लोकसभा चुनाव के कठिन लड़ाई का सामना करने और मतदाताओं का विश्वास दोबारा हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस ने शुक्रवार को अपना घोषणापत्र जारी किया। गौर करने वाली बात ये है कि इसमें हाशिए पर मौजूद लोगों के लिए कई नीतियों, नई योजनाओं और कानून लाने के वादे किए गए। एक उल्लेखनीय बदलाव जो कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में किया है, वह है कि 2014 तक भी कांग्रेस का घोषणापत्र, में यह नहीं बताया जाता था कि सत्ता में लौटने पर कांग्रेस क्या करेगी।
भाषा में सबसे ज्यादा इस्तेमाल ‘चाहिए’ या देश को क्या करना चाहिए, प्रशासन को क्या करना चाहिए आदि होते थे। आज कांग्रेस के घोषणापत्र ‘न्यायपत्र’ को देखें, तो न सिर्फ तस्वीरों में बल्कि शब्द और भाषा में भी बदलाव है। इस बार कांग्रेस ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने का प्रयास किया है।
शिक्षण और युवाओं से जुड़े वादे
कांग्रेस सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा को अनिवार्य और मुफ्त बनाने की बात कह रही है। बता दें कि मौजूदा राइट टू एजुकेशन अधिनियम 14 साल तक के बच्चों के लिए ही शिक्षा के अधिकार की बात कहती है। मैनिफेस्टो बताता है कि वार्षिक सर्वेक्षणों से स्कूली शिक्षा में सीखने के परिणामों में भारी अंतर का पता चला है। इन कमियों को दूर करने के लिए कांग्रेस तत्काल कदम उठाएंगे और 5 साल के समय सीमा के भीतर बेहतर शिक्षण परिणाम सुनिश्चित करेंगे। लेकिन इसके लिए कोई ठोस रणनीति साफ नहीं है।
कांग्रेस सरकार उन आवेदकों को एक बार की राहत देगी जो कोविड महामारी के कारण 1 अप्रैल 2020 से 30 जून 2021 के दौरान क्वालीफाइंग सार्वजनिक परीक्षा देने में असमर्थ थे। राहत के एक बार के उपाय के रूप में, सभी विद्यार्थियों के शैक्षिक ऋणों के संबंध में 15 मार्च 2024 तक अवैतनिक ब्याज सहित देय राशि को माफ कर दिया जाएगा और बैंकों को सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाएगा। कुछ जरूरी वादों में पाठ्यपुस्तकों में संशोधन मनमाने ढंग से या राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित होकर नहीं करना भी शामिल है।
कांग्रेस ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता बहाल करने की बात कही है। उच्च शिक्षण संस्थानों को शैक्षणिक स्वतंत्रता होगी और उन्हें प्रयोग, नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। विद्यार्थियों के भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निर्वाचित छात्र संघों के अधिकार की रक्षा की बात भी की गई है। ड्रॉपआउट दरों को कम करने के लिए, एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, विमुक्त जनजातियों और अल्पसंख्यकों सहित वंचित समूहों के लिए प्री-मैट्रिक और उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति बढ़ाई जाएगी और पूरी तरह से वित्त पोषित की जाएगी। पिछले दिनों केंद्र सरकार के विभिन्न अल्पसंख्यक छात्रवृत्तियों को बंद किए जाने के बाद अल्पसंख्यक समुदायों में इन निर्णयों से काफी रोष देखने को मिली थी। कहा जा सकता है कि अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर महिलाओं कि इस कदम से राहत मिलने की उम्मीद बनती है।
विपक्ष हमेशा ही रोजगार सृजन और बेरोजगारी पर नरेंद्र मोदी सरकार की तीखी आलोचना करती आई है। विभिन्न पार्टियों ने भी बेरोजगारी को प्रमुख चुनावी मुद्दों में से रखने की कोशिश की है। इस संबंध में कांग्रेस 25 वर्ष से कम आयु के प्रत्येक डिप्लोमा धारक या कॉलेज स्नातक को एक लाख रुपये प्रति वर्ष के वजीफे के साथ एक निजी या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के साथ एक साल की अप्रेंटिसशिप प्रदान करने के लिए अप्रेंटिसशिप का अधिकार अधिनियम लागू किया जाएगा। प्रश्नपत्र लीक से संबंधित मामलों का निपटारा करने और पीड़ितों को आर्थिक मुआवजा देने के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतें स्थापित करने का भी वादा किया है।
महिला केंद्रित योजनाएं
कांग्रेस ने प्रत्येक गरीब भारतीय परिवार को बिना शर्त कैश ट्रांसफर के रूप में प्रति वर्ष 1 लाख प्रदान करने के लिए महालक्ष्मी योजना शुरू करने का संकल्प लिया है। कांग्रेस संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसद आरक्षण तुरंत लागू करने और 2025 से महिलाओं के लिए केंद्र सरकार की 50 फीसद नौकरियां आरक्षित करने का भी वादा करता है। वह सुनिश्चित करेंगे कि न्यायाधीशों, सरकार के सचिवों, उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों, कानून अधिकारियों और सूचीबद्ध कंपनियों के बोर्डों में निदेशकों जैसे उच्च पदों पर अधिक महिलाओं को नियुक्त किया जाए।
