के लगे आरोपों के बाद ऐप्पल ने उपकरणों को अपडेट किया। ऐप्पल ने उपकरणों को अपडेट किया गया। इसी तरह फेसबुक का स्मार्ट ग्लास (चश्मा) ने भी गोपनीयता से जुड़ी चिंताओं को जन्म दिया है। इस तरह के चश्में में माइक्रोफोन लगे होते है जो रिकॉर्डिंग करने में सक्षम होते हैं। इसके बाद फेसबुक ने यूएस नैशनल नेटवर्क टू एंड डोमेस्टिक वायलेंस से परामर्श लिया हालांकि चिंताएं अभी भी है। 

साल 2020 तक गूगल ने स्पाइवेयर और स्टॉकवेयर ने फोटो, वीडियो, टेक्स्ट, कॉल और अन्य जानकारी की निगरानी और रिकॉर्ड करने के लिए गुप्त रूप से इंस्टॉल किए जाने वाले प्लेटफॉर्म पर स्वतंत्र रूप से प्रचारित किया। बाद में बढ़ते सबूतों के साथ इसने विज्ञापनों पर रोक लगाई थी क्योंकि इस तरह के सॉफ्टवेयर इंटिमेट पार्टनर वायलेंस को बढ़ावा देते है। 

निगरानी और रिकॉर्डिंग करने वाली तकनीक का इस्तेमाल केवल रोजमर्रा की जिंदगी में सर्वाइवर और अन्य लोगों को खतरनाक तरीकें से धमकाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। लैंगिक हिंसा, घरेलू हिंसा, अंतरंग साथी हिंसा के मामलों में दुर्व्यवहार करने वााले के जोखिमों को समझने और कंपनियों द्वारा इस पक्ष पर सक्रिय रूप से सोचने की सबसे ज्यादा आवश्यकता है। इस तरह की घटनाएं दिखाती है कि किस तरह से तकनीक को हथियार बनाकर महिलाओं के जीवन को प्रभावित किया जा रहा है। 

तकनीक के प्रारूप को बदलने की मांग

महिलाओं को निशाना बनाकर लैंगिक हिंसा में सहयोग देने वाली तकनीकी इस्तेमाल और नये मॉडल को इस पक्ष को ध्यान में रखने की आवाज़ उठाई जा रही है। दुनिया भर में टेक बैक द टैक और नारीवाद डिजिटल तकनीक मॉडल को अपनाने की मांग उठाई जा रही है। डिजाइन के माध्यम से प्लेटफॉर्म और इंडस्ट्री घरेलू हिंसा, इंटिमेंट पार्टनर वायलेंस के प्रभावों को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा  सकती है। इस दिशा में अधिक काम कर सकते है और समय के अनुसार करने की आश्यकता भी है।


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