वहीं महिलाओं के लिए वेतन में भेदभाव को रोकने के लिए ‘समान काम, समान वेतन’ का वादा भी किया गया है। हालांकि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल से शुरू की गई मनरेगा योजना में भी महिलाओं के वेतन के मामले में सामान वेतन नियम के बावजूद पुरुषों और महिलाओं में अंतर पाया जाता है जिसे कोई भी सरकार मिटा नहीं पाई है। आशा, आंगनवाड़ी, मिड-डे मील रसोइया आदि के वेतन में केंद्र सरकार का योगदान दोगुना करने की बात भी कांग्रेस कर रही है। हालांकि कई अन्य मुद्दों में महज कानून को सख्ती से लागू करने की बात बेमानी लगती है।
LGBTQIA+ समुदाय के जोड़ों के बीच ‘सिविल यूनियन’ की मान्यता
कांग्रेस ने LGBTQIA+ समुदाय से संबंधित जोड़ों के बीच ‘नागरिक संघों’ को मान्यता देने वाला एक कानून लाने का वादा किया। पर यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ‘नागरिक संघ’ या ‘सिविल यूनियन’ शादी के बराबर नहीं है। सिविल यूनियन उस कानूनी स्थिति को संदर्भित करता है जो क्वीयर जोड़ों को विशिष्ट अधिकार प्रदान करती है जो आम तौर पर विवाहित जोड़ों को प्रदान किए जाते हैं। एक नागरिक संघ को पर्सनल लॉ में विवाह के समान मान्यता नहीं है। इससे पहले मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने माइनोरिटी वर्डिक्ट में कहा कि संवैधानिक अधिकारियों को समलैंगिक संबंधों में ‘नागरिक संघों’ को मान्यता देने के लिए एक नियामक ढांचा तैयार करना चाहिए।
बात सामाजिक न्याय की
कांग्रेस ने विशेष रूप से पहले से ही देशव्यापी जाति जनगणना की मांग को पार्टी के अभियान का केंद्रबिंदु बनाया है, जिससे पार्टी के कथित पिछड़े वर्ग के समर्थन को फिर से हासिल करने की उम्मीद है। घोषणापत्र में जाति जनगणना की बात को दोहराया गया है। बता दें कि 1951 से 2011 तक स्वतंत्र भारत में प्रत्येक जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति पर डेटा प्रकाशित किया गया है, लेकिन अन्य जातियों पर नहीं। इससे पहले, 1931 तक हर जनगणना में जाति पर डेटा होता था। हालांकि 1941 में, जाति-आधारित डेटा एकत्र किया गया था लेकिन प्रकाशित नहीं किया गया था।
यह मामला मई 2010 में संसद में दोबारा आया और भाजपा सहित कई दलों ने सर्वसम्मति से इसका समर्थन किया था। मैनिफेस्टो कहती है एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण पर 50 फीसद की सीमा बढ़ाने के लिए एक संवैधानिक संशोधन पारित करेगी, सभी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसद कोटा लागू करेगी। जातियों और समुदायों के बीच भेदभाव किए बिना, आरक्षित पदों पर बैकलॉग रिक्तियों को एक वर्ष के भीतर भरें और एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों के लिए विशेष रूप से उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति के लिए धनराशि दोगुनी करेगी।
पार्टी ने एससी, एसटी और ओबीसी के लिए निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 15 (5) के संदर्भ में एक कानून बनाने का वादा किया। साथ ही रोहित वेमुला के नाम पर एक और कानून बनाने का वादा किया, ताकि छात्रों के साथ होने वाले भेदभाव को संबोधित किया जा सके। शैक्षणिक संस्थानों में उत्पीड़ित और हाशिये के समुदायों, और एक विविधता आयोग स्थापित करने का वादा किया गया है जो सार्वजनिक और निजी रोजगार और शिक्षा में विविधता को मापेगा, निगरानी करेगा और बढ़ावा देगा। पार्टी कहती है कि प्रत्येक मैनुअल स्कैवेंजर्स का पुनर्वास किया जाएगा, कुशल बनाया जाएगा, नौकरी प्रदान की जाएगी और सम्मान और सुरक्षा का जीवन सुनिश्चित किया जाएगा। हालांकि देश में मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 मौजूद है जो केंद्र के साथ-साथ राज्यों पर भी लागू होती है।
पार्टी ने कहा कि वह दूरसंचार अधिनियम, 2023 की समीक्षा करेगी और उन प्रावधानों को हटा देगी जो बोलने की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करते हैं और निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस ने यह सुनिश्चित करने का भी वादा किया है कि पुलिस, जांच और खुफिया एजेंसियां सख्ती से कानून के मुताबिक काम करेंगी। अन्य जरूरी वादों में अग्निपथ योजना को ख़त्म करने, जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा और लद्दाख के जनजातीय क्षेत्रों को शामिल करने के लिए संविधान की छठी अनुसूची में संशोधन करने की बात कही गई है। बहरहाल मैनिफेस्टो में तमाम बड़े, छोटे मुद्दों को संदर्भित करने की कोशिश की गई है ताकि खासकर युवा, महिला और हाशिये के समुदायों को प्रभावित किया जा सके।